सुप्रीम कोर्ट का संशोधित रुख
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने आवारा कुत्तों पर अपने पूर्व आदेश में संशोधन किया है। पहले दिए गए निर्देश में सभी कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर में स्थानांतरित करने की बात थी, जिसे अब तीन-न्यायाधीशों की पीठ को भेजा गया है। नया आदेश सार्वजनिक सुरक्षा और पशु अधिकारों के बीच संतुलन बनाता है और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को एकरूप दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहता है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य निर्देश
- सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक लगाई गई है। इसके बजाय हर नगरपालिका वार्ड में समर्पित फीडिंग ज़ोन बनाए जाएँगे।
- जिन कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और कृमिनाशक दवा हो चुकी है, उन्हें वापस उसी स्थान पर छोड़ा जाएगा जहाँ से उन्हें पकड़ा गया था।
- रेबीज़ से ग्रस्त, संदिग्ध या आक्रामक कुत्तों को छोड़े जाने से छूट दी गई है।
स्थैतिक जीके तथ्य: संविधान का अनुच्छेद 243W नगरपालिकाओं को आवारा कुत्तों के नियंत्रण की जिम्मेदारी देता है।
आवारा कुत्तों को गोद लेना
SC ने पशुप्रेमियों को नगर निगमों के माध्यम से गोद लेने की अनुमति दी है। इससे समुदाय की भागीदारी बढ़ेगी और समस्या को सामाजिक स्तर पर हल करने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों को मिलाकर इसे एक राष्ट्रीय मामले में बदल दिया है। इसके तहत जल्द ही एक एकीकृत राष्ट्रीय नीति आने की संभावना है।
स्थैतिक जीके तथ्य: 2019 की पशुधन गणना के अनुसार भारत में लगभग 1.5 करोड़ आवारा कुत्ते हैं।
सार्वजनिक सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
आक्रामक और रेबीज़ग्रस्त कुत्तों के हमलों से नागरिकों की सुरक्षा खतरे में है।
- भारत में दुनिया के 36% रेबीज़ से होने वाली मौतें होती हैं।
- 99% मानव रेबीज़ मामले कुत्तों के काटने या खरोंचने से होते हैं।
स्थैतिक जीके टिप: रेबीज़ एक ज़ूनोटिक वायरल रोग है जो लक्षण प्रकट होने के बाद लगभग 100% घातक है।
संवैधानिक और कानूनी प्रावधान
- अनुच्छेद 51A(g): नागरिकों का कर्तव्य है कि वे सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा दिखाएँ।
- पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और एनिमल बर्थ कंट्रोल नियम 2023 नसबंदी व टीकाकरण का कानूनी ढाँचा प्रदान करते हैं।
- जल्लिकट्टू मामला (2014): SC ने अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) को जानवरों तक विस्तारित किया।
- People for Elimination of Stray Trouble बनाम AWBI: अदालत ने सड़क कुत्तों को मारने पर रोक लगाई, भले ही वे “समस्याग्रस्त” क्यों न हों।
आगे का रास्ता
SC का संशोधित आदेश सार्वजनिक स्वास्थ्य और पशु कल्याण के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है। आगामी राष्ट्रीय नीति के साथ, भारत से उम्मीद है कि वह मानवता और प्रभावशीलता दोनों पर आधारित रणनीति अपनाएगा।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| SC आदेश | संशोधित दिशा-निर्देश, तीन-न्यायाधीश पीठ को भेजा गया |
| सार्वजनिक भोजन | सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिबंध |
| फीडिंग ज़ोन | हर नगरपालिका वार्ड में बनाए जाएँगे |
| पुनर्स्थापन | नसबंद और टीकाकृत कुत्तों को मूल स्थान पर छोड़ा जाएगा |
| रेबीज़ नीति | संक्रमित/आक्रामक कुत्तों को वापस नहीं छोड़ा जाएगा |
| गोद लेना | नगर निगमों के माध्यम से अनुमति |
| आवारा कुत्तों की संख्या | 1.5 करोड़ (2019 पशुधन गणना) |
| रेबीज़ आँकड़े | भारत में 36% वैश्विक मौतें |
| कानूनी ढाँचा | PCA अधिनियम 1960, ABC नियम 2023 |
| प्रमुख निर्णय | जल्लिकट्टू केस 2014, PEST बनाम AWBI |





