परिचय
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने UMEED पोर्टल पर एक विशेष मॉड्यूल शुरू किया है, जो विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथ बच्चों को भरण-पोषण सहायता प्रदान करेगा। यह पहल वक्फ–अलाल–औलाद संपत्तियों से प्राप्त धन से संचालित होगी और UMEED नियम 2025 के तहत लागू की गई है। इस कदम से कमजोर वर्गों को पारदर्शी और समय पर वित्तीय सहायता सुनिश्चित होने की उम्मीद है।
वक्फ कल्याण में डिजिटल परिवर्तन
यह पोर्टल वक्फ प्रशासन के डिजिटलीकरण की दिशा में बड़ा कदम है। लाभार्थी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, जिनकी आधार–आधारित प्रमाणीकरण से पुष्टि होगी और सहायता राशि सीधे DBT प्रणाली से बैंक खातों में पहुंचेगी। इस डिजिटल ढाँचे से मैनुअल देरी कम होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।
स्थिर जीके तथ्य: वक्फ इस्लामी कानून के अंतर्गत धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए संपत्ति के स्थायी समर्पण को कहते हैं।
मॉड्यूल की प्रमुख विशेषताएँ
नया UMEED मॉड्यूल निम्नलिखित सुविधाएँ प्रदान करता है:
- पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन
- लाभार्थियों का आधार-लिंक्ड सत्यापन
- बैंक खातों में सीधे वित्तीय सहायता का हस्तांतरण
- राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा कार्यान्वयन की निगरानी
यह एकीकृत दृष्टिकोण कार्यकुशलता और नागरिक-केंद्रित कल्याण सुनिश्चित करता है।
स्थिर जीके टिप: भारत में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) प्रणाली 2013 में शुरू की गई थी ताकि सब्सिडी और योजनाओं में होने वाली गड़बड़ियों को रोका जा सके।
सामाजिक न्याय और समावेशन सुनिश्चित करना
यह पहल उन अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता देती है जो आर्थिक संकट का सामना करते हैं। यह सरकार के समावेशी विकास एजेंडे से जुड़ा हुआ है और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित होने के जोखिम को कम करता है। वक्फ संसाधनों को डिजिटल ढाँचे में शामिल कर यह पोर्टल उनके पारंपरिक सामुदायिक कल्याणकारी भूमिका को आधुनिक रूप देता है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत की 2011 जनगणना के अनुसार, देश की लगभग 19% आबादी अल्पसंख्यकों की है, जिनमें मुसलमान सबसे बड़ा समुदाय हैं।
वक्फ बोर्ड और मुतवल्लियों की भूमिका
मंत्रालय ने इस योजना की सफलता में राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश वक्फ बोर्डों और मुतवल्लियों (वक्फ संपत्तियों के संरक्षक) की भूमिका पर बल दिया है। उनकी जिम्मेदारियों में जागरूकता फैलाना, आवेदनों का सत्यापन करना और समय पर धनराशि का वितरण सुनिश्चित करना शामिल है। केंद्रीय पोर्टल और स्थानीय बोर्डों के बीच समन्वय से अंतिम स्तर तक लाभ पहुंचाना आसान होगा।
स्थिर जीके तथ्य: केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना 1964 में वक्फ अधिनियम के तहत वक्फ संपत्ति प्रशासन पर सलाह देने के लिए की गई थी।
निष्कर्ष
UMEED मॉड्यूल अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के आधुनिकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। पारंपरिक वक्फ संसाधनों को डिजिटल गवर्नेंस से जोड़कर यह पहल कमजोर वर्गों तक जवाबदेही और गति के साथ सहायता पहुँचाने को सुनिश्चित करती है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
पहल शुरू करने वाला मंत्रालय | अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय |
योजना का नाम | UMEED पोर्टल मॉड्यूल |
लॉन्च वर्ष | 2025 |
लाभार्थी | विधवाएँ, तलाकशुदा महिलाएँ, अल्पसंख्यक समुदायों के अनाथ |
धन का स्रोत | वक्फ-अलाल-औलाद संपत्तियाँ |
सत्यापन प्रणाली | आधार-आधारित प्रमाणीकरण |
हस्तांतरण विधि | प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) |
कार्यान्वयन संस्थाएँ | राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश वक्फ बोर्ड, मुतवल्ली |
नियम ढाँचा | UMEED नियम 2025 |
मुख्य उद्देश्य | कमजोर वर्गों को पारदर्शी और समय पर सहयोग |