नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में तेज़ वृद्धि
तमिलनाडु भारत का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है जिसने 2021 के बाद से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश और क्षमता विस्तार देखा है।
- पवन ऊर्जा क्षेत्र में अकेले ₹5,700 करोड़ का निवेश हुआ है, जिससे 816 मेगावाट (MW) नई क्षमता जोड़ी गई है।
- इसके अलावा, ₹4,200 करोड़ आगामी 600 मेगावाट पवन परियोजनाओं के लिए आरक्षित हैं।
स्थैतिक तथ्य: तमिलनाडु भारत का सबसे पहला राज्य है जिसने 1990 के दशक में व्यावसायिक पवन ऊर्जा फार्म शुरू किए थे।
सौर ऊर्जा में तेजी
सौर ऊर्जा क्षेत्र में तमिलनाडु ने उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है।
- ₹23,500 करोड़ से अधिक का निवेश6,736 मेगावाट सौर परियोजनाओं में हुआ है।
- ₹39,000 करोड़ मूल्य की 5,700 मेगावाट परियोजनाएँ स्वीकृति के अंतिम चरण में हैं।
यह राज्य की स्वच्छ ऊर्जा विविधीकरण (Clean Energy Diversification) के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
स्थैतिक GK टिप: रमेश्वरम जिले के कमुथी (Kamuthi) में स्थित सौर ऊर्जा संयंत्र भारत के सबसे बड़े एकल-स्थान सौर संयंत्रों में से एक है।
रैंकिंग और भविष्य के लक्ष्य
- तमिलनाडु की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता अब 25,500 मेगावाट से अधिक है।
- 11,500 मेगावाट पवन ऊर्जा के साथ, तमिलनाडु गुजरात के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा पवन ऊर्जा उत्पादक राज्य है।
- राज्य का लक्ष्य है कि 2030 तक अपनी कुल बिजली का 50% नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करे।
स्थैतिक तथ्य: भारत के राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (NDC) के अनुसार, देश का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता हासिल करना है।
कार्बन न्यूट्रल विज़न और ऊर्जा मांग
तमिलनाडु ने कार्बन उत्सर्जन में 70% की कमी और 2070 तक नेट-ज़ीरो (Net Zero) प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो भारत की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
राज्य की बिजली मांग 20,700 मेगावाट (वर्तमान) से बढ़कर 35,500 मेगावाट (2034–35) तक पहुंचने की उम्मीद है।
इसलिए, मजबूत नवीकरणीय ऊर्जा आधार बनाना स्थिरता के लिए आवश्यक है।
पंप्ड स्टोरेज और अपतटीय (Offshore) पवन क्षमता
नवीकरणीय ऊर्जा में उतार-चढ़ाव को संतुलित करने के लिए तमिलनाडु ने पंप्ड स्टोरेज परियोजनाएँ शुरू की हैं।
- कुंधा (Kundah) में 500 मेगावाट पंप्ड स्टोरेज परियोजना विकसित की जा रही है।
- वेल्लिमलाई (1,100 MW) और आलियार (2,400 MW) में पूर्व-परियोजना क्रियान्वयन जारी है।
स्थैतिक GK टिप: पंप्ड स्टोरेज प्रणाली में कम मांग के समय पानी को ऊंचाई पर पंप किया जाता है और उच्च मांग के समय बिजली उत्पन्न की जाती है।
तमिलनाडु के समुद्री तट पर 35 गीगावाट (GW) की अपतटीय पवन क्षमता है,
जो उच्च पवन गति और उत्कृष्ट क्षमता कारकों से समर्थित है।
राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (NIWE), जिसका मुख्यालय चेन्नई में है,
भारत–डेनमार्क ग्रीन स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप (India–Denmark Green Strategic Partnership) के तहत
तमिलनाडु तट के पास भारत की पहली अपतटीय पवन परियोजना विकसित कर रहा है।
स्थैतिक तथ्य: भारत–डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी 2020 में शुरू हुई,
जिसका मुख्य उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा, अपतटीय पवन, और सतत शहरीकरण है।
Static “Usthadian” Current Affairs Table
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| कुल नवीकरणीय क्षमता | 25,500 मेगावाट से अधिक |
| पवन ऊर्जा क्षमता | 11,500 मेगावाट (भारत में दूसरा स्थान) |
| स्थापित सौर क्षमता | 6,736 मेगावाट |
| स्वीकृति के अधीन सौर परियोजनाएँ | 5,700 मेगावाट (₹39,000 करोड़) |
| प्रस्तावित पवन परियोजनाएँ | 600 मेगावाट (₹4,200 करोड़) |
| नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य | 2030 तक 50% |
| कार्बन कमी लक्ष्य | 70% कमी, 2070 तक नेट ज़ीरो |
| पंप्ड स्टोरेज स्थान | कुंधा, वेल्लिमलाई, आलियार |
| अपतटीय पवन क्षमता | तमिलनाडु तट के साथ 35 गीगावाट |
| प्रमुख साझेदारी | भारत–डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी (2020) |





