राष्ट्रपति की मंज़ूरी और कानूनी दर्जा
VB-G RAM G एक्ट, 2025 को 21 दिसंबर, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने के बाद औपचारिक रूप से लागू किया गया।
इस मंज़ूरी ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को आधिकारिक तौर पर खत्म कर दिया और उसकी जगह नया कानून लाया गया।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पुष्टि की कि नया कानून अब पूरे भारत में ग्रामीण मज़दूरी रोज़गार को नियंत्रित करता है।
यह बदलाव इस बात में एक ढाँचागत बदलाव दिखाता है कि राज्य ग्रामीण रोज़गार और आजीविका सुरक्षा के प्रति कैसे सोचता है।
VB-G RAM G क्या है
इस कानून का पूरा नाम विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) है।
इसे एक अकेले मज़दूरी-रोज़गार कार्यक्रम के बजाय एक संयुक्त रोज़गार और आजीविका मिशन के रूप में डिज़ाइन किया गया है।
यह कानून 2025 में संसद द्वारा विपक्षी विरोध प्रदर्शनों के बीच पारित किया गया था, जिसमें अधिकार-आधारित ढांचे को बदलने पर सवाल उठाए गए थे।
सरकार ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि यह ग्रामीण विकास नीति को आधुनिक बनाने के लिए ज़रूरी था।
नए कानून के तहत गारंटीशुदा रोज़गार
इस अधिनियम का एक मुख्य प्रावधान प्रति वित्तीय वर्ष प्रति ग्रामीण परिवार 125 दिनों के मज़दूरी रोज़गार की गारंटी है।
यह MGNREGA के तहत 100 दिनों की गारंटी से ज़्यादा है, जिससे यह कानून के सबसे ज़्यादा बहस वाले पहलुओं में से एक बन गया है।
सरकार का कहना है कि ज़्यादा गारंटी वाले दिन ग्रामीण आय को स्थिर करेंगे और मौसमी संकट के कारण होने वाले पलायन को कम करेंगे।
रोज़गार को उत्पादक और समुदाय-उन्मुख कार्यों से जोड़ने का इरादा है।
स्टैटिक जीके तथ्य: भारत में मज़दूरी रोज़गार गारंटी समवर्ती ढांचे के तहत लागू की जाती है, लेकिन परिचालन की ज़िम्मेदारी मुख्य रूप से राज्य सरकारों की होती है।
आजीविका और संपत्ति निर्माण पर ध्यान
MGNREGA के रोज़गार को कानूनी अधिकार के रूप में मुख्य फोकस के विपरीत, VB-G RAM G आजीविका पर ज़ोर देता है।
इस अधिनियम का लक्ष्य मज़दूरी के काम को स्थायी संपत्ति निर्माण, कौशल संरेखण और ग्रामीण विकास योजनाओं के साथ तालमेल बिठाना है। प्रोजेक्ट्स से कृषि, जल संरक्षण, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर और स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को सपोर्ट मिलने की उम्मीद है।
यह शॉर्ट-टर्म रोज़गार से लॉन्ग-टर्म इनकम सस्टेनेबिलिटी की ओर बदलाव को दिखाता है।
MGNREGA का रिप्लेसमेंट और पॉलिसी का महत्व
2005 में लागू किया गया MGNREGA, भारत के सबसे महत्वपूर्ण सोशल सिक्योरिटी कानूनों में से एक था।
इसने कानूनी रूप से लागू होने वाले रोज़गार के अधिकार दिए और गरीबी कम करने और ग्रामीण मज़दूरी में स्थिरता लाने में बड़ी भूमिका निभाई।
इसलिए, इसे बदलना एक सामान्य संशोधन के बजाय एक बड़े पॉलिसी बदलाव का संकेत देता है।
स्टैटिक GK टिप: MGNREGA पहला भारतीय कानून था जिसने रोज़गार को एक कानूनी अधिकार के रूप में गारंटी दी।
राजनीतिक और प्रशासनिक चिंताएँ
यह बिल विपक्ष के विरोध के बीच पास हुआ, जिसमें अधिकारों पर आधारित गारंटियों को कमज़ोर करने की चिंताएँ थीं।
आलोचकों का तर्क है कि लागू करने की स्पष्टता, शिकायत निवारण और फंड फ्लो मैकेनिज्म कानून की प्रभावशीलता तय करेंगे।
सरकार का कहना है कि परिणाम-आधारित मॉनिटरिंग नए फ्रेमवर्क के तहत जवाबदेही को मज़बूत करेगी।
राज्य और पंचायत स्तर पर प्रशासनिक तैयारी महत्वपूर्ण बनी हुई है।
विकसित भारत 2047 के साथ तालमेल
यह अधिनियम स्पष्ट रूप से विकसित भारत 2047 के विज़न से जुड़ा है, जो भारत का लॉन्ग-टर्म डेवलपमेंट रोडमैप है।
ग्रामीण रोज़गार को समावेशी विकास और आर्थिक लचीलेपन की नींव के रूप में देखा जा रहा है।
रोज़गार को आजीविका के साथ एकीकृत करके, यह कानून संरचनात्मक ग्रामीण परिवर्तन का समर्थन करना चाहता है।
स्टैटिक GK तथ्य: भारत में ग्रामीण विकास कार्यक्रम केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित हैं लेकिन पंचायती राज संस्थानों के माध्यम से लागू किए जाते हैं।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| कानून का नाम | विकसित भारत रोज़गार एवं आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) |
| अधिनियमन वर्ष | 2025 |
| राष्ट्रपति की स्वीकृति | 21 दिसंबर 2025 |
| प्रतिस्थापित कानून | महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम |
| रोज़गार गारंटी | प्रति ग्रामीण परिवार वार्षिक 125 दिन |
| कार्यान्वयन मंत्रालय | ग्रामीण विकास मंत्रालय |
| मुख्य फोकस | आजीविका एकीकरण के साथ मज़दूरी आधारित रोज़गार |
| दीर्घकालिक दृष्टि | विकसित भारत 2047 |





