ऐतिहासिक अनुसंधान को समर्पित जीवन
प्रसिद्ध पुरालेख और पुरातत्त्व विशेषज्ञ वी. वेधाचलम को तमिल विक्की सूरन पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें तमिल इतिहास और विरासत को संरक्षित करने के लिए 51 वर्षों के योगदान की मान्यता स्वरूप 8 जुलाई 2025 को मदुरै में प्रदान किया गया।
तमिल शिलालेखों के विद्वान
तमिल साहित्य से शैक्षणिक यात्रा शुरू करने वाले वेधाचलम ने बाद में पुरालेख विद्या (Epigraphy) और पुरातत्त्व में विशेषज्ञता प्राप्त की। करूर (चेर वंश की प्राचीन राजधानी) में उनका प्रारंभिक कार्य उन्हें तमिलनाडु की प्राचीन सभ्यता की परतें खोलने के मार्ग पर ले गया।
उन्होंने कई प्राचीन शिलालेखों का विश्लेषण किया, जिससे संगम कालीन सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन पर प्रकाश पड़ा।
Static GK तथ्य:
भारत के कई हिस्सों में जहां लिखित इतिहास सीमित है, वहां शिलालेख (Epigraphy) प्राचीन इतिहास के पुनर्निर्माण का प्रमुख स्रोत है।
प्रमुख खोज और योगदान
वेधाचलम की सबसे चर्चित खोजों में से एक है विक्रमांगलम मंदिर में छत पर खुदा हुआ 2,000 साल पुराना शिलालेख। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कीलाडी स्थल की पुरातात्त्विक महत्ता को सबसे पहले पहचाना, जिससे संगम कालीन शहरी जीवन की झलक मिली।
सेवानिवृत्ति के बाद भी वे सक्रिय रूप से मैदानी शोध में शामिल हैं।
Static GK टिप:
कीलाडी खुदाई ने यह सिद्ध किया कि संगम काल में दक्षिण भारत में भी उन्नत नगरीय सभ्यता का विकास हुआ था।
इतिहास को जनभागीदारी से जोड़ना
शोध कार्यों के अलावा, वेधाचलम ने 25 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं और तमिलनाडु के 300 से अधिक गाँवों में Dhan Foundation के सहयोग से heritage walks का आयोजन किया है।
वे नियमित रूप से कॉलेजों और स्कूलों में व्याख्यान देते हैं, जिससे छात्रों में इतिहास और विरासत के प्रति रूचि जाग्रत होती है।
विरासत संरक्षण की एक जीवंत प्रेरणा
75 वर्ष की उम्र में भी वेधाचलम तमिल ऐतिहासिक अध्ययन और संरक्षण के क्षेत्र में मार्गदर्शक बने हुए हैं। उनका कार्य न केवल शैक्षणिक क्षेत्र को समृद्ध करता है, बल्कि आम जनता में भी विरासत संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाता है।
तमिल विक्की सूरन पुरस्कार उनके जीवनपर्यंत समर्पण का एक उचित सम्मान है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
पुरस्कार का नाम | तमिल विक्की सूरन पुरस्कार |
सम्मानित व्यक्ति | वी. वेधाचलम |
सम्मान की तिथि | 8 जुलाई 2025 |
आयोजन स्थान | मदुरै, तमिलनाडु |
कार्यक्षेत्र | पुरातत्त्व एवं पुरालेख विद्या |
सेवा अवधि | 51 वर्ष |
प्रमुख खोज | विक्रमांगलम में 2,000 वर्ष पुराना शिलालेख |
महत्वपूर्ण योगदान स्थल | कीलाडी खुदाई की प्रारंभिक पहचान |
प्रकाशित पुस्तकें | 25 |
जनजागरूकता पहल | Dhan Foundation के साथ 300+ गाँवों में विरासत यात्राएं |