भारत-चीन संबंधों की पृष्ठभूमि
भारत और चीन एशिया की सबसे प्रभावशाली शक्तियों में गिने जाते हैं। गलवान घाटी संघर्ष (2020) के बाद अविश्वास गहरा गया, लेकिन दोनों देशों ने वैश्विक मुद्दों पर सहयोग की आवश्यकता को स्वीकार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2025 की तिआनजिन SCO समिट यात्रा रिश्तों को पुनः संतुलित करने का प्रयास है। इस बार फोकस सीमा विवादों से हटकर तकनीक–आधारित सहयोग पर है।
स्थैटिक GK तथ्य: SCO की स्थापना 2001 में हुई थी, जिसके सदस्य देशों में चीन, रूस, भारत और मध्य एशियाई देश शामिल हैं।
वैश्विक गवर्नेंस में AI का महत्व
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) चौथी औद्योगिक क्रांति को आगे बढ़ा रही है। यह स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और विनिर्माण को बदल रही है। लेकिन इसके साथ नैतिकता, निगरानी, डेटा दुरुपयोग और रोजगार संकट जैसी चुनौतियाँ भी हैं।
वर्तमान में OECD, G7 और यूरोपीय संघ जैसे प्लेटफार्मों पर पश्चिमी देशों का वर्चस्व है। ग्लोबल साउथ की समन्वित आवाज़ न होने से विकासशील देशों को नुकसान होता है।
स्थैटिक GK टिप: OECD का मुख्यालय पेरिस में है और इसके 38 सदस्य देश हैं।
भारत की AI दृष्टि
भारत एक उभरता हुआ AI केंद्र है। IndiaAI Mission (2024), National Strategy for AI (2018), और AI for India 2.0 (2023) के माध्यम से देश ने नैतिक, समावेशी और पारदर्शी AI को बढ़ावा दिया है।
भारत का AI बाजार 2025 तक 8 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। भारत विकासशील देशों के लिए AI तक समान पहुंच की वकालत करता है और GPAI (2020) का प्रमुख सदस्य है।
स्थैटिक GK तथ्य: GPAI की स्थापना भारत, फ्रांस और कनाडा सहित कई देशों ने मिलकर 2020 में की थी।
चीन की AI नेतृत्व क्षमता
चीन खुद को वैश्विक AI अनुसंधान और अनुप्रयोग केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है। इसका AI उद्योग 140 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का है और 2030 तक विश्व नेतृत्व का लक्ष्य रखता है।
Global AI Governance Initiative (2023) और Shanghai Declaration (2024) में समावेशिता, समानता और साउथ–साउथ सहयोग पर बल दिया गया। चीन AI को वैश्विक सार्वजनिक वस्तु मानता है।
स्थैटिक GK तथ्य: शंघाई घोषणा 2024 ने विकासशील देशों के लिए न्यायसंगत AI पर फोकस किया।
संयुक्त सहयोग की संभावनाएँ
भारत और चीन की क्षमताएँ पूरक हैं। भारत नैतिकता और समावेशिता पर जोर देता है, जबकि चीन औद्योगिक पैमाने और अवसंरचना उपलब्ध कराता है।
संभावित सहयोग के क्षेत्र:
- डिजिटल डिवाइड को कम करना
- फेयर डेटा–शेयरिंग नियम बनाना
- सतत विकास के लिए AI का उपयोग
इसके लिए एक द्विपक्षीय AI टास्क फोर्स गठित की जा सकती है।
आगे की राह
दोनों देश मिलकर संयुक्त राष्ट्र के तहत Global South AI Forum की मांग कर सकते हैं। इससे पश्चिमी प्रभुत्व को संतुलित करने में मदद मिलेगी।
भारत-चीन का सहयोग AI गवर्नेंस में समावेशी व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करेगा और तकनीक में दक्षिण–दक्षिण सहयोग का उदाहरण बनेगा।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
SCO समिट 2025 | तिआनजिन, चीन |
भारत का AI बाजार | 2025 तक 8 अरब USD |
चीन का AI उद्योग | 140 अरब USD से अधिक |
IndiaAI Mission | 2024 में लॉन्च |
AI for India 2.0 | 2023 में शुरू |
National Strategy for AI | 2018 में जारी |
GPAI | 2020 में लॉन्च (जिम्मेदार AI के लिए) |
शंघाई घोषणा | 2024 में अपनाई गई |
Global AI Governance Initiative | चीन द्वारा 2023 में शुरू |
OECD मुख्यालय | पेरिस, फ्रांस |