ओवरव्यू
लोकसभा ने हेल्थ सिक्योरिटी और नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल 2025 को मंज़ूरी दे दी है, जिससे पान मसाला मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर एक नया सेस लगाया जाएगा। इस उपाय का मकसद नेशनल सिक्योरिटी और पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने के लिए एक डेडिकेटेड रेवेन्यू स्ट्रीम देना है, ये दो सेक्टर लंबे समय की स्ट्रेटेजिक प्रायोरिटी के तौर पर पहचाने गए हैं। यह बिल उन इंडस्ट्रीज़ को टारगेट करता है जिनका सोशल और हेल्थ पर खास असर पड़ता है, और वेलफेयर और सिक्योरिटी सिस्टम के लिए लगातार फिस्कल सपोर्ट पक्का करता है।
नए सेस का मकसद
इसका मुख्य लक्ष्य पान मसाला और उससे जुड़े प्रोडक्ट्स को बनाने में इस्तेमाल होने वाली मशीनों और प्रोसेस पर टैक्स लगाकर अंदाज़ा लगाया जा सकने वाला, तय रेवेन्यू कमाना है। सरकार ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि ये फंड्स बेहतर सिक्योरिटी तैयारी और बेहतर हेल्थ नतीजों में मदद करेंगे, खासकर उन इलाकों में जहां ऐसे सामानों की खपत ज़्यादा है।
स्टेटिक GK फैक्ट: संविधान पब्लिक हेल्थ को स्टेट लिस्ट में रखता है, जिससे स्टेट-सेंट्रिक हेल्थ फाइनेंसिंग की अहमियत और बढ़ जाती है।
राज्यों को रेवेन्यू डिस्ट्रीब्यूशन
फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने साफ किया कि सेस से होने वाली कमाई राज्यों के साथ उनकी पब्लिक हेल्थ जिम्मेदारियों के हिसाब से शेयर की जाएगी। उन्होंने दोहराया कि इस कदम से GST कलेक्शन में कोई बदलाव नहीं आएगा, क्योंकि पान मसाला पर GST रेट 40% पर ही रहेगा। इससे इनडायरेक्ट टैक्स स्ट्रक्चर में कंटिन्यूटी बनी रहती है और राज्यों को एक्स्ट्रा फिस्कल स्पेस मिलता है।
स्टेटिक GK टिप: भारत में 1 जुलाई 2017 को GST लागू हुआ था, जिसने कई इनडायरेक्ट टैक्स की जगह एक यूनिफाइड नेशनल स्ट्रक्चर बनाया।
ऑपरेशनल मैकेनिज्म
सेस रिटेल-लेवल सेल्स के बजाय मशीनों की प्रोडक्शन कैपेसिटी के आधार पर लगाया जाएगा। यह तरीका रेवेन्यू लीकेज को रोकने, कम्प्लायंस को बेहतर बनाने और रेगुलर कलेक्शन पक्का करने के लिए बनाया गया है। फाइनेंस मिनिस्टर ने बताया कि मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में सेस का कुल रेवेन्यू में 6.1% हिस्सा है, जो 2010 और 2014 के बीच दर्ज लेवल से कम है। इस एडिशनल सेस का मकसद कंज्यूमर्स पर सीधे बोझ डाले बिना रेवेन्यू मिक्स को स्टेबल करना है।
फिस्कल इंपॉर्टेंस और बड़े असर
यह बिल सोशल और सिक्योरिटी लक्ष्यों को पाने के लिए टारगेटेड फिस्कल टूल्स को लागू करने की एक बड़ी सरकारी स्ट्रैटेजी का हिस्सा है। डॉक्यूमेंटेड हेल्थ रिस्क वाले सेक्टर से रेवेन्यू का फायदा उठाकर, सरकार का मकसद नेशनल सिक्योरिटी प्लानिंग और पब्लिक हेल्थ सर्विस डिलीवरी में लॉन्ग-टर्म सस्टेनेबिलिटी को मजबूत करना है।
स्टैटिक GK फैक्ट: भारत का हेल्थ और फैमिली वेलफेयर मिनिस्ट्री 1947 में बना था, जिससे ऑर्गनाइज्ड नेशनल पब्लिक हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन की शुरुआत हुई।
पॉलिसी इंपॉर्टेंस
यह कदम प्रॉब्लम-स्पेसिफिक खर्च के लिए थीमैटिक टैक्सेशन की ओर बदलाव को दिखाता है। सेस-बेस्ड फाइनेंसिंग सरकार को बड़े टैक्स रेट्स को रीस्ट्रक्चर किए बिना प्रायोरिटी सेक्टर्स के लिए फंड्स को रिंग-फेंस करने की अनुमति देता है। कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी के लिए, यह बिल फिस्कल पॉलिसी, हेल्थ गवर्नेंस और सेंटर-स्टेट फाइनेंशियल कोऑपरेशन में एक अहम डेवलपमेंट को दिखाता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| Topic | Detail |
| विधेयक का नाम | हेल्थ सिक्योरिटी और नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल 2025 |
| पारित करने वाला सदन | लोकसभा |
| लक्षित क्षेत्र | पान मसाला विनिर्माण इकाइयाँ |
| उपकर प्रकार | मशीनों की उत्पादन क्षमता पर लगाया जाने वाला सेस |
| GST प्रभाव | पान मसाला पर GST 40% की सीमा में ही रहेगा |
| राजस्व साझाकरण | उपकर से प्राप्त राशि राज्यों के साथ साझा की जाएगी |
| राजकोषीय टिप्पणी | वर्तमान वित्त वर्ष में कुल सकल राजस्व का 6.1% सेस से प्राप्त |
| उद्देश्य | राष्ट्रीय सुरक्षा और जन स्वास्थ्य के लिए धन संग्रह |
| प्रमुख मंत्रालय | वित्त मंत्रालय |
| व्यापक संदर्भ | कल्याण एवं सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए लक्षित राजकोषीय उपकरण |





