अरुणाचल प्रदेश में बढ़ता तनाव
अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी ज़िले में 2,000 मेगावाट की सुबनसिरी अपर जलविद्युत परियोजना (एनएचपीसी) के निर्माण को लेकर व्यापक विरोध भड़क उठा है।
दापोरिजो में हज़ारों स्थानीय निवासी, विद्यार्थी और पर्यावरण समूह इकट्ठा हुए और परियोजना रोकने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने सुबनसिरी नदी की रक्षा और पूर्वजों की ज़मीन बचाने के नारे लगाए।
स्थिर GK तथ्य: सुबनसिरी नदी ब्रह्मपुत्र की सबसे बड़ी सहायक नदी है—तिब्बत (हिमालय) से निकलकर अरुणाचल प्रदेश व असम से होकर बहती है।
परियोजना का विज़न
सरकार का कहना है कि यह बांध नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाएगा और उत्तर-पूर्व में ऊर्जा सुरक्षा मज़बूत करेगा।
एनएचपीसी द्वारा प्रबंधित यह परियोजना 2,000+ मेगावाट स्वच्छ जलविद्युत उत्पन्न करने की उम्मीद के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देगी और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाएगी।
स्थिर GK टिप: एनएचपीसी (1975, फरीदाबाद) भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत विकास कंपनी है।
स्थानीय विरोध और मूल चिंताएँ
सुबनसिरी अपर जलविद्युत परियोजना भूमि प्रभावित जन मंच विरोध का अग्रणी समूह बनकर उभरा है।
मुख्य आशंकाएँ—पारंपरिक भूमि का नुकसान, विस्थापन, सांस्कृतिक क्षरण। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मुआवज़ा पूर्वजों की धरोहर का विकल्प नहीं हो सकता।
स्थिर GK तथ्य: अरुणाचल प्रदेश में 26 से अधिक प्रमुख जनजातियाँ और 100+ उप-जनजातियाँ रहती हैं—यह भारत के सबसे विविधतापूर्ण राज्यों में से एक है।
पर्यावरणीय और भूकंपीय जोखिम
विशेषज्ञों के अनुसार बांध से नाज़ुक हिमालयी पारिस्थितिकी असंतुलित हो सकती है—वनक्षय, नदी प्रवाह में बदलाव, जलीय जैव-विविधता में गिरावट जैसे प्रभाव संभव हैं।
क्षेत्र भूकंपीय क्षेत्र-V में आता है, जो सबसे उच्च जोखिम श्रेणी है—इस कारण भूकंप संवेदनशीलता बड़ी चिंता है।
स्थिर GK टिप: BIS (मानक ब्यूरो) के अनुसार भारत चार भूकंपीय ज़ोन—II, III, IV, V—में बँटा है; ज़ोन-V सबसे अधिक भूकंप-प्रवण है।
सरकार का रुख और आगे की राह
विद्युत मंत्रालय और एनएचपीसी का कहना है कि परियोजना दीर्घकालिक ऊर्जा लाभ सुनिश्चित करेगी। वे वन पुनर्जनन, मत्स्य संरक्षण, पुनर्वास जैसे निवारक/उपशमन उपाय करने का आश्वासन देते हैं।
परंतु सीमित संवाद और लंबित शिकायतें अमल में देरी ला रही हैं। इस विरोध ने सतत जलविद्युत और भागीदारीपूर्ण निर्णय-प्रक्रिया पर बहस को फिर जीवित कर दिया है।
व्यापक विमर्श का प्रतीक
सुबनसिरी आंदोलन भारत की उस चुनौती को रेखांकित करता है जहाँ आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन साधना कठिन है।
यह बताता है कि जनजातीय समुदायों और स्थानीय हितधारकों को योजना-निर्माण में निर्णायक भूमिका देनी होगी। आंदोलन की तीव्रता पर्यावरणीय जागरूकता और आदिवासी अधिकारों के बढ़ते सार्वजनिक समर्थन को दर्शाती है।
स्थिर “Usthadian” वर्तमान घटनाएँ सारणी
विषय | विवरण |
स्थान | अपर सुबनसिरी ज़िला, अरुणाचल प्रदेश |
परियोजना क्षमता | 2,000 मेगावाट |
क्रियान्वयन एजेंसी | एनएचपीसी लिमिटेड |
संबंधित नदी | सुबनसिरी (ब्रह्मपुत्र की सहायक) |
मुख्य मुद्दा | विस्थापन, पर्यावरण क्षरण, सांस्कृतिक हानि |
प्रमुख विरोध समूह | सुबनसिरी अपर HEP भूमि प्रभावित जन मंच |
सरकारी तर्क | स्वच्छ ऊर्जा व क्षेत्रीय विकास |
पर्यावरण चिंता | भूकंपीय जोखिम, जैव-विविधता में कमी |
भूकंपीय ज़ोन | ज़ोन-V (उच्चतम जोखिम) |
एनएचपीसी स्थापना वर्ष | 1975 |