प्रशासनिक धरोहर की वापसी
चार साल के अंतराल के बाद 150 साल पुरानी “दरबार मूव” परंपरा को आधिकारिक रूप से बहाल किया गया है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस द्विवार्षिक प्रशासनिक परंपरा को पुनर्जीवित करने की घोषणा की, जो जम्मू-कश्मीर की सांस्कृतिक और प्रशासनिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
स्थैतिक जीके तथ्य: दरबार मूव की शुरुआत 1872 में महाराजा गुलाब सिंह, जम्मू-कश्मीर के पहले डोगरा शासक, द्वारा की गई थी।
क्या है “दरबार मूव” परंपरा
“दरबार मूव” के तहत जम्मू और कश्मीर सरकार के कार्यालयों को साल में दो बार मौसम के अनुसार स्थानांतरित किया जाता है।
गर्मियों में श्रीनगर को राजधानी बनाया जाता है, जबकि सर्दियों में जम्मू में प्रशासन संचालित होता है।
इस परंपरा का उद्देश्य कठोर सर्दियों में भी नागरिकों को प्रशासनिक सेवाएँ सुगमता से उपलब्ध कराना था।
समय के साथ यह परंपरा दोनों क्षेत्रों के बीच एकता और संतुलन का प्रतीक बन गई।
चार साल बाद पुनर्स्थापन
यह परंपरा, जिसे 2021 में खर्चों और डिजिटल सुधारों के कारण स्थगित कर दिया गया था, अब सर्दियों 2025 से फिर शुरू होगी।
आयुक्त सचिव एम. राजू के अनुसार, श्रीनगर के सभी सरकारी कार्यालय 31 अक्टूबर 2025 को बंद होंगे और 3 नवंबर 2025 को जम्मू में पुनः खुलेंगे।
शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य सचिवालय, मुख्यमंत्री कार्यालय और 38 प्रमुख विभाग (राजस्व, वन, परिवहन आदि) जम्मू स्थानांतरित होंगे, जबकि 47 विभाग अस्थायी शिविरों से कार्य करेंगे।
स्थैतिक जीके टिप: जम्मू और श्रीनगर के बीच लगभग 270 किलोमीटर की दूरी है, और स्थानांतरण प्रक्रिया में कई दिन लगते हैं।
इसे पहले क्यों रोका गया था
2021 में दरबार मूव को वार्षिक ₹200 करोड़ के व्यय को कम करने के लिए रोक दिया गया था।
हर साल हज़ारों कर्मचारियों और सरकारी फ़ाइलों को दो बार स्थानांतरित करने की प्रक्रिया अत्यधिक महंगी थी।
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने भी टिप्पणी की थी कि इस परंपरा का कोई कानूनी या संवैधानिक दायित्व नहीं है और शासन में सुधार के लिए डिजिटल विकल्पों को अपनाने की सलाह दी थी।
जम्मू की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
2021 में दरबार मूव की समाप्ति से जम्मू के स्थानीय व्यवसायों को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ।
होटल मालिकों, व्यापारियों और परिवहन ऑपरेटरों की आय में उल्लेखनीय गिरावट आई।
जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (JCCI) ने इसकी पुनर्स्थापना की माँग की थी, यह तर्क देते हुए कि इस निर्णय ने हजारों लोगों की आजीविका पर असर डाला।
अब इस परंपरा की वापसी से जम्मू की अर्थव्यवस्था में नई जान आने और मौसमी रोजगार अवसरों के सृजन की उम्मीद है।
स्थैतिक जीके तथ्य: जम्मू को “मंदिरों का शहर” कहा जाता है और यह केंद्र शासित प्रदेश का एक प्रमुख व्यावसायिक केंद्र है।
एकता और सहअस्तित्व का प्रतीक
दरबार मूव केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह जम्मू और कश्मीर घाटी के बीच एकता, संतुलन और सहअस्तित्व का प्रतीक है।
सरकारी कार्यालयों का स्थानांतरण न केवल शासन को सुलभ बनाता है बल्कि सांस्कृतिक संवाद और पारस्परिक समझ को भी प्रोत्साहित करता है।
इसका पुनरुद्धार जम्मू-कश्मीर की संयुक्त पहचान और साझा प्रशासनिक विरासत की पुनः पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है।
स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| परंपरा की शुरुआत वर्ष | 1872 |
| परंपरा के संस्थापक | महाराजा गुलाब सिंह |
| ग्रीष्मकालीन राजधानी | श्रीनगर |
| शीतकालीन राजधानी | जम्मू |
| दोनों राजधानियों के बीच दूरी | 270 किमी |
| स्थगन से पहले वार्षिक खर्च | ₹200 करोड़ |
| स्थगन वर्ष | 2021 |
| पुनर्स्थापन वर्ष | 2025 |
| स्थानांतरित होने वाले प्रमुख विभाग | राजस्व, वन, परिवहन, तकनीकी शिक्षा |
| पुनर्स्थापना की घोषणा करने वाले मुख्यमंत्री | उमर अब्दुल्ला |





