डिजिटल गोल्ड क्या है?
डिजिटल गोल्ड एक आधुनिक निवेश साधन के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, जिसमें निवेशक बिना भौतिक सोना खरीदे डिजिटल रूप में स्वर्ण इकाइयाँ खरीद सकते हैं।
डिजिटल गोल्ड की प्रत्येक इकाई एक तय मात्रा के वास्तविक सोने का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे सुरक्षित वॉल्ट में संग्रहीत किया जाता है।
कम राशि से निवेश शुरू करने की सुविधा और ऑनलाइन उपलब्धता ने इसे खुदरा निवेशकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना उपभोक्ता है — वार्षिक मांग लगभग 700–800 टन होती है।
SEBI की सार्वजनिक सलाह
SEBI ने हाल ही में एक पब्लिक एडवायजरी जारी कर निवेशकों को डिजिटल गोल्ड / ई-गोल्ड जैसे उत्पादों में निवेश करते समय सावधानी बरतने की सलाह दी है।
SEBI ने स्पष्ट किया कि:
• डिजिटल गोल्ड SEBI के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता
• यह न तो मान्यता प्राप्त सिक्योरिटी है
• और न ही SEBI द्वारा विनियमित कमोडिटी डेरिवेटिव है
फिनटेक प्लेटफॉर्मों और ई-कॉमर्स साइटों के माध्यम से बिना नियमन के बेचे जा रहे इन उत्पादों के कारण सुरक्षा जोखिम बढ़ रहे हैं, और विवादों की स्थिति में निवेशकों को कानूनी सुरक्षा भी नहीं मिलती।
डिजिटल गोल्ड के पीछे की तकनीक
डिजिटल गोल्ड को ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित किया जाता है, जो पारदर्शी लेनदेन और अपरिवर्तनीय रिकॉर्ड सुनिश्चित करती है।
निवेशक ₹1 से भी डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं और इसे प्रमाणित वॉल्ट में डिजिटल रूप से सुरक्षित रख सकते हैं।
हालाँकि तकनीक उन्नत है, लेकिन नियामक ढांचे की अनुपस्थिति इस निवेश को धोखाधड़ी और कुप्रबंधन के जोखिमों के प्रति संवेदनशील बनाती है।
स्थिर जीके टिप: ब्लॉकचेन तकनीक की शुरुआत 2008 में सातोशी नाकामोटो ने की थी और यह बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी के पीछे की मुख्य तकनीक है।
नियामक अंतर और निवेशकों की चिंताएँ
डिजिटल गोल्ड के लिए भारत में कोई कानूनी या नियामक ढांचा मौजूद नहीं है।
SEBI ने कहा कि:
• यह Securities Contracts (Regulation) Act, 1956 के तहत नोटिफाइड सिक्योरिटी नहीं है
• और न ही SEBI Act, 1992 के तहत मान्यता प्राप्त कमोडिटी डेरिवेटिव है
RBI और वित्त मंत्रालय ने भी डिजिटल गोल्ड को अपने नियमन के दायरे में नहीं रखा है, जिसके कारण विवाद होने पर निवेशकों के पास सीमित विकल्प होते हैं।
डिजिटल गोल्ड के सुरक्षित विकल्प
विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि जो निवेशक सोने में रुचि रखते हैं, वे Sovereign Gold Bond (SGB) या Gold ETFs जैसे विनियमित निवेश मार्ग अपनाएँ।
ये उत्पाद SEBI और RBI द्वारा विनियमित होते हैं और:
• पारदर्शिता
• सुरक्षित जमा
• और सरकारी समर्थन
प्रदान करते हैं।
स्थिर जीके तथ्य: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) योजना पहली बार 2015 में शुरू की गई थी और इसमें निवेशकों को 2.5% वार्षिक ब्याज भी मिलता है।
आगे की राह
SEBI की चेतावनी का उद्देश्य छोटे निवेशकों को अनियमित डिजिटल गोल्ड उत्पादों से बचाना और निवेश को औपचारिक वित्तीय ढाँचे में लाना है।
फिनटेक–आधारित निवेश प्लेटफॉर्मों के बढ़ते उपयोग को देखते हुए, भविष्य में डिजिटल एसेट्स के लिए एक व्यापक नियामक ढाँचे की आवश्यकता और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, जहाँ नवाचार और निवेशक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखा जाए।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| परामर्श जारी करने वाला नियामक निकाय | भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) |
| परामर्श का उद्देश्य | अनियमित डिजिटल गोल्ड / ई-गोल्ड में निवेश से सावधान करना |
| डिजिटल गोल्ड की प्रकृति | ब्लॉकचेन आधारित इलेक्ट्रॉनिक स्वर्ण निवेश |
| कानूनी स्थिति | न तो सिक्योरिटी और न ही कमोडिटी डेरिवेटिव |
| उपयोग की गई तकनीक | ब्लॉकचेन लेजर सिस्टम |
| मुख्य जोखिम | निवेशक संरक्षण और नियामक निगरानी का अभाव |
| सुरक्षित विकल्प | सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB), गोल्ड ETFs |
| SGB योजना की शुरुआत | 2015 |
| भारत की वैश्विक सोना उपभोग रैंक | दूसरा स्थान |
| SEBI का उद्देश्य | निवेशक जागरूकता और संरक्षण |





