उत्खनन का सारांश
तमिलनाडु राज्य पुरातत्व विभाग (TNSDA) ने तेनकासी जिले के तिरुमलापुरम क्षेत्र में प्रथम चरण का उत्खनन कार्य पूरा किया है।
यह स्थल वर्तमान गाँव से लगभग 10 किलोमीटर उत्तर–पश्चिम में स्थित है और कुलशेखरपेररी टैंक के पास दो मौसमी नालों के बीच फैले 35 एकड़ क्षेत्र में विस्तृत है।
Static GK Fact: तेनकासी जिला वर्ष 2019 में तिरुनेलवेली जिले से अलग किया गया था और यह अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
काल निर्धारण और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य
प्रारंभिक अध्ययनों से पता चलता है कि यह स्थल ईसा पूर्व तीसरी सहस्राब्दी (Early to Mid-Third Millennium BCE) के बीच का है, अर्थात् यह लौह युग (Iron Age) का हिस्सा रहा है।
पुरातत्वविदों ने यहाँ की सांस्कृतिक विशेषताओं की तुलना आदिचनल्लूर और सिवागलाई जैसे प्रमुख लौह युग स्थलों से की है।
Static GK Fact: आदिचनल्लूर (Adichanallur), थूथुकुडी जिला, तमिलनाडु में स्थित है और दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण लौह युग दफन स्थलों में से एक है।
उत्खनन क्षेत्र और संरचनात्मक खोजें
प्रथम उत्खनन सत्र के दौरान कुल 37 खाइयाँ (Trenches) खोदी गईं।
पुरातत्वविदों ने आयताकार पत्थर की पट्टियों से बना एक दफन कक्ष (Rectangular Stone Slab Chamber) खोजा, जिसका उपयोग कलश दफन (Urn Burial) के लिए किया गया था।
इस कक्ष में लगभग 35 पत्थर की पट्टियाँ लगी थीं और यह 1.5 मीटर तक कंकड़ों (Cobblestones) से भरा हुआ था।
मिट्टी के बर्तन और प्रतीकात्मक कलाकृतियाँ
उत्खनन के दौरान विभिन्न प्रकार के मृदभांड (Ceramics) प्राप्त हुए, जिनमें ब्लैक–एंड–रेड वेयर, रेड वेयर, रेड–स्लिप्ड वेयर और ब्लैक–पॉलिश्ड वेयर शामिल हैं।
कुछ बर्तनों पर सफेद रंग की चित्रकारी (White Painted Designs) पाई गई, जो टी. कल्लुपट्टी और आदिचनल्लूर स्थलों से प्राप्त कलाकृतियों से मिलती-जुलती हैं।
कलशों पर खुदे प्रतीक — मानव, पर्वत, हिरण और कछुए — उस युग की धार्मिक और प्रतीकात्मक प्रथाओं को दर्शाते हैं।
प्राप्त सामग्री और धातु वस्तुएँ
पुरातत्वविदों को कुल 78 कलाकृतियाँ (Antiquities) मिलीं जो अस्थि (Bone), सोना (Gold), कांसा (Bronze) और लोहा (Iron) से बनी थीं।
महत्वपूर्ण वस्तुओं में — चिमटी (Tweezers), तलवार (Sword), भाला (Spearhead), सोने की अंगूठियाँ (Gold Rings), कुल्हाड़ी (Axe), कटार (Dagger), छेनी (Chisel), अस्थि–मस्तक (Bonehead) और तीर के सिर (Arrowhead) शामिल हैं।
विशेष रूप से, एक कलश में तीन सूक्ष्म सोने की अंगूठियाँ पाई गईं, जिनका व्यास 4.8 मिलीमीटर और वजन 1 मिलीग्राम से भी कम था — जो उस समय की उन्नत धातुकला कौशल (Advanced Craftsmanship) को दर्शाता है।
Static GK Fact: कलश दफन (Urn Burials) दक्षिण भारत के लौह युग समाजों की प्रमुख विशेषता रही है, जो जटिल मृत्यु संस्कारों (Mortuary Practices) को इंगित करती है।
सांस्कृतिक महत्व और निष्कर्ष
प्रारंभिक निष्कर्ष बताते हैं कि तिरुमलापुरम का सांस्कृतिक स्वरूप आदिचनल्लूर और सिवागलाई स्थलों से समानता रखता है, जिससे पश्चिमी घाट क्षेत्र में प्रारंभिक मानव बस्तियों (Early Human Settlements) की समझ और गहरी होती है।
यह स्थल तकनीकी कौशल, कलात्मकता और सांस्कृतिक जटिलता का प्रतीक है।
Static GK Tip: पश्चिमी घाट (Western Ghats) को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) का दर्जा प्राप्त है, जो अपनी जैव विविधता और पुरातात्त्विक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
स्थान | तिरुमलापुरम, तेनकासी जिला, तमिलनाडु |
उत्खनन एजेंसी | तमिलनाडु राज्य पुरातत्व विभाग |
क्षेत्रफल | 35 एकड़ |
काल निर्धारण | ईसा पूर्व तीसरी सहस्राब्दी (लौह युग) |
उत्खनन खाइयाँ | 37 |
दफन संरचना | पत्थर की पट्टियों वाला आयताकार कक्ष (कलश दफन के लिए) |
मृदभांड प्रकार | ब्लैक-एंड-रेड, रेड, रेड-स्लिप्ड, ब्लैक-पॉलिश्ड वेयर |
प्राप्त कलाकृतियाँ | अस्थि, सोना, कांसा, लोहा – चिमटी, तलवार, भाला, कुल्हाड़ी, कटार, छेनी आदि |
सोने की अंगूठियाँ | 3 सूक्ष्म अंगूठियाँ, 4.8 मि.मी. व्यास, 1 मि.ग्रा. से कम वजन |
सांस्कृतिक समानता | आदिचनल्लूर और सिवागलाई स्थल |