सुप्रीम कोर्ट का ताज़ा निर्णय
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली–एनसीआर क्षेत्र में ग्रीन पटाखों (Green Crackers) के सीमित उपयोग की अस्थायी अनुमति दी है।
यह निर्णय त्योहारों के दौरान लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध (Blanket Ban) में आंशिक राहत प्रदान करता है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह अनुमति केवल पर्यावरणीय संस्थाओं द्वारा तय दिशा–निर्देशों के कड़ाई से पालन के साथ ही लागू होगी।
क्रियान्वयन हेतु मुख्य दिशा-निर्देश
कोर्ट के आदेशानुसार, केवल NEERI (National Environmental Engineering Research Institute) द्वारा स्वीकृत ग्रीन पटाखे ही बिक्री के लिए अनुमत होंगे।
इनका उपयोग केवल स्थानीय प्रशासन द्वारा तय विशेष तिथियों और समय–सीमाओं में किया जा सकेगा।
बैरियम नाइट्रेट (Barium Nitrate) जैसे प्रतिबंधित रसायनों वाले पटाखे पूरी तरह निषिद्ध रहेंगे।
साथ ही, ई–कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से ऑनलाइन बिक्री पर भी प्रतिबंध जारी रहेगा।
स्थैतिक तथ्य: NEERI (CSIR के अधीन) ने ग्रीन पटाखों के फॉर्मुलेशन को 2018 में विकसित किया था।
CPCB द्वारा पर्यावरणीय निगरानी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) इस अवधि के दौरान वायु गुणवत्ता की कड़ी निगरानी करेगा।
संग्रहीत आंकड़ों का उपयोग ग्रीन पटाखों के पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन और भविष्य की नीतियों के निर्धारण में किया जाएगा।
यह कदम भारत की साक्ष्य–आधारित पर्यावरणीय शासन प्रणाली (Evidence-based Environmental Governance) की दिशा में एक और अग्रणी पहल है।
स्थैतिक टिप: CPCB की स्थापना 1974 में Water (Prevention and Control of Pollution) Act के तहत हुई थी और यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अधीन कार्य करता है।
परंपरा और जनस्वास्थ्य के बीच संतुलन
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में संस्कृति और स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
ग्रीन पटाखों की अनुमति देकर न्यायालय ने त्योहारों की भावना को सम्मानित किया, साथ ही वायु गुणवत्ता को सुरक्षित रखने की दिशा में ज़िम्मेदारी दिखाई।
यह निर्णय नागरिकों के पर्यावरणीय रूप से उत्तरदायी उत्सव मनाने के अधिकार को भी स्वीकार करता है।
ग्रीन पटाखों की विशेषता
ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में लगभग 30% कम PM (Particulate Matter) उत्सर्जन करते हैं।
इनमें आर्सेनिक, लिथियम या मरकरी जैसे हानिकारक तत्व नहीं होते।
हालाँकि ये पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त नहीं हैं, लेकिन ये सतत (Sustainable) और पर्यावरण–अनुकूल उत्सव की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं।
स्थैतिक तथ्य: ग्रीन पटाखों की अवधारणा को कानूनी मान्यता Arjun Gopal vs Union of India (2018) मामले के बाद मिली, जिसमें पारंपरिक पटाखों पर प्रतिबंध और ईको–फ्रेंडली विकल्पों को बढ़ावा दिया गया था।
निर्णय का महत्व
यह अस्थायी अनुमति भविष्य की नीति निर्माण के लिए पायलट पहल के रूप में कार्य करेगी।
CPCB द्वारा एकत्र किए गए वायु गुणवत्ता डेटा के आधार पर आगे यह निर्णय लिया जाएगा कि ग्रीन पटाखों को व्यापक स्तर पर अनुमति दी जा सकती है या नहीं।
यह कदम स्वच्छ तकनीकों के उपयोग और जिम्मेदार नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है, जो भारत के सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
सुप्रीम कोर्ट निर्णय | दिल्ली–एनसीआर में ग्रीन पटाखों के सीमित उपयोग की अनुमति |
क्रियान्वयन निकाय | केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) |
स्वीकृत पटाखे | NEERI द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखे |
प्रमुख प्रतिबंध | बैरियम नाइट्रेट वाले पटाखे और ऑनलाइन बिक्री निषिद्ध |
डेवलपर संस्था | CSIR–NEERI |
विकास वर्ष | 2018 |
संबंधित मामला | Arjun Gopal vs Union of India (2018) |
संबंधित मंत्रालय | पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) |
निगरानी मानक | वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index – AQI) |
नीतिगत लक्ष्य | परंपरा और पर्यावरण सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करना |