RBI की वैश्विक रणनीति
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारतीय रुपये के अंतरराष्ट्रीय उपयोग (Global Use of Rupee) को बढ़ाने के लिए नई नीतिगत घोषणाएँ की हैं।
इनका उद्देश्य है कि वैश्विक व्यापार और निवेश सीधे भारतीय रुपये (INR) में किए जा सकें, जिससे विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता घटे।
स्टैटिक जीके तथ्य: RBI की स्थापना 1935 में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया अधिनियम के तहत हुई थी।
रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण विदेशी संस्थाओं और देशों को INR में लेन-देन करने की अनुमति देता है, जिससे भारत की आर्थिक प्रभावशीलता और मुद्रा स्थिरता दोनों में वृद्धि होती है।
पड़ोसी देशों को रुपये में ऋण
RBI ने अधिकृत डीलर बैंकों और उनकी विदेशी शाखाओं को अनुमति दी है कि वे भूटान, नेपाल और श्रीलंका के निवासियों को रुपये में ऋण दे सकें।
यह प्रावधान बैंकिंग संस्थानों के साथ-साथ पात्र गैर-निवासियों पर भी लागू होगा।
इस कदम से स्थानीय मुद्रा में व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा और सीमा-पार वित्तीय लेनदेन सरल बनेंगे।
स्टैटिक जीके टिप: भूटान की मुद्रा “नगुल्ट्रम (Ngultrum)” भारतीय रुपये के साथ 1:1 अनुपात में जुड़ी हुई है।
पारदर्शी संदर्भ दरें
फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया लिमिटेड (FBIL) प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले रुपये की पारदर्शी संदर्भ दरें (Transparent Reference Rates) विकसित करेगी।
वर्तमान में RBI अमेरिकी डॉलर, यूरो, जापानी येन, और पाउंड स्टर्लिंग के लिए संदर्भ दरें प्रकाशित करता है।
ये दरें अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए बेंचमार्क प्रदान करती हैं और मुद्रा जोखिम (Currency Risk) को कम करती हैं।
स्टैटिक जीके तथ्य: FBIL की स्थापना 2009 में भारतीय वित्तीय बाजार के मानक तय करने के लिए की गई थी।
स्पेशल रुपये वोस्ट्रो अकाउंट्स (SRVAs) का विस्तार
SRVA (Special Rupee Vostro Account) विदेशी बैंकों द्वारा भारतीय बैंकों में रखे गए खाते होते हैं, जिनसे INR में सीधे व्यापार निपटान (trade settlement) संभव होता है।
पहले SRVA बैलेंस को केवल केंद्रीय सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) में निवेश करने की अनुमति थी।
अब RBI ने अनुमति दी है कि ये अधिशेष बैलेंस कॉर्पोरेट बॉन्ड और कमर्शियल पेपर में भी निवेश कर सकेंगे, जिससे विदेशी बैंकों के लिए रुपये को धारण करना अधिक आकर्षक बन गया है।
स्टैटिक जीके टिप: श्रीलंका ने भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार के लिए SRVA का उपयोग बढ़ाया है।
वैश्विक व्यापार पर प्रभाव
इन सुधारों से रुपये की वैश्विक स्वीकृति (Global Acceptance) बढ़ेगी, भारत की वित्तीय विश्वसनीयता मजबूत होगी और क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण (Regional Integration) को बल मिलेगा।
रुपये में सीधे ऋण और पारदर्शी संदर्भ दरें विदेशी निवेशकों के लिए मुद्रा जोखिम प्रबंधन को सरल बनाएंगी।
SRVA के उपयोग का विस्तार और रुपये आधारित ऋण की सुविधा भारत को दक्षिण एशियाई व्यापार प्रणाली में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा।
यह दीर्घकालिक रणनीति रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण और पड़ोसी देशों के साथ वित्तीय सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्टैटिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
विषय | विवरण |
RBI पहल | भारतीय रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण |
रुपये में ऋण सुविधा | भूटान, नेपाल और श्रीलंका के निवासियों के लिए |
संदर्भ दरें | FBIL द्वारा वैश्विक मुद्राओं के विरुद्ध रुपये की दरें |
SRVA निवेश विकल्प | कॉर्पोरेट बॉन्ड और कमर्शियल पेपर में अनुमति |
मौजूदा RBI दरें | USD, यूरो, येन, पाउंड स्टर्लिंग |
SRVA उद्देश्य | सीधे INR में व्यापार निपटान |
रणनीतिक प्रभाव | रुपये की वैश्विक स्वीकृति और क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा |
FBIL की स्थापना | 2009 |
RBI की स्थापना | 1935 |
अतिरिक्त तथ्य | भूटान की नगुल्ट्रम मुद्रा INR से 1:1 अनुपात पर जुड़ी है |