डब्ल्यूएमओ और इसकी वैश्विक भूमिका
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO), संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी, ने हाल ही में अपनी नवीनतम वायु गुणवत्ता और जलवायु बुलेटिन जारी की। रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन और वायु गुणवत्ता गहराई से जुड़े हुए हैं, और दोनों मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र, मानव स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करते हैं।
स्थिर जीके तथ्य: डब्ल्यूएमओ की स्थापना 1950 में हुई थी और इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
PM2.5 और वैश्विक स्वास्थ्य खतरा
बुलेटिन में PM2.5 प्रदूषण को एक गंभीर स्वास्थ्य खतरे के रूप में पहचाना गया है, जो हर साल लाखों लोगों की अकाल मृत्यु का कारण बनता है। उत्तर अमेरिका, यूरोप और पूर्वी एशिया में कड़े नियमों के चलते इसका स्तर कम हुआ है, लेकिन दक्षिण एशिया और उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में जंगल की आग और औद्योगिक विकास के कारण समस्या बनी हुई है।
स्थिर जीके तथ्य: PM2.5 का अर्थ है 2.5 माइक्रोमीटर से छोटे व्यास वाले कण, जो फेफड़ों और रक्त प्रवाह तक पहुंच सकते हैं।
जहाज उत्सर्जन नियमों का प्रभाव
बुलेटिन में MARPOL VI की भूमिका पर चर्चा की गई है, जिसने समुद्री ईंधनों में सल्फर स्तर को घटाया। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ, लेकिन सौर विकिरण को परावर्तित करने वाले सल्फेट एरोसॉल घटने के कारण वैश्विक तापमान थोड़ा बढ़ गया।
स्थिर जीके टिप: MARPOL अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) द्वारा अपनाया गया एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य समुद्री प्रदूषण को रोकना है।
जलवायु और वायु गुणवत्ता की पारस्परिकता
ग्राउंड-लेवल ओज़ोन जैसे प्रदूषक वायुमंडलीय तापमान बढ़ाते हैं, वहीं जलवायु परिवर्तन स्वयं प्रदूषण को और गंभीर करता है। यह रासायनिक प्रतिक्रियाओं, जैविक उत्सर्जन और मानव गतिविधियों को बदल देता है। इसलिए संयुक्त नीतिगत दृष्टिकोण बेहद ज़रूरी है।
एरोसॉल्स की भूमिका
रिपोर्ट में बताया गया है कि एरोसॉल्स के प्रभाव विपरीत होते हैं।
- काले एरोसॉल (ब्लैक कार्बन) सौर विकिरण को अवशोषित करते हैं और तापमान बढ़ाते हैं।
- उज्ज्वल एरोसॉल (सल्फेट्स) सूर्य की रोशनी को परावर्तित करते हैं और अस्थायी शीतलन लाते हैं।
स्थिर जीके तथ्य: ब्लैक कार्बन अधूरी दहन प्रक्रिया से निकलता है—जैसे वाहन, उद्योग और घरेलू ईंधन।
उत्तर भारत में शीतकालीन धुंध संकट
इंडो-गंगा का मैदान (IGP) बढ़ते प्रदूषण के कारण गंभीर शीतकालीन धुंध का सामना कर रहा है। धुंध तब बनती है जब नमी PM2.5 कणों पर संघनित होती है, जो धुंध संघनन नाभिक (FCN) का काम करते हैं।
तापमान उलटाव (Inversion) प्रदूषकों को फंसा देता है और धुंध को लंबे समय तक बनाए रखता है। शहरीकरण, ईंट भट्टों और अमोनियम उत्सर्जन ने समस्या को और गंभीर बना दिया है।
इससे परिवहन बाधित होता है और अस्थमा व श्वसन रोगों का खतरा बढ़ता है।
डब्ल्यूएमओ सदस्यता और निगरानी कार्यक्रम
डब्ल्यूएमओ के पास 187 सदस्य राष्ट्र और 6 क्षेत्र हैं, जिनमें भारत भी शामिल है। इसका ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच (GAW) कार्यक्रम वायुमंडल की निगरानी करता है और शोध व नीतिनिर्माण के लिए अहम डेटा प्रदान करता है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत WMO का सक्रिय सदस्य है और वैश्विक जलवायु तथा वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रमों में भाग लेता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
WMO की स्थापना | 1950 |
मुख्यालय | जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड |
सदस्यता | 187 राष्ट्र और 6 क्षेत्र |
जारी बुलेटिन | वायु गुणवत्ता और जलवायु बुलेटिन |
प्रमुख स्वास्थ्य चिंता | PM2.5 प्रदूषण से अकाल मृत्यु |
शिपिंग नियम | MARPOL VI (समुद्री ईंधनों में सल्फर घटाया) |
एरोसॉल प्रकार | ब्लैक कार्बन (तापन), सल्फेट्स (शीतलन) |
दक्षिण एशिया संकट | इंडो-गंगा मैदान में उच्च PM2.5 और शीतकालीन धुंध |
प्रमुख कार्यक्रम | ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच (GAW) |
भारत की स्थिति | सक्रिय सदस्य |