तमिलनाडु क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर का शुभारंभ
तमिलनाडु सरकार ने पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।
राज्य ने क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर और क्लाइमेट डीकार्बोनाइजेशन मार्ग (Climate Decarbonisation Pathways) की शुरुआत की है,
जो राज्य के नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्यों (Net Zero Emission Goals) की प्रगति को ट्रैक और तेज़ करने के लिए एक निगरानी ढांचा प्रदान करेगा।
पहल के अंतर्गत चयनित ज़िले
इस कार्यक्रम में रामनाथपुरम, विरुधुनगर, कोयंबटूर, और नीलगिरि ज़िले शामिल हैं,
जहाँ स्थानीय स्तर पर डेटा-संचालित रणनीतियों के माध्यम से उत्सर्जन घटाने पर ध्यान दिया जाएगा।
इन ज़िलों का चयन उनके विविध जलवायु, औद्योगिक, और पारिस्थितिक प्रोफ़ाइल के आधार पर किया गया है।
वासुधा फाउंडेशन (Vasudha Foundation) राज्य सरकार की तकनीकी सहायता और नीति अनुशंसाओं के लिए साझेदार संस्था है।
स्थैतिक तथ्य: वासुधा फाउंडेशन एक भारतीय गैर-लाभकारी संस्था है, जो 2010 से सतत ऊर्जा और निम्न-कार्बन विकास (Low Carbon Development) को बढ़ावा देने में कार्यरत है।
डीकार्बोनाइजेशन और ज़िला-स्तरीय योजना
हर ज़िले के लिए तैयार किए गए डीकार्बोनाइजेशन मार्ग (Decarbonisation Pathway) में
परिवहन, बिजली उत्पादन, कृषि, और कचरा प्रबंधन क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन को घटाने की रणनीतियाँ शामिल हैं।
क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर एक प्रमाण-आधारित (Evidence-based) प्लेटफ़ॉर्म के रूप में कार्य करेगा,
जो इन नीतियों की सफलता को मापने में मदद करेगा।
स्थैतिक GK टिप: डीकार्बोनाइजेशन का अर्थ है —
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को घटाने की प्रक्रिया,
जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्ष तकनीकों का उपयोग शामिल होता है।
तमिलनाडु में नवीकरणीय ऊर्जा की प्रगति
तमिलनाडु ने पिछले पाँच वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
राज्य ने इस अवधि में लगभग 10 गीगावाट (GW) नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ी है —
मुख्यतः पवन और सौर ऊर्जा से।
वर्तमान में राज्य की कुल स्थापित बिजली क्षमता का 60% हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से आता है,
जिससे तमिलनाडु भारत के सबसे हरित राज्यों में शामिल हो गया है।
स्थैतिक तथ्य: तमिलनाडु, गुजरात और कर्नाटक के साथ,
भारत के शीर्ष तीन नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक राज्यों में शामिल है।
सतत परिवहन और शहरी पहलें
डीकार्बोनाइजेशन अभियान के हिस्से के रूप में —
कोयंबटूर में 500 नगर बसों का विद्युतीकरण किया जाएगा,
जिससे शहरी कार्बन उत्सर्जन और वायु प्रदूषण में कमी आएगी।
इसके अलावा, 2030 तक राज्य भर में पाँच लाख स्ट्रीट लाइटों को एलईडी लाइटों से बदला जाएगा,
जिससे बिजली खपत और रखरखाव लागत दोनों में बड़ी कमी होगी।
स्थैतिक GK टिप: एलईडी बल्ब पारंपरिक बल्बों की तुलना में 75% कम ऊर्जा खपत करते हैं
और लगभग 25 गुना अधिक समय तक चलते हैं।
नेट ज़ीरो भविष्य की दिशा में
क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर एक पारदर्शी और डेटा-आधारित नीति उपकरण है,
जो नीति निर्माताओं को प्रगति की निगरानी और रणनीतियों में सुधार करने में मदद करता है।
यह पहल भारत की 2070 तक नेट ज़ीरो प्राप्त करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है,
जिसकी घोषणा COP26 सम्मेलन में की गई थी।
तमिलनाडु का यह ज़िला-स्तरीय स्थानीय दृष्टिकोण (Localized District-Level Approach)
अन्य राज्यों के लिए जलवायु कार्रवाई (Climate Action) का एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत करता है।
Static “Usthadian” Current Affairs Table
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| पहल का नाम | क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर और क्लाइमेट डीकार्बोनाइजेशन मार्ग |
| लागू राज्य | तमिलनाडु |
| सहयोगी संस्था | वासुधा फाउंडेशन |
| चयनित ज़िले | रामनाथपुरम, विरुधुनगर, कोयंबटूर, नीलगिरि |
| लक्ष्य | ज़िला-स्तरीय योजनाओं के माध्यम से नेट ज़ीरो उत्सर्जन हासिल करना |
| नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि | पिछले पाँच वर्षों में लगभग 10 GW |
| नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा | कुल स्थापित क्षमता का 60% |
| परिवहन परियोजना | कोयंबटूर की 500 बसों का विद्युतीकरण |
| एलईडी पहल | 2030 तक पाँच लाख स्ट्रीट लाइटों का प्रतिस्थापन |
| राष्ट्रीय लक्ष्य | भारत का 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य |





