कानूनी संघर्ष की शुरुआत
डिजिटल अधिकारों से जुड़ी एक ऐतिहासिक याचिका में, X (पूर्व में ट्विटर) ने भारत सरकार द्वारा आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(b) की व्याख्या के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय में कानूनी याचिका दायर की है। एलन मस्क के स्वामित्व वाले इस प्लेटफॉर्म का कहना है कि सरकार सामग्री नियंत्रण की शक्तियों का उपयोग इस तरह कर रही है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है और कानूनी सुरक्षा प्रक्रियाओं को दरकिनार करती है। यह मामला X द्वारा ‘सहयोग पोर्टल‘ से जुड़ने से इनकार के बाद शुरू हुआ।
क्या है ‘सहयोग पोर्टल’?
गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया ‘सहयोग पोर्टल‘, एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसे आईटी अधिनियम के तहत सामग्री हटाने के अनुरोधों को स्वचालित बनाने के लिए विकसित किया गया। यह पोर्टल पुलिस और एजेंसियों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से सीधे जोड़ता है और अवैध मानी गई सामग्री हटाने की सूचना जारी करता है। जहाँ 38 प्लेटफॉर्म इस पोर्टल से जुड़ चुके हैं, वहीं X इससे अलग रहा है, यह तर्क देते हुए कि उसके पास पहले से ही वैश्विक साइबर अपराध नियंत्रण प्रणालियाँ मौजूद हैं। आलोचकों का मानना है कि यह पोर्टल न्यायिक समीक्षा के बिना सेंसरशिप को बढ़ावा दे सकता है।
आईटी अधिनियम की व्याख्या के खिलाफ X की कानूनी चुनौती
X का दावा है कि सरकार द्वारा धारा 79(3)(b) की व्याख्या मनमाने ढंग से सामग्री हटाने की अनुमति देती है, जिससे धारा 69A के तहत स्थापित पारदर्शी समीक्षा प्रक्रिया कमजोर होती है। X का तर्क है कि सामग्री को कानूनी पारदर्शिता के बिना हटाया जा सकता है, जो संविधान के विरुद्ध है। X इस मामले में विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट के 2015 के श्रेया सिंगल बनाम भारत सरकार के फैसले पर भरोसा कर रहा है, जिसमें कहा गया था कि केवल धारा 69A के तहत उचित समीक्षा के बाद ही सामग्री हटाना वैध है। X का कहना है कि सहयोग पोर्टल इन प्रक्रियाओं को दरकिनार करने की अनुमति देता है, जो असंवैधानिक है।
डिजिटल स्वतंत्रता पर व्यापक प्रभाव
यह मामला तय कर सकता है कि भारत ऑनलाइन सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच कैसे संतुलन बनाए रखता है। यदि X की चुनौती सफल होती है, तो सामग्री हटाने की प्रक्रिया में अधिक जवाबदेही और उचित प्रक्रिया लागू हो सकती है। यदि यह असफल होती है, तो डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर सख्त दायित्व लागू हो सकते हैं, जो ऑनलाइन अभिव्यक्ति को सीमित कर सकते हैं। यह मामला वैश्विक तकनीकी कंपनियों की भारत में निवेश और डेटा नियमों को लेकर धारणा को भी प्रभावित कर सकता है।
STATIC GK SNAPSHOT (स्थिर सामान्य ज्ञान सारांश)
विषय | विवरण |
प्लेटफ़ॉर्म | X (पूर्व में ट्विटर) |
कानूनी कार्रवाई दायर की गई | कर्नाटक उच्च न्यायालय |
संबंधित सरकारी संस्था | गृह मंत्रालय, भारत सरकार |
विवादित कानून | आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(b) और धारा 69A |
X का तर्क | मनमानी सेंसरशिप, प्रक्रिया का उल्लंघन, श्रेया सिंगल के फैसले को कमजोर करना |
सहयोग पोर्टल का उद्देश्य | कानून प्रवर्तन के लिए सामग्री हटाने का स्वचालित इंटरफ़ेस |
सुप्रीम कोर्ट का मिसाल | श्रिया सिंगल बनाम भारत सरकार (2015) |
जुड़ने वाले प्लेटफॉर्म | 38 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (X को छोड़कर) |
कानूनी महत्व | डिजिटल स्पेस में सुरक्षा बनाम स्वतंत्रता का संतुलन स्थापित करना |