डी. वाई. चंद्रचूड़ की यात्रा
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने नवंबर 2024 में सेवानिवृत्ति से पहले 50वें सीजेआई के रूप में सेवा की। गोपनीयता, लैंगिक समानता, LGBTQ+ अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उनके प्रगतिशील निर्णयों के कारण उन्हें एक उदारवादी संवैधानिकतावादी के रूप में पहचाना गया। उनकी पहली पुस्तक Why the Constitution Matters 2025 में उनके साहित्यिक जीवन की शुरुआत है।
स्थैतिक तथ्य: भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद 1950 में स्थापित किया गया था और पहले सीजेआई एच. जे. कानिया थे।
हर नागरिक के लिए पुस्तक
यह पुस्तक जटिल कानूनी व्याख्या नहीं बल्कि संवैधानिक मूल्यों से जुड़ने का सार्वजनिक निमंत्रण है। पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित, यह कठिन कानूनी विचारों को सरल भाषा में प्रस्तुत करती है जो रोज़मर्रा के जीवन से मेल खाते हैं। इसमें bench पर 25 वर्षों के न्यायिक अनुभव को शासन, स्वतंत्रता और अधिकारों पर विचारों के साथ जोड़ा गया है।
स्थैतिक तथ्य: पेंगुइन रैंडम हाउस विश्व की सबसे बड़ी प्रकाशन संस्थाओं में से एक है, जिसका मुख्यालय न्यूयॉर्क सिटी में है।
पुस्तक के प्रमुख विषय
इसका मुख्य संदेश है कि संविधान एक जीवित दस्तावेज़ है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ बताते हैं कि यह किस तरह गोपनीयता, शिक्षा, समानता और न्याय जैसी रोज़मर्रा की चीज़ों को आकार देता है।
- न्यायिक जिम्मेदारी: संविधान की व्याख्या कर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना।
- नागरिक भागीदारी: अधिकारों की जानकारी लोकतंत्र को सशक्त बनाती है।
- मानवाधिकार और समानता: विविध समाज में अधिकारों का विस्तार।
- धर्मनिरपेक्षता और स्वतंत्रता: भारत में बहुलवाद की रक्षा करने वाले प्रावधान।
स्थैतिक टिप: भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसे 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया।
आज के समय में महत्व
पुस्तक ज़ोर देती है कि संविधान केवल कानूनी संहिता नहीं बल्कि एक नैतिक दिशा–सूचक है। राजनीतिक ध्रुवीकरण के समय यह स्वतंत्रता की रक्षा करता है, जवाबदेही सुनिश्चित करता है और हाशिए पर खड़े लोगों को सुरक्षा देता है। चंद्रचूड़ नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों से आग्रह करते हैं कि संविधान को वास्तविक जीवन से जुड़ा हुआ मानें, न कि केवल एक दूर का पाठ।
अभ्यर्थियों के लिए सीख
सिविल सेवा अभ्यर्थियों और विधि छात्रों के लिए यह पुस्तक संवैधानिक व्याख्या पर स्पष्टता प्रदान करती है। यह दर्शाती है कि न्यायिक तर्क किस तरह सिद्धांतों को परिणामों से जोड़ता है। शैक्षणिक कानून और नागरिक जागरूकता के बीच पुल बनाकर यह मूल्य–आधारित लोकतांत्रिक संस्कृति को मजबूत करती है।
स्थैतिक तथ्य: डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का मुख्य शिल्पकार माना जाता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
लेखक | डी. वाई. चंद्रचूड़ |
पुस्तक का शीर्षक | Why the Constitution Matters |
प्रकाशक | पेंगुइन रैंडम हाउस |
प्रकाशन वर्ष | 2025 |
पद | भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश |
सेवानिवृत्ति | नवंबर 2024 |
न्यायिक फोकस | गोपनीयता, समानता, LGBTQ+ अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता |
केंद्रीय विषय | संविधान एक जीवित दस्तावेज़ |
भारत के पहले सीजेआई | एच. जे. कानिया |
संविधान के मुख्य शिल्पकार | डॉ. बी. आर. अंबेडकर |