तमिलनाडु में पुरातात्विक खोज
तिरुवन्नामलाई ज़िले के किलनमंडी में एक मिट्टी का ताबूत (सार्कोफैगस) खोजा गया। वैज्ञानिक विश्लेषण से एएमएस (Accelerator Mass Spectrometry) रेडियोकार्बन डेटिंग द्वारा इस ताबूत की आयु 1692 ईसा पूर्व तय की गई। दफन स्थल से प्राप्त कोयले के नमूनों की जाँच अमेरिका की बीटा एनालिटिक्स लैब में की गई, जिसने इस स्थल की प्राचीनता की पुष्टि की।
स्थैतिक तथ्य: तमिलनाडु का प्रागैतिहासिक बस्तियों का लंबा इतिहास है। आदिचनल्लूर और किलनमंडी जैसे स्थल प्रारंभिक सांस्कृतिक और व्यापारिक गतिविधियों के प्रमाण देते हैं।
व्यापार संबंधों के साक्ष्य
खुदाई में प्राप्त उकेरे हुए कार्नेलियन मनके इस बात का प्रमाण हैं कि उत्तर हड़प्पा काल में तमिलनाडु का महाराष्ट्र और गुजरात जैसे क्षेत्रों से सक्रिय व्यापारिक संबंध था। ये मनके वस्तुओं और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
स्थैतिक टिप: कार्नेलियन एक बहुमूल्य अर्ध-रत्न था, जो हड़प्पा आभूषणों में प्रमुखता से प्रयुक्त होता था और व्यापार नेटवर्क के माध्यम से प्रचलित था।
ग्रैफिटी प्रतीक और सांस्कृतिक संबंध
ताबूत के पास ग्रैफिटी युक्त मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े मिले, जिन्हें 17वीं शताब्दी ईसा पूर्व का माना गया। 140 स्थलों के अध्ययन से पता चला कि 90% ग्रैफिटी प्रतीक हड़प्पा सभ्यता में पाए गए प्रतीकों से मेल खाते हैं। यह सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक निरंतरता को दर्शाता है।
स्थैतिक तथ्य: हड़प्पा लिपि अब तक अपठनीय है, लेकिन ग्रैफिटी प्रतीकों से सांस्कृतिक प्रभाव और प्रवासन पैटर्न का पता चलता है।
खोजों का महत्व
ये खोजें इस तथ्य की पुष्टि करती हैं कि तमिलनाडु हड़प्पा व्यापार नेटवर्क का सक्रिय हिस्सा था। किलनमंडी स्थल यह दर्शाता है कि यह क्षेत्र अलग-थलग नहीं था, बल्कि अखिल-भारतीय व्यापार और सांस्कृतिक तंत्र से जुड़ा हुआ था। प्राप्त कलाकृतियाँ आर्थिक और सांकेतिक दोनों प्रकार के आदान-प्रदान का संकेत देती हैं, जो दक्षिण भारत की प्राचीनता को हड़प्पा सभ्यता से जोड़ती हैं।
स्थैतिक टिप: उत्तर हड़प्पा बस्तियाँ प्रायः स्थानीय अनुकूलन के साथ-साथ हड़प्पा परंपराओं के निरंतर अस्तित्व को भी दर्शाती हैं।
निष्कर्षात्मक अंतर्दृष्टि
किलनमंडी दफन स्थल प्रारंभिक अंतर-क्षेत्रीय संपर्क का प्रमाण है। यहाँ पाए गए व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान यह दर्शाते हैं कि कैसे दक्षिण भारत की प्रागैतिहासिक पहचान व्यापक भारतीय सभ्यता नेटवर्क से आकार ले रही थी।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
स्थल | किलनमंडी, तिरुवन्नामलाई, तमिलनाडु |
खोज | मिट्टी का ताबूत (सार्कोफैगस) |
तिथि निर्धारण | 1692 ईसा पूर्व, एएमएस रेडियोकार्बन पद्धति से |
प्रयोगशाला | बीटा एनालिटिक्स, अमेरिका |
कलाकृतियाँ | उकेरे हुए कार्नेलियन मनके, ग्रैफिटी युक्त मिट्टी के बर्तन |
व्यापार संबंध | महाराष्ट्र, गुजरात |
सांस्कृतिक संबंध | 90% ग्रैफिटी प्रतीक हड़प्पा सभ्यता से मेल खाते हैं |
काल | उत्तर हड़प्पा काल |
महत्व | तमिलनाडु के हड़प्पा व्यापार नेटवर्क में एकीकृत होने का प्रमाण |
स्थैतिक तथ्य | तमिलनाडु के कई प्रागैतिहासिक स्थल प्रारंभिक व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान दर्शाते हैं |