हिम तेंदुआ आबादी में वृद्धि
हिमाचल प्रदेश में हिम तेंदुओं की संख्या 2021 में 51 से बढ़कर 2025 में 83 हो गई है, जो 62% की उल्लेखनीय वृद्धि है। यह भारत के हिमालयी परिदृश्य में सबसे बड़ी संरक्षण सफलताओं में से एक है। यह आँकड़ा राज्य और राष्ट्रीय योजनाओं के अंतर्गत निरंतर निगरानी और संरक्षण प्रयासों को दर्शाता है।
आवास और विस्तार
वैज्ञानिक नाम Panthera uncia वाले हिम तेंदुए एशिया के 12 देशों में पाए जाते हैं, जिनमें भारत, नेपाल, भूटान, चीन और मंगोलिया शामिल हैं। भारत में ये हिमालयी और ट्रांस-हिमालयी क्षेत्रों जैसे हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, उत्तराखंड और सिक्किम में पाए जाते हैं।
स्टैटिक जीके तथ्य: भारत में सबसे अधिक हिम तेंदुए लद्दाख में पाए जाते हैं।
अनोखे अनुकूलन
“घोस्ट ऑफ द माउंटेन्स” कहलाने वाले हिम तेंदुए का सफेद-धूसर फर चट्टानी इलाकों में छद्मावरण (camouflage) प्रदान करता है। ये ठंडी जलवायु के लिए अनुकूलित होते हैं, मोटे फर और संतुलन व गर्मी बनाए रखने के लिए लंबी पूँछ का उपयोग करते हैं। इनकी गुप्त प्रवृत्ति के कारण आबादी का अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण होता है।
संरक्षण स्थिति
वैश्विक स्तर पर हिम तेंदुए IUCN रेड लिस्ट में Vulnerable (संकटग्रस्त) श्रेणी में सूचीबद्ध हैं। इन्हें CITES परिशिष्ट I और भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (अनुसूची I) के अंतर्गत भी सुरक्षा प्राप्त है।
स्टैटिक जीके टिप: भारत में केवल अनुसूची-I के अंतर्गत आने वाले जानवरों को अधिकतम कानूनी संरक्षण और शिकार पर कड़ी सज़ा दी जाती है।
प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड
भारत सरकार ने हिम तेंदुओं और उनके नाजुक अल्पाइन पारिस्थितिक तंत्र को बचाने के लिए प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड 2009 में शुरू किया। यह पहल परिदृश्य स्तर पर संरक्षण, सामुदायिक भागीदारी और स्थानीय आजीविका को संरक्षण से जोड़ने पर बल देती है। हिमाचल प्रदेश इस कार्यक्रम के प्रमुख क्रियान्वयन राज्यों में से एक है।
संरक्षण की चुनौतियाँ
प्रगति के बावजूद हिम तेंदुए आवास हानि, शिकार की कमी, अवैध शिकार और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं। मानव-वन्यजीव संघर्ष भी एक चिंता है क्योंकि हिम तेंदुए कभी-कभी ऊँचाई वाले गाँवों में पालतू पशुओं का शिकार कर लेते हैं। पारिस्थितिकी और मानव आवश्यकताओं के बीच संतुलन के लिए प्रभावी शमन कार्यक्रम आवश्यक हैं।
वैश्विक महत्व
हिम तेंदुआ पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र का एक प्रमुख प्रजाति (flagship species) है। इसका संरक्षण अन्य अल्पाइन वन्यजीवों और जल सुरक्षा की भी रक्षा करता है, क्योंकि हिमालयी ग्लेशियर एशिया की प्रमुख नदियों के लिए महत्वपूर्ण स्रोत हैं। ग्लोबल स्नो लेपर्ड एंड इकोसिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम (GSLEP) जैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कार्यक्रम दीर्घकालिक संरक्षण को और मज़बूत बनाते हैं।
स्टैटिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
विषय | विवरण |
हिमाचल में आबादी | 2021 में 51 से बढ़कर 2025 में 83 |
वैज्ञानिक नाम | Panthera uncia |
उपनाम | घोस्ट ऑफ द माउंटेन्स |
विस्तार वाले देश | 12 देश (भारत, नेपाल, चीन, मंगोलिया सहित) |
IUCN स्थिति | Vulnerable |
CITES सूचीकरण | परिशिष्ट I |
भारतीय कानून सुरक्षा | वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972, अनुसूची I |
प्रमुख परियोजना | प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड (2009) |
भारत में मुख्य आवास | लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम |
वैश्विक कार्यक्रम | ग्लोबल स्नो लेपर्ड एंड इकोसिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम |