जुलाई 20, 2025 4:34 अपराह्न

सुप्रीम कोर्ट ने फॉर्म 17C खुलासे पर सुनवाई टाली: मतदाता भागीदारी के आंकड़ों में विसंगति को लेकर चिंता

करेंट अफेयर्स: मतदाता मतदान में विसंगति की चिंताओं के बीच फॉर्म 17सी खुलासे पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली, भारत का सर्वोच्च न्यायालय, भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई), फॉर्म 17सी कानूनी विवाद, मतदाता मतदान डेटा विसंगति, चुनावी पारदर्शिता भारत 2025, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) विवाद, चुनावी अखंडता उपाय, चुनाव नियम 1961 भारत का संचालन

Supreme Court Defers Hearing on Form 17C Disclosures Amid Voter Turnout Discrepancy Concerns

मतदाता भागीदारी पारदर्शिता पर कानूनी बहस

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में फॉर्म 17C के सार्वजनिक खुलासे को लेकर चल रही याचिका पर सुनवाई टाल दी है। यह मामला उस समय महत्वपूर्ण हो गया जब हाल के चुनावों में डाले गए और गिने गए वोटों में विसंगति को लेकर सवाल उठे। याचिकाकर्ताओं और विपक्षी दलों ने मतदाता आंकड़ों की पारदर्शिता बढ़ाने की मांग की है, जिससे चुनावों की साख और जनविश्वास बना रह सके। नवनियुक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस मामले में संवाद की संभावना जताई है।

चुनाव प्रक्रिया में फॉर्म 17C का महत्व

फॉर्म 17C, Conduct of Election Rules, 1961 के तहत एक दोभागी कानूनी दस्तावेज है।

  • भाग 1: मतदान केंद्र पर पीठासीन अधिकारी द्वारा भरा जाता है, जिसमें ईवीएम संख्या, कुल मतदाता, डाले गए वोट, और संभावित विसंगतियाँ शामिल होती हैं।
  • भाग 2: गणना अधिकारी द्वारा तैयार किया जाता है, जिसमें उम्मीदवारों को मिले अंतिम वोटों का विवरण होता है।
    यह दस्तावेज जमीनी स्तर पर ऑडिट ट्रेल की तरह काम करता है और चुनाव परिणामों की वैधता की पुष्टि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विपक्ष की माँग: मतदाता आँकड़ों का समय पर प्रकाशन

विपक्षी दलों ने फॉर्म 17C के आंकड़ों के तत्काल सार्वजनिक प्रकाशन की माँग की है। उनका कहना है कि वोटर टर्नआउट आंकड़ों में देरी से गंभीर संदेह और अविश्वास उत्पन्न हो रहा है। उनका तर्क है कि पारदर्शिता से न केवल चुनावी धांधली की संभावना कम होती है, बल्कि यह लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का भरोसा भी मजबूत करता है।

निर्वाचन आयोग की चिंताएं और तकनीकी बाधाएं

ECI ने फॉर्म 17C के ऑनलाइन प्रकाशन को लेकर सुरक्षा और प्रक्रियात्मक समस्याओं को चिन्हित किया है।

  • आयोग का कहना है कि इससे डेटा की गलत व्याख्या और दुरुपयोग की आशंका है।
  • पोस्टल बैलेट और सेवा मतदाता इस फॉर्म में शामिल नहीं होते, जिससे जानकारी भ्रमित हो सकती है
  • देशभर के 10 लाख से अधिक मतदान केंद्रों से डेटा संग्रहण, स्कैनिंग और अपलोडिंग एक लॉजिस्टिक चुनौती है।

एजेंट आधारित पहुंच की असमानता

हालांकि राजनीतिक दल अपने पोलिंग एजेंट्स के माध्यम से फॉर्म 17C की प्रतियाँ प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन छोटे दलों के लिए यह व्यावहारिक रूप से मुश्किल है। इससे सूचना तक पहुंच में असमानता उत्पन्न होती है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।

नागरिक समाज और मतदाताओं की पारदर्शिता की माँग

नागरिक समाज संगठन और जागरूक मतदाता अब खुलकर मतदाता आंकड़ों के समयबद्ध और सटीक खुलासे की माँग कर रहे हैं। उनका मानना है कि Form 17C जैसे दस्तावेजों तक सार्वजनिक पहुंच से ही भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में चुनावी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकती है।

STATIC GK SNAPSHOT

विषय जानकारी
शासकीय नियम Conduct of Election Rules, 1961
फॉर्म 17C की संरचना भाग 1: मतदान डेटा; भाग 2: गिनती परिणाम
किसके द्वारा भरा जाता है भाग 1: पीठासीन अधिकारी; भाग 2: गणना अधिकारी
कानूनी विवाद वोटर टर्नआउट और फॉर्म 17C का सार्वजनिक खुलासा
उठी हुई मुख्य चिंता डाले गए और गिने गए वोटों में विसंगति
ECI का पक्ष डेटा का दुरुपयोग हो सकता है; तकनीकी व सुरक्षा बाधाएं
विपक्ष की मांग फॉर्म 17C और मतदान आंकड़ों का तुरंत प्रकाशन
प्रमुख संबंधित कानूनी प्रावधान आईटी अधिनियम की धारा 69A और 79(3)(b) पर चर्चा
शामिल नया सीईसी ज्ञानेश कुमार
व्यापक मुद्दा चुनावी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक जवाबदेही
Supreme Court Defers Hearing on Form 17C Disclosures Amid Voter Turnout Discrepancy Concerns
  1. भारत के सुप्रीम कोर्ट ने Form 17C के सार्वजनिक डेटा को लेकर सुनवाई स्थगित कर दी है
  2. Form 17C एक प्रमुख चुनावी दस्तावेज है, जो मतदान केंद्रों पर पड़े मतों का रिकॉर्ड रखता है।
  3. इसे Conduct of Election Rules, 1961 के अंतर्गत नियंत्रित किया जाता है।
  4. Form 17C का भाग-1 पीठासीन अधिकारी द्वारा EVM विवरणों और पड़े मतों के साथ भरा जाता है।
  5. भाग-2 रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा उम्मीदवारवार अंतिम मत गणना के लिए तैयार किया जाता है।
  6. CEC ज्ञानेश कुमार ने पारदर्शिता पर बातचीत के प्रति सकारात्मक संकेत दिए हैं।
  7. विपक्षी दलों ने Form 17C डेटा की तत्काल सार्वजनिकता की मांग की है।
  8. यह मांग मतदाता टर्नआउट में अंतर और आंकड़ों में देरी को लेकर उठी है।
  9. आलोचकों का कहना है कि डेटा छापने से चुनाव परिणामों पर जनता का भरोसा कम हो सकता है।
  10. ECI ने सुरक्षा और प्रक्रिया संबंधी चिंताओं को आधार बनाकर ऑनलाइन प्रकाशन का विरोध किया।
  11. आयोग का तर्क है कि Form 17C का ऑनलाइन प्रकाशन गलत व्याख्या का कारण बन सकता है
  12. डाक मत और सर्विस वोट Form 17C में दर्ज नहीं होते, जिससे भ्रम की स्थिति बन सकती है।
  13. 10 लाख से अधिक मतदान केंद्रों से डेटा एकत्रित करना, समय पर ऑनलाइन जारी करने को कठिन बनाता है।
  14. पोलिंग एजेंट Form 17C प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन छोटे दलों को तैनाती में कठिनाई होती है।
  15. इससे सूचना विषमता (information asymmetry) पैदा होती है, जो संसाधन संपन्न दलों को लाभ देती है।
  16. नागरिक समाज और आम लोग, लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए डेटा पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
  17. यह मामला चुनावी ईमानदारी और डेटा पारदर्शिता को लेकर बहस को जन्म दे चुका है।
  18. आईटी अधिनियम की धारा 69A और 79(3)(b) को डेटा नियंत्रण बहस में उद्धृत किया गया।
  19. यह मामला दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में उत्तरदायित्व की एक परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है।
  20. व्यापक दृष्टिकोण से यह मुद्दा चुनावी निगरानी, सार्वजनिक जांच और संवैधानिक भरोसे से जुड़ा हुआ है।

Q1. भारतीय चुनावों में फॉर्म 17C का उद्देश्य क्या होता है?


Q2. भारतीय कानून के तहत फॉर्म 17C का उपयोग किस नियम के अंतर्गत आता है?


Q3. चुनाव प्रक्रिया के दौरान फॉर्म 17C का भाग 1 कौन भरता है?


Q4. फॉर्म 17C का डेटा ऑनलाइन प्रकाशित करने को लेकर चुनाव आयोग ने क्या चिंता जताई?


Q5. फॉर्म 17C से जुड़ी कानूनी बहस में वर्तमान में किस मुख्य चुनाव आयुक्त का उल्लेख किया गया है?


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