मतदाता भागीदारी पारदर्शिता पर कानूनी बहस
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में फॉर्म 17C के सार्वजनिक खुलासे को लेकर चल रही याचिका पर सुनवाई टाल दी है। यह मामला उस समय महत्वपूर्ण हो गया जब हाल के चुनावों में डाले गए और गिने गए वोटों में विसंगति को लेकर सवाल उठे। याचिकाकर्ताओं और विपक्षी दलों ने मतदाता आंकड़ों की पारदर्शिता बढ़ाने की मांग की है, जिससे चुनावों की साख और जनविश्वास बना रह सके। नवनियुक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस मामले में संवाद की संभावना जताई है।
चुनाव प्रक्रिया में फॉर्म 17C का महत्व
फॉर्म 17C, Conduct of Election Rules, 1961 के तहत एक दो–भागी कानूनी दस्तावेज है।
- भाग 1: मतदान केंद्र पर पीठासीन अधिकारी द्वारा भरा जाता है, जिसमें ईवीएम संख्या, कुल मतदाता, डाले गए वोट, और संभावित विसंगतियाँ शामिल होती हैं।
- भाग 2: गणना अधिकारी द्वारा तैयार किया जाता है, जिसमें उम्मीदवारों को मिले अंतिम वोटों का विवरण होता है।
यह दस्तावेज जमीनी स्तर पर ऑडिट ट्रेल की तरह काम करता है और चुनाव परिणामों की वैधता की पुष्टि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विपक्ष की माँग: मतदाता आँकड़ों का समय पर प्रकाशन
विपक्षी दलों ने फॉर्म 17C के आंकड़ों के तत्काल सार्वजनिक प्रकाशन की माँग की है। उनका कहना है कि वोटर टर्नआउट आंकड़ों में देरी से गंभीर संदेह और अविश्वास उत्पन्न हो रहा है। उनका तर्क है कि पारदर्शिता से न केवल चुनावी धांधली की संभावना कम होती है, बल्कि यह लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का भरोसा भी मजबूत करता है।
निर्वाचन आयोग की चिंताएं और तकनीकी बाधाएं
ECI ने फॉर्म 17C के ऑनलाइन प्रकाशन को लेकर सुरक्षा और प्रक्रियात्मक समस्याओं को चिन्हित किया है।
- आयोग का कहना है कि इससे डेटा की गलत व्याख्या और दुरुपयोग की आशंका है।
- पोस्टल बैलेट और सेवा मतदाता इस फॉर्म में शामिल नहीं होते, जिससे जानकारी भ्रमित हो सकती है।
- देशभर के 10 लाख से अधिक मतदान केंद्रों से डेटा संग्रहण, स्कैनिंग और अपलोडिंग एक लॉजिस्टिक चुनौती है।
एजेंट आधारित पहुंच की असमानता
हालांकि राजनीतिक दल अपने पोलिंग एजेंट्स के माध्यम से फॉर्म 17C की प्रतियाँ प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन छोटे दलों के लिए यह व्यावहारिक रूप से मुश्किल है। इससे सूचना तक पहुंच में असमानता उत्पन्न होती है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
नागरिक समाज और मतदाताओं की पारदर्शिता की माँग
नागरिक समाज संगठन और जागरूक मतदाता अब खुलकर मतदाता आंकड़ों के समयबद्ध और सटीक खुलासे की माँग कर रहे हैं। उनका मानना है कि Form 17C जैसे दस्तावेजों तक सार्वजनिक पहुंच से ही भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में चुनावी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकती है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | जानकारी |
शासकीय नियम | Conduct of Election Rules, 1961 |
फॉर्म 17C की संरचना | भाग 1: मतदान डेटा; भाग 2: गिनती परिणाम |
किसके द्वारा भरा जाता है | भाग 1: पीठासीन अधिकारी; भाग 2: गणना अधिकारी |
कानूनी विवाद | वोटर टर्नआउट और फॉर्म 17C का सार्वजनिक खुलासा |
उठी हुई मुख्य चिंता | डाले गए और गिने गए वोटों में विसंगति |
ECI का पक्ष | डेटा का दुरुपयोग हो सकता है; तकनीकी व सुरक्षा बाधाएं |
विपक्ष की मांग | फॉर्म 17C और मतदान आंकड़ों का तुरंत प्रकाशन |
प्रमुख संबंधित कानूनी प्रावधान | आईटी अधिनियम की धारा 69A और 79(3)(b) पर चर्चा |
शामिल नया सीईसी | ज्ञानेश कुमार |
व्यापक मुद्दा | चुनावी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक जवाबदेही |