सितंबर में रिकॉर्ड न्यूनतम मुद्रास्फीति
भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) सितंबर 2025 में घटकर 1.54% पर आ गई — जो जून 2017 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 की 2.07% मुद्रास्फीति की तुलना में इसमें तेज गिरावट आई है।
यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं में निरंतर मूल्य अपस्फीति (Food Deflation) और पिछले वर्ष के अनुकूल बेस इफेक्ट के कारण दर्ज की गई।
स्थैतिक जीके तथ्य: उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में होने वाले परिवर्तनों को मापता है और भारत की आधिकारिक खुदरा मुद्रास्फीति दर निर्धारित करता है।
शहरी और ग्रामीण प्रवृत्तियाँ
मुद्रास्फीति में कमी ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में देखी गई, हालांकि ग्रामीण-शहरी अंतर बना रहा।
ग्रामीण मुद्रास्फीति 1.07% रही, जो खाद्य और दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतों में अधिक गिरावट को दर्शाती है।
शहरी मुद्रास्फीति 2.04% रही, जो सेवाओं और ईंधन लागत के कारण थोड़ी अधिक थी।
स्थैतिक जीके टिप: ग्रामीण मुद्रास्फीति आमतौर पर कृषि उत्पादन और मानसून पर निर्भर करती है, जबकि शहरी मुद्रास्फीति पर परिवहन, किराया और सेवाओं की कीमतें अधिक प्रभाव डालती हैं।
खाद्य वस्तुओं में निरंतर अपस्फीति
खाद्य मुद्रास्फीति लगातार चौथे महीने नकारात्मक रही, जिसने समग्र CPI को नीचे खींचा।
अखिल भारतीय उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) ने –2.28% की अपस्फीति दिखाई, जो दिसंबर 2018 के बाद का सबसे निम्न स्तर है।
ग्रामीण क्षेत्रों में –2.17% और शहरी क्षेत्रों में –2.47% की खाद्य अपस्फीति दर्ज की गई, जो मुख्यतः सब्ज़ियों, दालों, अनाज, खाद्य तेलों और फलों की कीमतों में गिरावट के कारण हुई।
यह प्रवृत्ति आपूर्ति-पक्ष सुधार और संतुलित खाद्य वितरण श्रृंखला का संकेत देती है।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत के CPI टोकरी में खाद्य वस्तुओं का भार लगभग 46% है — इसलिए खाद्य मूल्य रुझान कुल खुदरा मुद्रास्फीति के प्रमुख निर्धारक होते हैं।
गिरावट के मुख्य कारण
मुद्रास्फीति में आई गिरावट के पीछे दो प्रमुख कारण हैं:
- अनुकूल बेस इफेक्ट (Favorable Base Effect): सितंबर 2024 में उच्च मुद्रास्फीति दर के कारण वर्तमान आंकड़े सांख्यिकीय रूप से कम दिख रहे हैं।
- आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में तेज गिरावट: बेहतर फसल उत्पादन, नियंत्रित परिवहन लागत और सरकार की प्रभावी निगरानी ने मूलभूत वस्तुओं की कीमतों में स्थायी कमी सुनिश्चित की है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का लक्ष्य 4% CPI (±2%) बनाए रखना है।
वर्तमान परिदृश्य में RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) संभवतः ‘सहज रुख’ (Accommodative Stance) बनाए रखेगी जब तक मुद्रास्फीति लक्ष्य सीमा के भीतर रहेगी।
स्थैतिक जीके टिप: मौद्रिक नीति समिति (MPC) की स्थापना RBI अधिनियम 1934 (संशोधन 2016) के तहत की गई थी। यह समिति भारत की मुद्रास्फीति लक्ष्य दर और रेपो रेट निर्धारित करती है।
आर्थिक प्रभाव
कम मुद्रास्फीति से परिवारों की क्रय शक्ति (Purchasing Power) बढ़ती है और उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहन मिल सकता है।
हालाँकि, खाद्य वस्तुओं में दीर्घकालिक अपस्फीति से किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और ग्रामीण मांग कमजोर हो सकती है।
इसलिए नीति निर्माताओं के लिए चुनौती है कि वे मुद्रास्फीति नियंत्रण और कृषि आय स्थिरता के बीच संतुलन बनाए रखें ताकि सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सके।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत के CPI का आधार वर्ष 2012 है (2012 = 100)।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
खुदरा मुद्रास्फीति (सितंबर 2025) | 1.54% (जून 2017 के बाद सबसे कम) |
पिछले महीने की मुद्रास्फीति | 2.07% (अगस्त 2025) |
ग्रामीण मुद्रास्फीति | 1.07% |
शहरी मुद्रास्फीति | 2.04% |
खाद्य मुद्रास्फीति (संपूर्ण भारत) | –2.28% (दिसंबर 2018 के बाद सबसे कम) |
CPI आधार वर्ष | 2012 |
RBI का लक्ष्य | 4% ± 2% |
मुख्य गिरावट का कारण | खाद्य मूल्य अपस्फीति और बेस इफेक्ट |
डेटा जारी करने वाला मंत्रालय | सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) |
MPC की स्थापना | RBI अधिनियम (संशोधन 2016) |