भारत के स्वास्थ्य अनुसंधान में नई उपलब्धि
हरियाणा के फरीदाबाद स्थित ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (THSTI) ने देश की पहली फेरेट अनुसंधान सुविधा का शुभारंभ किया है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले द्वारा उद्घाटन किए गए इस केंद्र का उद्देश्य टीका विकास और श्वसन रोग अनुसंधान को सशक्त करना है। भारत अब उन गिने-चुने देशों की सूची में शामिल हो गया है जो फेरेट जैसे विशिष्ट पशु मॉडल का उपयोग कर उन्नत चिकित्सा अनुसंधान कर रहे हैं।
फेरेट: चिकित्सा अनुसंधान के लिए क्यों जरूरी हैं?
फेरेट के श्वसन तंत्र की संरचना मानव के समान होती है, जिससे यह इन्फ्लुएंजा और कोरोना वायरस जैसे रोगों के अध्ययन में आदर्श मॉडल बन जाता है। यह सुविधा उच्च बायोसेफ्टी मानकों के अनुसार तैयार की गई है और भविष्य में नई दवाओं और टीकों की जांच का केंद्र बनने की क्षमता रखती है, जिससे भारत आने वाली महामारियों के प्रति अधिक तैयार होगा।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अनुसंधान में क्रांति
फेरेट सुविधा के साथ ही THSTI ने GARBH-INi-DRISHTI डेटा मंच भी लॉन्च किया। इसमें 12,000 से अधिक महिलाओं और शिशुओं से प्राप्त स्वास्थ्य डेटा, इमेजिंग रिकॉर्ड्स, और बायोसैंपल शामिल हैं। यह दक्षिण एशिया के सबसे बड़े मातृ–शिशु स्वास्थ्य डेटाबेस में से एक है, जो गर्भावस्था, विकास और जन्म परिणामों पर अनुसंधान के लिए उपयोगी होगा—विशेष रूप से ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के लिए स्वास्थ्य योजना में सहायक।
महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए प्रोबायोटिक नवाचार
GARBH-INi परियोजना के तहत एक और बड़ी उपलब्धि रही Lactobacillus crispatus की खोज। यह भारतीय महिलाओं से पृथक किया गया उपयोगी सूक्ष्मजीव है। इसे Sundyota Numandis Probioceuticals Pvt. Ltd. के साथ तकनीकी हस्तांतरण के तहत न्यूट्रास्यूटिकल उत्पादों के रूप में व्यावसायीकृत किया जा रहा है। यह उत्पाद महिलाओं के प्रजनन और योनि स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
भारत की वैज्ञानिक सशक्तता को बढ़ावा
फेरेट सुविधा का उद्घाटन, मातृ–शिशु स्वास्थ्य डेटा संग्रहण, और प्रोबायोटिक का व्यावसायीकरण—ये सभी पहल भारत को जैव चिकित्सा अनुसंधान और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में वैश्विक मंच पर सुदृढ़ स्थिति प्रदान करती हैं। इससे न केवल रोग निगरानी मजबूत होगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवा नवाचार और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सहयोग को भी बल मिलेगा।
स्टैटिक GK स्नैपशॉट: भारत की जैव चिकित्सा पहलें
तथ्य | विवरण |
खुली हुई सुविधा | भारत की पहली फेरेट अनुसंधान सुविधा |
स्थान | THSTI, फरीदाबाद, हरियाणा |
उद्घाटनकर्ता | डॉ. राजेश गोखले, जैव प्रौद्योगिकी विभाग |
मुख्य उपयोग | श्वसन रोग अनुसंधान, टीका व दवा विकास |
प्रयोगशाला मॉडल | फेरेट (मानव जैसे संक्रमण अध्ययन के लिए उपयुक्त) |
समानांतर पहल | GARBH-INi-DRISHTI मातृ-शिशु स्वास्थ्य डेटा प्लेटफ़ॉर्म |
डेटाबेस का दायरा | 12,000+ गर्भवती महिलाओं और शिशुओं से डेटा |
तकनीकी भागीदार | Sundyota Numandis Probioceuticals Pvt. Ltd. |
व्यावसायीकृत उत्पाद | Lactobacillus crispatus (प्रोबायोटिक माइक्रोब) |
स्वास्थ्य फोकस | महिलाओं के प्रजनन और योनि स्वास्थ्य हेतु न्यूट्रास्यूटिकल |