परिचय
कोयला खदान और इस्पात पर स्थायी समिति ने इस्पात कबाड़ पुनर्चक्रण नीति (SSRP) पर अपनी रिपोर्ट जारी की है। यह नीति इस्पात मंत्रालय द्वारा 2019 में अधिसूचित की गई थी और इसका उद्देश्य भारत में परिपत्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और इस्पात कबाड़ क्षेत्र को औपचारिक रूप देना है। रिपोर्ट में महत्वपूर्ण कमियों को उजागर किया गया है और पुनर्चक्रण को मजबूत करने के लिए रोडमैप सुझाया गया है।
SSRP के उद्देश्य
इस नीति का लक्ष्य 6R—Reduce, Reuse, Recycle, Recover, Redesign, Remanufacture—को लागू करना है ताकि संसाधनों का सतत प्रबंधन हो सके। इसका उद्देश्य जीवन-चक्र समाप्त उत्पादों को इकट्ठा करने, तोड़ने और संसाधित करने के लिए औपचारिक और वैज्ञानिक तरीकों की स्थापना करना है, जिससे फेरस, नॉन–फेरस और धात्विक कबाड़ निकाला जा सके।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत कच्चे इस्पात का उत्पादन करने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है, चीन के बाद।
रिपोर्ट में उजागर चुनौतियां
समिति ने कई बाधाएं चिन्हित की हैं:
- इस्पात कबाड़ का व्यापक डाटाबेस नहीं है।
- कबाड़ मामलों के लिए नामित नोडल मंत्रालय का अभाव।
- औपचारिक कबाड़ बाजारों का न होना।
- इस्पात कबाड़ पुनर्चक्रण क्षेत्र को उद्योग का दर्जा न मिलना।
- श्रमिकों में कौशल और प्रमाणन की कमी।
- प्रोसेसिंग केंद्रों में पुरानी तकनीकों का उपयोग।
मुख्य सिफारिशें
रिपोर्ट में इस्पात कबाड़ के लिए एक मजबूत डाटाबेस और ऑनलाइन पोर्टल बनाने की सिफारिश की गई है, जिसमें उत्पादन, उपयोग, नीतियां और वैश्विक तुलना से जुड़ा अद्यतन डेटा हो। इस्पात मंत्रालय को नोडल एजेंसी बनाने का सुझाव दिया गया है, जो राज्यवार और क्षेत्रवार डेटा तैयार करे।
कबाड़ क्षेत्र का औपचारिकरण
समिति ने असंगठित कबाड़ क्षेत्र को औपचारिक बनाने पर जोर दिया, जिसमें कबाड़ी और डिस्मेंटलर को सहकारी समितियों में संगठित करना शामिल है, ताकि आर्थिक और सामाजिक लाभ मिल सकें।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत की कुल कार्यबल का 80% से अधिक हिस्सा असंगठित क्षेत्र में है।
उद्योग का दर्जा और निवेश
कबाड़ पुनर्चक्रण क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देने से घरेलू और विदेशी निवेश आकर्षित होंगे, रोजगार सृजित होंगे और कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा। यह मेक इन इंडिया जैसी राष्ट्रीय विनिर्माण पहलों से इस क्षेत्र को जोड़ने में मदद करेगा।
कौशल विकास पहल
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) को कबाड़ प्रबंधन के लिए प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू करने चाहिए और श्रमिकों व उद्यमियों को भविष्य की जरूरतों के अनुरूप प्रशिक्षित करना चाहिए।
तकनीक अपनाना
कबाड़ प्रसंस्करण केंद्रों को एआई–संचालित ऑप्टिकल सेंसर, ब्लॉकचेन आधारित ट्रेसबिलिटी, और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करना चाहिए जो एग्रीगेटर्स को इस्पात मिलों से जोड़ें। इससे दक्षता, पारदर्शिता और गुणवत्ता में सुधार होगा।
स्थैतिक जीके टिप: भारत में पहली इस्पात कबाड़ पुनर्चक्रण नीति 2019 में शुरू हुई थी।
Static Usthadian Current Affairs Table
तथ्य | विवरण |
SSRP अधिसूचित वर्ष | 2019 |
अनुशंसित नोडल मंत्रालय | इस्पात मंत्रालय |
SSRP का मुख्य फोकस | परिपत्र अर्थव्यवस्था (6R) |
उद्योग का दर्जा मिलने वाला क्षेत्र | कबाड़ पुनर्चक्रण क्षेत्र |
कौशल विकास एजेंसी | राष्ट्रीय कौशल विकास निगम |
सुझाई गई आधुनिक तकनीक | एआई संचालित ऑप्टिकल सेंसर, ब्लॉकचेन |
लक्षित कार्यबल | कबाड़ प्रबंधक, डिस्मेंटलर, उद्यमी |
असंगठित क्षेत्र का औपचारिकरण | कबाड़ी और डिस्मेंटलर के लिए सहकारी समितियां |
प्रमुख चुनौती | इस्पात कबाड़ का डाटाबेस न होना |
भारत की वैश्विक इस्पात रैंक | दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक |