सितम्बर 12, 2025 9:03 अपराह्न

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों के लिए अलग जनगणना योजना

चालू घटनाएँ: जनजातीय मंत्रालय, PVTGs जनगणना, भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त, पीएम-जनमन, धेबर आयोग, 2011 जनगणना, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, अंडमान-निकोबार जनजातियाँ, सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम

Separate Census Plan for Particularly Vulnerable Tribal Groups

अलग जनगणना की पहल

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने प्रस्ताव रखा है कि आगामी 2027 की जनगणना में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) की अलग गणना की जाए। यदि इसे मंजूरी मिलती है, तो भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त (RGI) पहली बार इन्हें अलग श्रेणी में दर्ज करेंगे।
पिछली जनगणनाओं में PVTGs की गणना अधूरी रही। 2011 की जनगणना में 75 में से केवल 40 समूहों को अनुसूचित जनजाति के रूप में गिना गया, शेष बड़े जनजातीय समुदायों में मिला दिए गए।
स्थैटिक GK तथ्य: भारत में पहली आधुनिक जनगणना 1872 में ब्रिटिश शासन के दौरान की गई थी।

अलग गणना का महत्व

PVTGs अब भी शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका जैसी मूलभूत सेवाओं से वंचित हैं। इनकी अलग पहचान आवश्यक है ताकि पीएमजनमन जैसे लक्षित कार्यक्रम, जो 200 से अधिक जिलों में लागू है, प्रभावी रूप से चल सकें।
सटीक आंकड़ों के अभाव में कई उप-समूह नीतियों की कवरेज से बाहर रह जाते हैं, जिससे उनकी वास्तविक जनसंख्या और विकास संबंधी ज़रूरतों का आकलन कठिन हो जाता है।

कौन हैं PVTGs

PVTGs अनुसूचित जनजातियों में सबसे अधिक हाशिये पर हैं। इन्हें पहली बार 1960 के दशक में धेबर आयोग ने मान्यता दी थी। भारत में वर्तमान में 18 राज्यों और अंडमाननिकोबार द्वीपसमूह में 75 PVTGs निवास करते हैं।
हालिया सरकारी सर्वेक्षण में इनकी कुल आबादी लगभग 45.56 लाख आंकी गई। सबसे अधिक आबादी मध्यप्रदेश (12.28 लाख), महाराष्ट्र (6.2 लाख) और आंध्रप्रदेश (4.9 लाख) में है।
स्थैटिक GK तथ्य: अंडमान के सेंटिनलीज़ जनजाति, जो बाहरी संपर्क से संरक्षित है, PVTGs में शामिल है।

पहचान के मानदंड

सरकार PVTGs की पहचान इन आधारों पर करती है:

  • कृषि-पूर्व तकनीक का स्तर
  • निम्न साक्षरता दर
  • आर्थिक पिछड़ापन
  • घटती या स्थिर जनसंख्या

ये मानदंड इन्हें अन्य जनजातीय समुदायों से अलग करते हैं और इनकी अत्यधिक असुरक्षा को दर्शाते हैं।

महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त की भूमिका

RGI (1949 में स्थापित), गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। इसकी प्रमुख जिम्मेदारियाँ हैं:

  • जनगणना (Census Act, 1948)
  • जन्म-मृत्यु पंजीकरण (RBD Act, 1969)
  • सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम
  • राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR)
  • मातृभाषा सर्वेक्षण

स्थैटिक GK टिप: भारत में जनगणना का कानूनी आधार जनगणना अधिनियम, 1948 है।

आगे की राह

PVTGs की अलग जनगणना से बेहतर कल्याणकारी योजनाएँ बनाई जा सकेंगी और इन्हें राष्ट्रीय सांख्यिकी में उचित स्थान मिलेगा। यह कदम क्षेत्र-विशेष और समुदाय-विशेष योजनाओं का मार्ग प्रशस्त करेगा और देश के सबसे कमजोर जनजातीय समूहों की पहचान और संरक्षण को मजबूत करेगा।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
भारत में कुल PVTGs 75
राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में उपस्थिति 18 राज्य + अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह
अनुमानित जनसंख्या 45.56 लाख
सबसे बड़ी PVTG आबादी मध्यप्रदेश (12.28 लाख)
पहचान करने वाला आयोग धेबर आयोग, 1960s
2011 में कवर हुए समूह केवल 40 में से 75
प्रमुख योजना पीएम-जनमन
RGI की स्थापना 1949
जनगणना का कानूनी आधार जनगणना अधिनियम, 1948
सिविल पंजीकरण कानून जन्म-मृत्यु अधिनियम (RBD Act), 1969
Separate Census Plan for Particularly Vulnerable Tribal Groups
  1. जनजातीय मंत्रालय 2027 में अलग से विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों की जनगणना की योजना बना रहा है।
  2. भारत के महापंजीयक (आरजीआई) जनगणना कराएँगे।
  3. भारत के 18 राज्यों और अंडमान एवं निकोबार में 75 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह हैं।
  4. कुल विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों की जनसंख्या: 45.56 लाख।
  5. मध्य प्रदेश में सबसे ज़्यादा जनसंख्या (12.28 लाख)।
  6. इसके बाद महाराष्ट्र (6.2 लाख) और आंध्र प्रदेश (4.9 लाख) का स्थान है।
  7. ढेबर आयोग (1960 के दशक) ने सबसे पहले विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों की पहचान की थी।
  8. 2011 की जनगणना में 75 में से केवल 40 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों की गणना की गई थी।
  9. विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों के मानदंड: कम साक्षरता, आर्थिक पिछड़ापन, स्थिर जनसंख्या।
  10. पीएम-जनमन 200 से ज़्यादा ज़िलों में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों के कल्याण को कवर करता है।
  11. सेंटिनली (अंडमान) अलगाव संरक्षण प्राप्त एक विशेष जनजाति समूह (पीवीटीजी) है।
  12. गृह मंत्रालय के तहत 1949 में आरजीआई की स्थापना की गई।
  13. जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जनगणना की गई।
  14. नागरिक पंजीकरण प्रणाली (आरबीडी अधिनियम, 1969) जन्म और मृत्यु पर नज़र रखती है।
  15. लक्षित योजनाओं के लिए विशेष जनजातियों को सटीक आंकड़ों की आवश्यकता होती है।
  16. अलग जनगणना बेहतर समावेशन और योजना सुनिश्चित करती है।
  17. नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर।
  18. मातृभाषा सर्वेक्षण भी आरजीआई के अंतर्गत।
  19. सबसे हाशिए पर रहने वाले आदिवासी समूहों में विशेष जनजाति समूह शामिल हैं।
  20. यह कदम विशेष जनजातियों की पहचान और सांस्कृतिक अस्तित्व की रक्षा करता है।

Q1. भारत में आधिकारिक रूप से कितने पीवीटीजी (PVTGs) की पहचान की गई है?


Q2. 1960 के दशक में किस आयोग ने सबसे पहले पीवीटीजी (PVTGs) को मान्यता दी थी?


Q3. किस राज्य में पीवीटीजी (PVTG) जनसंख्या सबसे अधिक है?


Q4. भारत में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) की स्थापना कब की गई थी?


Q5. भारत में जनगणना कार्य किस अधिनियम के तहत संचालित किया जाता है?


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