हाथियों की संख्या में वृद्धि
वन्य हाथी गणना 2025 रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु में मई 2025 में कुल 3,170 वन्य हाथी दर्ज किए गए।
यह 2024 की 3,063 की गणना से 107 हाथियों की वृद्धि को दर्शाता है — जो हाथी संरक्षण प्रयासों की सफलता का सकारात्मक संकेत है।
8,989.63 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले 26 वन मंडलों में यह समन्वित सर्वेक्षण (Synchronised Survey) किया गया।
इसमें प्रत्यक्ष विधि (Block Count) और अप्रत्यक्ष विधि (Dung Count) दोनों का उपयोग किया गया।
स्थैतिक जीके तथ्य: एशियाई हाथी (Elephas maximus) को IUCN रेड लिस्ट में “संकटग्रस्त (Endangered)” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस तरह के समय-समय पर किए जाने वाले सर्वेक्षण कितने आवश्यक हैं।
सर्वेक्षण की पद्धति
यह सर्वेक्षण वन विभाग के अधिकारियों और वन्यजीव विशेषज्ञों द्वारा वैज्ञानिक और समन्वित दृष्टिकोण से किया गया।
सभी वन मंडलों में एक साथ टीमों को तैनात किया गया ताकि दोहरी गणना से बचा जा सके और सटीक डेटा प्राप्त हो सके।
ब्लॉक काउंट विधि में हाथियों को निर्धारित क्षेत्र में सीधे देखा और गिना जाता है, जबकि मल गणना विधि (Dung Count) में उस क्षेत्र में एकत्रित मल नमूनों के आधार पर जनसंख्या घनत्व का अनुमान लगाया जाता है।
स्थैतिक जीके टिप: भारत का पहला अखिल भारतीय हाथी गणना कार्यक्रम 1993 में शुरू हुआ, और तब से तमिलनाडु प्रत्येक गणना चक्र में सक्रिय रूप से भाग लेता रहा है।
मुख्य निष्कर्ष
नीलगिरी हाथी अभयारण्य (Nilgiri Elephant Reserve) राज्य का सबसे बड़ा हाथी आवास क्षेत्र के रूप में उभरा है।
यहाँ ब्लॉक काउंट विधि से 2,419 हाथी और मल गणना विधि से 3,163 हाथी दर्ज किए गए — जो तमिलनाडु में सबसे अधिक संख्या है।
कुल जनसंख्या में वयस्क हाथियों का अनुपात 44% था, जबकि लिंग अनुपात 1 नर : 1.77 मादा पाया गया — जो स्वस्थ प्रजनन संतुलन को दर्शाता है।
स्थैतिक जीके तथ्य: नीलगिरी हाथी अभयारण्य 2003 में स्थापित किया गया था, यह नीलगिरी, इरोड और कोयंबटूर जिलों में फैला है और प्रोजेक्ट एलीफैंट (1992) के तहत अधिसूचित भारत का पहला हाथी अभयारण्य है।
संरक्षण का महत्व
हाथियों की जनसंख्या में वृद्धि शिकार विरोधी गश्त, आवास पुनर्स्थापन और समुदाय जागरूकता कार्यक्रमों की सफलता को दर्शाती है।
संरक्षण विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता में सुधार का संकेत है।
वन विभाग इस डेटा का उपयोग आवास प्रबंधन, हाथी गलियारों की सुरक्षा और मानव-हाथी संघर्षों को कम करने के लिए करेगा, जो विशेष रूप से वन सीमाओं से सटे कृषि क्षेत्रों में एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
स्थैतिक जीके टिप: भारत में विश्व के लगभग 60% एशियाई वन्य हाथी पाए जाते हैं, इसलिए इस तरह की राज्य स्तरीय गणनाएँ राष्ट्रीय जैव विविधता निगरानी के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
सर्वेक्षण किया गया राज्य | तमिलनाडु |
सर्वेक्षण का वर्ष | 2025 |
कुल हाथी जनसंख्या | 3,170 |
2024 से वृद्धि | 107 हाथी |
कवरेज क्षेत्र | 8,989.63 वर्ग किलोमीटर |
वन मंडलों की संख्या | 26 |
प्रमुख अभयारण्य | नीलगिरी हाथी अभयारण्य |
उच्चतम गणना (मल विधि) | 3,163 हाथी |
वयस्क जनसंख्या प्रतिशत | 44% |
लिंग अनुपात | 1 नर : 1.77 मादा |
उपयोग की गई विधियाँ | ब्लॉक काउंट और मल गणना (Dung Count) |
प्रोजेक्ट एलीफैंट की शुरुआत | 1992 |
नीलगिरी अभयारण्य की स्थापना | 2003 |
एशियाई हाथी की IUCN स्थिति | संकटग्रस्त (Endangered) |
भारत की वैश्विक हाथी आबादी में हिस्सेदारी | 60% से अधिक |