सांबा धान की बुवाई में गिरावट
इस वर्ष कावेरी डेल्टा क्षेत्रों में सांबा धान की बुवाई में भारी कमी देखी गई है।
कुल 1 लाख एकड़ भूमि पर ही सांबा धान की बुवाई हुई है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 3.2 लाख एकड़ थी।
इस कमी का मुख्य कारण फरवरी से अप्रैल के बीच हुई असमय बारिश के कारण कुरुवई सीजन में देर से बुवाई है।
स्थिर GK तथ्य: कावेरी डेल्टा को “तमिलनाडु का धान कटोरा (Rice Bowl of Tamil Nadu)” कहा जाता है क्योंकि यहाँ धान की उत्पादकता बहुत अधिक है।
कुरुवई सीजन – सकारात्मक प्रदर्शन
इसके विपरीत, कुरुवई धान की बुवाई में वृद्धि हुई है।
इस वर्ष 6 लाख एकड़ से अधिक भूमि पर कुरुवई धान की खेती की गई, जो सामान्य 4.4 लाख एकड़ और पिछले वर्ष की 3.9 लाख एकड़ से अधिक है।
सही समय पर बुवाई के कारण फसल की घनत्व दर अधिक रही, लेकिन इसकी देरी से कटाई ने सांबा फसल की बुवाई को प्रभावित किया।
कटाई में देरी और उसका प्रभाव
कुरुवई फसल की कटाई में देरी सांबा धान की कमी का प्रमुख कारण रही।
मयिलादुथुरै जिले में सितंबर के अंत तक लगभग 25% खेतों की कटाई नहीं हो पाई थी।
इस देरी के कारण किसान सांबा धान की बुवाई समय पर नहीं कर पाए, जिससे पूरे फसल चक्र पर असर पड़ा।
स्थिर GK टिप: तमिलनाडु भारत के प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में से एक है, जिसमें कावेरी डेल्टा अकेले राज्य के कुल धान उत्पादन का 38% योगदान देता है।
कुल धान उत्पादन
2023–24 में तमिलनाडु का कुल धान उत्पादन 70.5 लाख टन रहा, जिसमें से कावेरी डेल्टा का योगदान 26.9 लाख टन था।
यह क्षेत्र राज्य की खाद्य सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
समय पर बुवाई और प्रभावी जल प्रबंधन उत्पादकता बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
सरकारी उपाय
राज्य सरकार धान बुवाई क्षेत्र की निगरानी कर रही है।
सरकार ने किसानों को वैकल्पिक बुवाई कार्यक्रम और सिंचाई सहायता प्रदान करने की सलाह दी है ताकि असमय बारिश के प्रभावों को कम किया जा सके।
इन कदमों का उद्देश्य सांबा धान की स्थिरता बनाए रखना और कुल उत्पादन में गिरावट को रोकना है।
स्थिर GK तथ्य: कावेरी डेल्टा तंजावुर, तिरुवरूर और नागपट्टिनम जिलों में फैला है, जो भारत के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है।
आने वाली चुनौतियाँ
सांबा धान की बुवाई अब भी कई चुनौतियों का सामना कर रही है —
• जलवायु परिवर्तन
• पूर्ववर्ती फसलों की कटाई में देरी
• जल उपलब्धता की समस्या
इन चुनौतियों का समाधान करना तमिलनाडु की धान उत्पादकता को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
स्थिर GK टिप: सांबा धान आमतौर पर अगस्त–सितंबर में बोया जाता है और जनवरी–फरवरी में काटा जाता है, इसलिए यह पूर्ववर्ती फसलों की देरी से अत्यधिक प्रभावित होता है।
स्थिर “Usthadian” वर्तमान घटनाएँ सारणी
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
सांबा धान बुवाई क्षेत्र | 2025 – 1 लाख एकड़, पिछला वर्ष – 3.2 लाख एकड़ |
कुरुवई बुवाई क्षेत्र | इस वर्ष 6 लाख एकड़ से अधिक |
कमी का कारण | असमय बारिश से हुई देर से बुवाई |
कटाई में देरी | मयिलादुथुरै में सितंबर तक 25% खेतों की कटाई अधूरी |
कुल धान उत्पादन (2023–24) | 70.5 लाख टन |
कावेरी डेल्टा का योगदान | 26.9 लाख टन (38%) |
प्रमुख जिले | तंजावुर, तिरुवरूर, नागपट्टिनम |
सांबा बुवाई मौसम | अगस्त–सितंबर |
सांबा कटाई मौसम | जनवरी–फरवरी |
सरकारी उपाय | वैकल्पिक बुवाई कार्यक्रम, सिंचाई सहायता |