आसियान-भारत संबंधों को मज़बूती
22वां आसियान-भारत शिखर सम्मेलन (ASEAN-India Summit) वर्ष 2025 में मलेशिया में आयोजित किया गया। यह सम्मेलन भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच राजनयिक संबंधों को और गहराई देने की दिशा में एक अहम मील का पत्थर रहा।
दोनों पक्षों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, समृद्धि और समावेशिता के लिए साझा प्रतिबद्धता को दोहराया।
भारत और आसियान ने वर्ष 2022 में अपने संबंधों को “व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership – CSP)” के स्तर पर उन्नत किया था, जिससे सहयोग के नए क्षेत्र खुल गए।
सम्मेलन की प्रमुख उपलब्धियाँ
सम्मेलन में ASEAN-India Plan of Action (2026–2030) को लेकर संयुक्त प्रयासों पर ज़ोर दिया गया।
नेताओं ने ASEAN-India Joint Leaders’ Statement on Sustainable Tourism को अपनाया, जो हरित (Green) और समावेशी विकास पर केंद्रित है।
सबसे महत्वपूर्ण घोषणा रही — 2026 को “ASEAN-India Year of Maritime Cooperation” के रूप में मनाने का निर्णय, जिससे भारत की समुद्री कूटनीति (Maritime Diplomacy) को नई गति मिलेगी।
एक सांस्कृतिक पहल के तहत नालंदा विश्वविद्यालय में दक्षिण-पूर्व एशियाई अध्ययन केंद्र (Centre for Southeast Asian Studies) की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया।
इसके साथ ही East Asia Summit Maritime Heritage Festival की घोषणा भी की गई, जो लोथल (गुजरात) में आयोजित होगा — यह भारत की समुद्री सभ्यता और आसियान देशों के साथ ऐतिहासिक जुड़ाव को दर्शाता है।
स्थैतिक जीके तथ्य: नालंदा विश्वविद्यालय (बिहार) को 2010 में पुनर्जीवित किया गया था और इसे पूर्वी एशियाई देशों के सहयोग से एक अंतरराष्ट्रीय शिक्षण केंद्र के रूप में स्थापित किया गया।
भारत के लिए आसियान का महत्व
आसियान, भारत की एक्ट ईस्ट नीति (Act East Policy) और इंडो-पैसिफिक दृष्टि (Indo-Pacific Vision) का केंद्रीय स्तंभ है।
भारत ने आसियान केंद्रीयता (ASEAN Centrality) के समर्थन को दोहराया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भारत क्षेत्रीय स्थिरता और विकास में आसियान को अहम मानता है।
भारत और आसियान के बीच व्यापारिक संबंध बेहद मज़बूत हैं —
ASEAN-India Trade in Goods Agreement (AITGA), जो 2009 में हस्ताक्षरित हुआ था, ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा दिया है, जो 2024–25 में लगभग USD 123 बिलियन तक पहुँच गया।
स्थैतिक जीके टिप: आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और भारत के कुल व्यापार का लगभग 10% हिस्सा रखता है।
क्षेत्रीय चुनौतियों का संतुलन
भारत और आसियान दोनों का साझा हित दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन और नेविगेशन की स्वतंत्रता (Freedom of Navigation) सुनिश्चित करना है।
ASEAN-India Joint Statement on Maritime Cooperation (2023) ने एकतरफा कार्रवाइयों के विरोध में दोनों की एकजुट स्थिति को दोहराया, जो अप्रत्यक्ष रूप से चीन की बढ़ती आक्रामकता को संतुलित करने का संकेत देता है।
कनेक्टिविटी परियोजनाएँ जैसे कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (Kaladan Project) भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को आसियान देशों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: कलादान परियोजना भारत के सिटवे बंदरगाह (Sittwe Port), म्यांमार को मिज़ोरम से जोड़ती है, जिसमें जलमार्ग और राजमार्ग दोनों का उपयोग किया जाता है।
आसियान सदस्यता का विस्तार
इस शिखर सम्मेलन के दौरान तिमोर लेस्ते (Timor Leste) को 11वें आसियान सदस्य देश के रूप में शामिल किया गया — जो क्षेत्रीय एकीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
यह कदम आसियान की खुली और समावेशी नीति तथा भारत की दक्षिण-पूर्व एशिया के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
स्थैतिक जीके तथ्य: आसियान (ASEAN) की स्थापना 1967 में थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में बैंकॉक घोषणा (Bangkok Declaration) के माध्यम से हुई थी।
स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| 22वां आसियान–भारत शिखर सम्मेलन का मेज़बान देश | मलेशिया |
| व्यापक रणनीतिक साझेदारी (CSP) का वर्ष | 2022 |
| नया आसियान सदस्य देश | तिमोर लेस्ते |
| आसियान गठन वर्ष | 1967 |
| संस्थापक दस्तावेज़ | बैंकॉक घोषणा (Bangkok Declaration) |
| प्रस्तावित भारतीय संस्थान | नालंदा विश्वविद्यालय |
| घोषित थीम वर्ष | 2026 – समुद्री सहयोग का वर्ष |
| मुख्य कनेक्टिविटी परियोजना | कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट |
| द्विपक्षीय व्यापार (2024–25) | USD 123 बिलियन |
| आसियान सदस्य देशों की संख्या (2025) | 11 |





