भारतीय समुद्री पर्यटन में ऐतिहासिक उपलब्धि
एक ऐतिहासिक घटना में, यात्री जहाज ‘सिंधु’ ने बेरन द्वीप (Barren Island) की अपनी पहली यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की, जिससे भारत ने ज्वालामुखी आधारित संरचित पर्यटन में प्रवेश किया।
यह पहल अंडमान और निकोबार प्रशासन द्वारा शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य सतत समुद्री पर्यटन (Sustainable Maritime Tourism) को बढ़ावा देना और भारत के एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी तक सार्वजनिक पहुँच प्रदान करना है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: बेरन द्वीप, जो अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह का हिस्सा है, दक्षिण एशिया का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है और हिंद महासागर में ज्ञात कुछ ज्वालामुखियों में से एक है।
बेरन द्वीप – भारत का ज्वालामुखीय प्रतीक
बेरन द्वीप, पोर्ट ब्लेयर से लगभग 140 किलोमीटर उत्तर–पूर्व में स्थित है और यह भारतीय और बर्मी टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन क्षेत्र में ज्वालामुखीय गतिविधियों से निर्मित एक भूगर्भीय चमत्कार है।
इस ज्वालामुखी में समय-समय पर विस्फोट हुए हैं — प्रमुख रूप से 1991, 1995 और 2017 में।
पहले इस द्वीप तक पहुँच केवल वैज्ञानिकों और शोध दलों को थी, लेकिन अब इस नई पहल के तहत सुरक्षित और नियंत्रित सार्वजनिक पर्यटन को अनुमति दी गई है, ताकि पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित किए जा सकें।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान टिप: अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश है, जिसमें 570 से अधिक द्वीप हैं, जिनमें से केवल लगभग 30 आबाद हैं।
पहली ऐतिहासिक यात्रा का अनुभव
24 अक्टूबर 2025 की रात 9 बजे, पोर्ट ब्लेयर के हड्डो व्हार्फ (Haddo Wharf) से सिंधु जहाज रवाना हुआ। इसमें 500 यात्री सवार थे, जिनमें 125 सरकारी विद्यालयों के छात्र शामिल थे।
इस यात्रा को मुख्य सचिव डॉ. चंद्र भूषण कुमार ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने इस यात्रा को क्षेत्रीय पर्यटन और समुद्री शिक्षा को प्रोत्साहन देने वाला कदम बताया।
सूर्योदय के समय यात्रियों ने बेरन द्वीप के धधकते लाल ज्वालामुखीय क्रेटर का अद्भुत दृश्य देखा — जिसे “एक जीवन में एक बार मिलने वाला अनुभव” बताया गया।
जहाज ने द्वीप का परिक्रमा कर 24 घंटे से कम समय में पोर्ट ब्लेयर वापसी की, इस प्रकार ऐतिहासिक राउंड ट्रिप को पूरा किया।
सिंधु की सुविधाएँ और विशेषताएँ
सिंधु को यात्रियों के आराम और रोमांच दोनों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इसमें चार प्रकार की आवास श्रेणियाँ हैं:
कोरल सुइट (Coral Suite), रीफ सुइट (Reef Suite), आइलैंड ब्रीज़ (Island Breeze) और लैगून क्लास (Lagoon Class) — जो विभिन्न श्रेणी के यात्रियों की जरूरतों के अनुसार हैं।
सभी भोजन सहित पैकेज का ₹2,000 का अतिरिक्त शुल्क रखा गया है, जिससे यह यात्रा पर्यटकों और छात्रों दोनों के लिए सुलभ और समावेशी बनती है।
जहाज में स्वच्छ केबिन, गाइडेड टूर, और पर्यावरण जागरूकता सत्र जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जो उत्तरदायी पर्यटन (Responsible Tourism) को बढ़ावा देती हैं।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: भारतीय नौवहन निगम (Shipping Corporation of India – SCI) और अंडमान प्रशासन ने दूरस्थ द्वीपों को यात्री एवं मालवाहक जहाजों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अंडमान पर्यटन को नई दिशा
यह यात्रा अंडमान पर्यटन में एक नया अध्याय खोलती है, जो अब केवल समुद्र तटों और कोरल रीफ तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भू–पर्यटन (Geo-tourism) और शैक्षिक यात्राओं तक विस्तारित होगा।
सिंधु की सफलता भविष्य में हेवलॉक, नील और लिटिल अंडमान जैसे द्वीपों को भी जोड़ने वाले पर्यावरण–अनुकूल (Eco-friendly) पर्यटन मार्गों के विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
यह पहल भारत के ब्लू इकॉनमी (Blue Economy) के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें पर्यटन, समुद्री शिक्षा और संरक्षण को एकीकृत किया गया है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| जहाज का नाम | सिंधु |
| गंतव्य | बेरन द्वीप – भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी |
| पोर्ट ब्लेयर से दूरी | लगभग 140 किमी |
| यात्रा का शुभारंभ | डॉ. चंद्र भूषण कुमार, मुख्य सचिव |
| यात्रा तिथि | 24 अक्टूबर 2025 |
| यात्री संख्या | 500 (जिसमें 125 छात्र शामिल) |
| आवास श्रेणियाँ | कोरल सुइट, रीफ सुइट, आइलैंड ब्रीज़, लैगून क्लास |
| यात्रा अवधि | 24 घंटे से कम |
| आयोजन संस्था | अंडमान और निकोबार प्रशासन |
| महत्व | सक्रिय ज्वालामुखी के लिए पहली यात्री यात्रा, सतत पर्यटन को बढ़ावा |





