नवम्बर 4, 2025 11:04 अपराह्न

तंजावुर स्थित सरस्वती महल पुस्तकालय की विरासत

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Legacy of Sarasvati Mahal Library in Thanjavur

सरकारी मान्यता

तमिलनाडु सरकार ने तंजावुर महाराजा सर्वोजी की सरस्वती महल लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की लाइब्रेरी घोषित किया है। इसे तमिलनाडु पब्लिक लाइब्रेरीज़ रूल्स 1950 के तहत एक अनुदान प्राप्त पुस्तकालय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

नायक शासन के अंतर्गत स्थापना

इस पुस्तकालय की नींव 16वीं शताब्दी में तंजावुर के नायक शासकों (1535–1675 ई.) के काल में रखी गई थी। यह प्रारंभ में एक महल पुस्तकालय के रूप में शुरू हुई और इसमें दुर्लभ साहित्यिक और विद्वत्तापूर्ण कृतियाँ संरक्षित की गईं।
स्थैतिक जीके तथ्य: नायक काल में तंजावुर दक्षिण भारत का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र था, जो मंदिर वास्तुकला और कला संरक्षण के लिए प्रसिद्ध था।

मराठा शासन का योगदान

मराठा शासकों ने पुस्तकालय के संग्रह का विस्तार किया। विशेष रूप से राजा सर्वोजी द्वितीय (1798–1832 ई.) के शासन में इसका रूपांतरण हुआ। वे एक ग्रंथ-प्रेमी थे और उन्होंने भारत व विदेश से पुस्तकें और पांडुलिपियाँ मंगवाईं। उनके निजी संग्रह में ही 4,530 पुस्तकें शामिल हैं।

दुर्लभ पांडुलिपियाँ और संग्रह

यह पुस्तकालय 81,400 से अधिक पुस्तकें और 47,500 से अधिक ताड़पत्र एवं कागज़ की पांडुलिपियाँ रखती है। पांडुलिपियाँ तमिल, संस्कृत, मराठी, तेलुगु, हिंदी, अंग्रेज़ी, फ्रेंच, जर्मन और इतालवी सहित कई भाषाओं में उपलब्ध हैं।
स्थैतिक जीके टिप: ताड़पत्र पांडुलिपियों का प्रयोग दक्षिण एशिया में कागज़ के व्यापक प्रयोग से पहले ग्रंथ लेखन के लिए किया जाता था।

लिपियों की विविधता

पांडुलिपियों में ग्रंथा, देवनागरी, नंदी नागरी, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ और उड़िया लिपियाँ पाई जाती हैं। यह पुस्तकालय के बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक स्वरूप को दर्शाता है।

विषय-वस्तु का दायरा

तमिल संग्रह में शैव, वैष्णव और जैन धार्मिक ग्रंथों के साथ-साथ दुर्लभ चिकित्सकीय ग्रंथ भी शामिल हैं। इसमें कला, संगीत, दर्शन और शासन से संबंधित ग्रंथ भी सुरक्षित हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: तंजावुर की सरस्वती महल एशिया की सबसे पुरानी पुस्तकालयों में से एक है और प्रमुख प्राच्य पांडुलिपि भंडार मानी जाती है।

वैश्विक मान्यता

सरस्वती महल लाइब्रेरी को दुनिया की सबसे बड़ी प्राच्य पांडुलिपि लाइब्रेरी में गिना जाता है। इसका संग्रह वैश्विक शोधकर्ताओं को आकर्षित करता है, जिससे यह दक्षिण भारतीय इतिहास, साहित्य और संस्कृति के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है।

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तथ्य विवरण
स्थान तंजावुर, तमिलनाडु
स्थापना 16वीं शताब्दी, नायक शासन के अंतर्गत
सरकारी वर्गीकरण तमिलनाडु पब्लिक लाइब्रेरीज़ रूल्स 1950 के तहत अनुदान प्राप्त पुस्तकालय
प्रमुख योगदानकर्ता राजा सर्वोजी द्वितीय (1798–1832 ई.)
कुल पुस्तकें 81,400 से अधिक
कुल पांडुलिपियाँ 47,500+ ताड़पत्र और कागज़ की पांडुलिपियाँ
पांडुलिपियों की भाषाएँ तमिल, संस्कृत, मराठी, तेलुगु, हिंदी, अंग्रेज़ी, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी
पांडुलिपियों की लिपियाँ ग्रंथा, देवनागरी, नंदी नागरी, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, उड़िया
विशेष संग्रह शैव, वैष्णव, जैन धार्मिक ग्रंथ, दुर्लभ चिकित्सकीय ग्रंथ
वैश्विक दर्जा एशिया की सबसे पुरानी और विश्व की प्रमुख प्राच्य पांडुलिपि लाइब्रेरी

 

Legacy of Sarasvati Mahal Library in Thanjavur
  1. तंजावुर स्थित सरस्वती महल पुस्तकालय को विरासत पुस्तकालय के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  2. अब तमिलनाडु सार्वजनिक पुस्तकालय नियम 1950 के अंतर्गत एक सहायता प्राप्त पुस्तकालय है।
  3. नायक शासकों द्वारा 16वीं शताब्दी में स्थापित।
  4. मराठा राजवंश द्वारा विस्तारित।
  5. राजा सर्फ़ोजी द्वितीय के शासनकाल में इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
  6. इसमें 81,400 से अधिक पुस्तकें हैं।
  7. इसमें 47,500 से अधिक ताड़पत्र और कागज़ की पांडुलिपियाँ हैं।
  8. तमिल, संस्कृत, मराठी, तेलुगु, हिंदी, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी में पांडुलिपियाँ हैं।
  9. लिपियाँ: ग्रंथ, देवनागरी, नंदी नागरी, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, उड़िया।
  10. इसमें शैव, वैष्णव, जैन धार्मिक रचनाएँ हैं।
  11. इसमें दुर्लभ औषधीय ग्रंथ भी हैं।
  12. कला, संगीत, दर्शन, शासन व्यवस्था को शामिल करता है।
  13. कागज़ से पहले ताड़ के पत्तों पर बनी पांडुलिपियाँ इस्तेमाल की जाती थीं।
  14. एशिया के सबसे पुराने पुस्तकालयों में से एक।
  15. प्राच्य पांडुलिपियों का वैश्विक केंद्र।
  16. अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं को आकर्षित करता है।
  17. तंजावुर पैलेस के अंदर स्थित।
  18. तंजावुर – मंदिर वास्तुकला का केंद्र।
  19. बहुभाषी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।
  20. दक्षिण भारतीय साहित्यिक परंपरा का प्रतीक।

Q1. सरस्वती महल पुस्तकालय के संग्रह का महत्वपूर्ण विस्तार किस शासक ने किया?


Q2. यह पुस्तकालय किस शताब्दी में स्थापित हुआ था?


Q3. किन नियमों के तहत यह पुस्तकालय अब एक अनुदानित पुस्तकालय के रूप में वर्गीकृत है?


Q4. पुस्तकालय में लगभग कितनी ताड़पत्र और कागज़ की पांडुलिपियां हैं?


Q5. सरस्वती महल पुस्तकालय की पांडुलिपियों में कौन-सी लिपि नहीं पाई जाती?


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