अलग जनगणना की पहल
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने प्रस्ताव रखा है कि आगामी 2027 की जनगणना में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) की अलग गणना की जाए। यदि इसे मंजूरी मिलती है, तो भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त (RGI) पहली बार इन्हें अलग श्रेणी में दर्ज करेंगे।
पिछली जनगणनाओं में PVTGs की गणना अधूरी रही। 2011 की जनगणना में 75 में से केवल 40 समूहों को अनुसूचित जनजाति के रूप में गिना गया, शेष बड़े जनजातीय समुदायों में मिला दिए गए।
स्थैटिक GK तथ्य: भारत में पहली आधुनिक जनगणना 1872 में ब्रिटिश शासन के दौरान की गई थी।
अलग गणना का महत्व
PVTGs अब भी शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका जैसी मूलभूत सेवाओं से वंचित हैं। इनकी अलग पहचान आवश्यक है ताकि पीएम–जनमन जैसे लक्षित कार्यक्रम, जो 200 से अधिक जिलों में लागू है, प्रभावी रूप से चल सकें।
सटीक आंकड़ों के अभाव में कई उप-समूह नीतियों की कवरेज से बाहर रह जाते हैं, जिससे उनकी वास्तविक जनसंख्या और विकास संबंधी ज़रूरतों का आकलन कठिन हो जाता है।
कौन हैं PVTGs
PVTGs अनुसूचित जनजातियों में सबसे अधिक हाशिये पर हैं। इन्हें पहली बार 1960 के दशक में धेबर आयोग ने मान्यता दी थी। भारत में वर्तमान में 18 राज्यों और अंडमान–निकोबार द्वीपसमूह में 75 PVTGs निवास करते हैं।
हालिया सरकारी सर्वेक्षण में इनकी कुल आबादी लगभग 45.56 लाख आंकी गई। सबसे अधिक आबादी मध्यप्रदेश (12.28 लाख), महाराष्ट्र (6.2 लाख) और आंध्रप्रदेश (4.9 लाख) में है।
स्थैटिक GK तथ्य: अंडमान के सेंटिनलीज़ जनजाति, जो बाहरी संपर्क से संरक्षित है, PVTGs में शामिल है।
पहचान के मानदंड
सरकार PVTGs की पहचान इन आधारों पर करती है:
- कृषि-पूर्व तकनीक का स्तर
- निम्न साक्षरता दर
- आर्थिक पिछड़ापन
- घटती या स्थिर जनसंख्या
ये मानदंड इन्हें अन्य जनजातीय समुदायों से अलग करते हैं और इनकी अत्यधिक असुरक्षा को दर्शाते हैं।
महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त की भूमिका
RGI (1949 में स्थापित), गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। इसकी प्रमुख जिम्मेदारियाँ हैं:
- जनगणना (Census Act, 1948)
- जन्म-मृत्यु पंजीकरण (RBD Act, 1969)
- सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम
- राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR)
- मातृभाषा सर्वेक्षण
स्थैटिक GK टिप: भारत में जनगणना का कानूनी आधार जनगणना अधिनियम, 1948 है।
आगे की राह
PVTGs की अलग जनगणना से बेहतर कल्याणकारी योजनाएँ बनाई जा सकेंगी और इन्हें राष्ट्रीय सांख्यिकी में उचित स्थान मिलेगा। यह कदम क्षेत्र-विशेष और समुदाय-विशेष योजनाओं का मार्ग प्रशस्त करेगा और देश के सबसे कमजोर जनजातीय समूहों की पहचान और संरक्षण को मजबूत करेगा।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
भारत में कुल PVTGs | 75 |
राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में उपस्थिति | 18 राज्य + अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह |
अनुमानित जनसंख्या | 45.56 लाख |
सबसे बड़ी PVTG आबादी | मध्यप्रदेश (12.28 लाख) |
पहचान करने वाला आयोग | धेबर आयोग, 1960s |
2011 में कवर हुए समूह | केवल 40 में से 75 |
प्रमुख योजना | पीएम-जनमन |
RGI की स्थापना | 1949 |
जनगणना का कानूनी आधार | जनगणना अधिनियम, 1948 |
सिविल पंजीकरण कानून | जन्म-मृत्यु अधिनियम (RBD Act), 1969 |