जुलाई 18, 2025 9:55 अपराह्न

X बनाम भारत सरकार: ऑनलाइन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आईटी नियमों को लेकर कानूनी संघर्ष

करेंट अफेयर्स : एक्स बनाम भारत सरकार: ऑनलाइन फ्री स्पीच और आईटी नियमों पर कानूनी लड़ाई, एक्स बनाम भारत सरकार 2025, ट्विटर सहयोग पोर्टल विवाद, धारा 79(3)(बी) आईटी एक्ट, सुप्रीम कोर्ट श्रेया सिंघल केस, धारा 69ए कंटेंट ब्लॉकिंग इंडिया, फ्री स्पीच बनाम सेंसरशिप इंडिया, कर्नाटक हाई कोर्ट टेक केस, एलोन मस्क ट्विटर इंडिया कानूनी लड़ाई, सहयोग पोर्टल कानून प्रवर्तन, सोशल मीडिया विनियमन भारत

X vs Government of India: Legal Battle Over Online Free Speech and IT Rules

कानूनी संघर्ष की शुरुआत

डिजिटल अधिकारों से जुड़ी एक ऐतिहासिक याचिका में, X (पूर्व में ट्विटर) ने भारत सरकार द्वारा आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(b) की व्याख्या के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय में कानूनी याचिका दायर की है। एलन मस्क के स्वामित्व वाले इस प्लेटफॉर्म का कहना है कि सरकार सामग्री नियंत्रण की शक्तियों का उपयोग इस तरह कर रही है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है और कानूनी सुरक्षा प्रक्रियाओं को दरकिनार करती है। यह मामला X द्वारासहयोग पोर्टलसे जुड़ने से इनकार के बाद शुरू हुआ।

क्या है ‘सहयोग पोर्टल’?

गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किया गयासहयोग पोर्टल, एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसे आईटी अधिनियम के तहत सामग्री हटाने के अनुरोधों को स्वचालित बनाने के लिए विकसित किया गया। यह पोर्टल पुलिस और एजेंसियों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से सीधे जोड़ता है और अवैध मानी गई सामग्री हटाने की सूचना जारी करता है। जहाँ 38 प्लेटफॉर्म इस पोर्टल से जुड़ चुके हैं, वहीं X इससे अलग रहा है, यह तर्क देते हुए कि उसके पास पहले से ही वैश्विक साइबर अपराध नियंत्रण प्रणालियाँ मौजूद हैं। आलोचकों का मानना है कि यह पोर्टल न्यायिक समीक्षा के बिना सेंसरशिप को बढ़ावा दे सकता है

आईटी अधिनियम की व्याख्या के खिलाफ X की कानूनी चुनौती

X का दावा है कि सरकार द्वारा धारा 79(3)(b) की व्याख्या मनमाने ढंग से सामग्री हटाने की अनुमति देती है, जिससे धारा 69A के तहत स्थापित पारदर्शी समीक्षा प्रक्रिया कमजोर होती है। X का तर्क है कि सामग्री को कानूनी पारदर्शिता के बिना हटाया जा सकता है, जो संविधान के विरुद्ध है। X इस मामले में विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट के 2015 के श्रेया सिंगल बनाम भारत सरकार के फैसले पर भरोसा कर रहा है, जिसमें कहा गया था कि केवल धारा 69A के तहत उचित समीक्षा के बाद ही सामग्री हटाना वैध है। X का कहना है कि सहयोग पोर्टल इन प्रक्रियाओं को दरकिनार करने की अनुमति देता है, जो असंवैधानिक है।

डिजिटल स्वतंत्रता पर व्यापक प्रभाव

यह मामला तय कर सकता है कि भारत ऑनलाइन सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच कैसे संतुलन बनाए रखता है। यदि X की चुनौती सफल होती है, तो सामग्री हटाने की प्रक्रिया में अधिक जवाबदेही और उचित प्रक्रिया लागू हो सकती है। यदि यह असफल होती है, तो डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर सख्त दायित्व लागू हो सकते हैं, जो ऑनलाइन अभिव्यक्ति को सीमित कर सकते हैं। यह मामला वैश्विक तकनीकी कंपनियों की भारत में निवेश और डेटा नियमों को लेकर धारणा को भी प्रभावित कर सकता है

STATIC GK SNAPSHOT (स्थिर सामान्य ज्ञान सारांश)

विषय विवरण
प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर)
कानूनी कार्रवाई दायर की गई कर्नाटक उच्च न्यायालय
संबंधित सरकारी संस्था गृह मंत्रालय, भारत सरकार
विवादित कानून आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(b) और धारा 69A
X का तर्क मनमानी सेंसरशिप, प्रक्रिया का उल्लंघन, श्रेया सिंगल के फैसले को कमजोर करना
सहयोग पोर्टल का उद्देश्य कानून प्रवर्तन के लिए सामग्री हटाने का स्वचालित इंटरफ़ेस
सुप्रीम कोर्ट का मिसाल श्रिया सिंगल बनाम भारत सरकार (2015)
जुड़ने वाले प्लेटफॉर्म 38 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (X को छोड़कर)
कानूनी महत्व डिजिटल स्पेस में सुरक्षा बनाम स्वतंत्रता का संतुलन स्थापित करना
X vs Government of India: Legal Battle Over Online Free Speech and IT Rules
  1. X (पूर्व में ट्विटर) ने भारत के आईटी नियमों की व्याख्या को चुनौती देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट में मामला दर्ज किया
  2. विवाद सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79(3)(b) से संबंधित है।
  3. X ने सहयोग पोर्टल से जुड़ने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उचित प्रक्रिया को कमजोर करता है
  4. सहयोग पोर्टल, गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया, सामग्री हटाने के अनुरोधों को स्वचालित करता है
  5. 38 सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स इस पोर्टल से जुड़ चुके हैं, लेकिन X एकमात्र प्रमुख अपवाद बना हुआ है
  6. X का आरोप है कि सरकार धारा 79(3)(b) के तहत मनमाने तरीके से सेंसरशिप कर रही है
  7. यह केस सुप्रीम कोर्ट के 2015 के निर्णयश्रेया सिंघल बनाम भारत सरकार पर आधारित है।
  8. धारा 69A, कानूनी रूप से सामग्री हटाने के लिए संरचित समीक्षा प्रक्रिया की मांग करती है
  9. X का कहना है कि सहयोग पोर्टल न्यायिक समीक्षा को दरकिनार करता है, जिससे संवैधानिक सुरक्षा का उल्लंघन होता है
  10. आलोचकों का मानना है कि यह पोर्टल बिना पारदर्शिता के अनियंत्रित कंटेंट हटाने को सक्षम बना सकता है
  11. सरकार ने सहयोग पोर्टल को साइबर अपराध सहयोग के लिए एक उपकरण के रूप में उचित ठहराया है
  12. X का कहना है कि वह पहले से ही वैश्विक साइबर क्राइम प्रोटोकॉल का पालन करता है और उसे सहयोग की आवश्यकता नहीं है।
  13. यह केस भारत में डिजिटल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सोशल मीडिया नियमन को पुनर्परिभाषित कर सकता है
  14. यदि फैसला X के पक्ष में आता है, तो सामग्री हटाने की प्रक्रियाओं में जवाबदेही बढ़ सकती है
  15. अगर X हारता है, तो अन्य प्लेटफार्म्स को अधिक सख्त सरकारी निगरानी और कानूनी अनुपालन का सामना करना पड़ सकता है।
  16. यह मामला निजी प्लेटफार्म्स और सरकार के बीच शक्ति संतुलन की खींचतान को उजागर करता है
  17. फैसला भारत के टेक कानूनों पर विदेशी निवेशकों के भरोसे को भी प्रभावित कर सकता है।
  18. इस कानूनी बहस के केंद्र में है – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा
  19. इस मुकदमे में आईटी मंत्रालय और गृह मंत्रालय प्रमुख सरकारी पक्षकार हैं।
  20. यह केस भारत के डिजिटल अधिकारों और शासन ढांचे के लिए एक ऐतिहासिक संवैधानिक मुकदमा माना जा रहा है।

Q1. कर्नाटक उच्च न्यायालय में X किस कानूनी प्रावधान को चुनौती दे रहा है?


Q2. सहयोग पोर्टल किस उद्देश्य के लिए डिज़ाइन किया गया है?


Q3. अब तक कितने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहयोग पोर्टल में शामिल हो चुके हैं?


Q4. X इस मामले में कानूनी सुरक्षा के लिए किस अदालती निर्णय पर निर्भर है?


Q5. सहयोग पोर्टल किस मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था?


Your Score: 0

Daily Current Affairs March 20

Descriptive CA PDF

One-Liner CA PDF

MCQ CA PDF​

CA PDF Tamil

Descriptive CA PDF Tamil

One-Liner CA PDF Tamil

MCQ CA PDF Tamil

CA PDF Hindi

Descriptive CA PDF Hindi

One-Liner CA PDF Hindi

MCQ CA PDF Hindi

दिन की खबरें

Premium

National Tribal Health Conclave 2025: Advancing Inclusive Healthcare for Tribal India
New Client Special Offer

20% Off

Aenean leo ligulaconsequat vitae, eleifend acer neque sed ipsum. Nam quam nunc, blandit vel, tempus.