अक्टूबर 30, 2025 2:08 पूर्वाह्न

रानी चेन्नम्मा, कित्तूर की निडर रानी

चालू घटनाएँ: रानी चेन्नम्मा, कित्तूर विद्रोह, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, शिवलिंगप्पा, राजा मल्लसरजा, प्रथम महिला विद्रोह, औपनिवेशिक विरोध, 1824 का विद्रोह, कर्नाटक इतिहास, महिला स्वतंत्रता सेनानी

Rani Chennamma The Fearless Queen of Kittur

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

रानी चेन्नम्मा का जन्म 1778 में कर्नाटक के छोटे रियासती राज्य कित्तूर में हुआ था। वे ब्रिटिश शासन को चुनौती देने वाली भारत की सबसे पहली महिलाओं में से एक थीं।
बचपन से ही वे घुड़सवारी, तलवारबाज़ी और तीरंदाजी जैसी युद्ध कलाओं में दक्ष थीं और अपने अदम्य साहस के लिए प्रसिद्ध थीं।
स्थैतिक जीके तथ्य: कित्तूर वर्तमान में कर्नाटक के बेलगावी ज़िले में स्थित है और 18वीं शताब्दी में यह मराठा प्रभाव वाला प्रमुख राज्य था।

विवाह और व्यक्तिगत क्षति

रानी चेन्नम्मा का विवाह कित्तूर के राजा मल्लसरजा देसाई से हुआ था।
पति और पुत्र — दोनों की मृत्यु के बाद उन्होंने राज्य की स्वतंत्रता बनाए रखने का संकल्प लिया और शिवलिंगप्पा नामक बालक को गोद लेकर उत्तराधिकारी घोषित किया।
लेकिन ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने “Doctrine of Lapse” (दत्तक उत्तराधिकार नीति) के अंतर्गत इस गोद लेने को अस्वीकार कर दिया।
यही निर्णय आगे चलकर कित्तूर विद्रोह (1824) का कारण बना — जो भारत के औपनिवेशिक विरोध के सबसे शुरुआती संघर्षों में से एक था।

1824 का कित्तूर विद्रोह

कित्तूर विद्रोह (1824) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला सशस्त्र आंदोलन माना जाता है — जो 1857 के सिपाही विद्रोह से 33 वर्ष पहले हुआ था।
रानी चेन्नम्मा ने असाधारण नेतृत्व दिखाते हुए ब्रिटिश सेना को प्रारंभिक लड़ाई में पराजित किया और कलेक्टर सेंट जॉन थैकर्रे (St. John Thackeray) को बंदी बना लिया।
स्थैतिक जीके टिप: कित्तूर विद्रोह 1857 के सिपाही विद्रोह से 33 वर्ष पहले हुआ था, इसीलिए इसे भारत का पहला महिला नेतृत्व वाला औपनिवेशिक विरोध आंदोलन माना जाता है।
हालाँकि बाद में ब्रिटिशों ने अधिक सेना भेजकर कित्तूर को घेर लिया और लंबे युद्ध के बाद रानी चेन्नम्मा को पकड़कर बैलहोंगल किला में बंदी बना लिया, जहाँ 1829 में उनका निधन हुआ।

विरासत और महत्व

रानी चेन्नम्मा का साहस और नेतृत्व भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रेरणास्त्रोत है।
उन्होंने दिखाया कि महिलाएँ भी अपने देश, सम्मान और स्वराज की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत सरकार ने 2007 में उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया, और उनका भव्य प्रतिमा नई दिल्ली स्थित संसद परिसर में स्थापित है।
उनका जन्मदिन 23 अक्टूबर को विशेष रूप से कर्नाटक राज्य में “रानी चेन्नम्मा जयंती” के रूप में बड़े सम्मान के साथ मनाया जाता है।

मूल्य और प्रेरणा

रानी चेन्नम्मा का जीवन साहस, नेतृत्व, दृढ़ निश्चय और आत्मसम्मान का प्रतीक है।
उन्होंने अन्याय और विदेशी शासन के विरुद्ध असंभव परिस्थितियों में भी डटकर संघर्ष किया
उनकी वीरता की तुलना अक्सर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से की जाती है, और वे आज भी भारत की सबसे सम्मानित महिला स्वतंत्रता सेनानियों में गिनी जाती हैं।

स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका

विषय (Topic) विवरण (Detail)
जन्म 1778, कित्तूर, कर्नाटक
मृत्यु 1829, बैलहोंगल किला
दत्तक पुत्र शिवलिंगप्पा
मुख्य घटना कित्तूर विद्रोह, 1824
पति राजा मल्लसरजा देसाई
पकड़ा गया ब्रिटिश अधिकारी सेंट जॉन थैकर्रे
प्रथम विजय ब्रिटिश सेना को प्रारंभिक युद्ध में पराजित किया
मान्यता संसद भवन परिसर में प्रतिमा स्थापित
स्मारक डाक टिकट 2007 में जारी
जयंती प्रतिवर्ष 23 अक्टूबर को मनाई जाती है
Rani Chennamma The Fearless Queen of Kittur
  1. कित्तूर की रानी चेन्नम्मा ने भारत के सबसे शुरुआती विद्रोहों में से एक का नेतृत्व किया।
  2. उनका जन्म 1778 में कर्नाटक के कित्तूर में हुआ था।
  3. युवावस्था से ही घुड़सवारी, तलवारबाज़ी और तीरंदाज़ी में प्रशिक्षित थीं।
  4. कित्तूर राज्य के शासक राजा मल्लसरजा देसाई से विवाह किया।
  5. अपने पति की मृत्यु के बाद शिवलिंगप्पा को उत्तराधिकारी के रूप में गोद लिया।
  6. अंग्रेजों ने हड़प नीति (Doctrine of Lapse) के तहत गोद लेने को अस्वीकार कर दिया।
  7. इसके परिणामस्वरूप 1824 में अंग्रेजों के विरुद्ध कित्तूर विद्रोह हुआ।
  8. उन्होंने ब्रिटिश सैनिकों को हराया और सेंट जॉन थैकरे को बंदी बना लिया।
  9. यह विद्रोह 1857 के सिपाही विद्रोह से 33 वर्ष पहले हुआ था।
  10. बाद में अंग्रेजों ने कित्तूर पर पुनः कब्ज़ा कर लिया और उन्हें कैद कर लिया।
  11. 1829 में अपनी मृत्यु तक वह बैलहोंगल किले में कैद रहीं।
  12. उनके साहस ने उन्हें भारतीय प्रतिरोध का प्रतीक बना दिया।
  13. भारत सरकार ने 2007 में उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया।
  14. उनकी प्रतिमा नई दिल्ली के संसद परिसर में स्थापित है।
  15. 23 अक्टूबर को उनका जन्मदिन कर्नाटक में मनाया जाता है।
  16. वह महिलाओं के लिए साहस, नेतृत्व और आत्मसम्मान की प्रतीक हैं।
  17. उनके संघर्ष ने रानी लक्ष्मीबाई जैसे बाद के नेताओं को प्रेरित किया।
  18. कित्तूर कर्नाटक के बेलगावी जिले में स्थित है।
  19. उनकी कहानी भारत के शुरुआती उपनिवेशविरोधी आंदोलन पर प्रकाश डालती है।
  20. रानी चेन्नम्मा बहादुरी की राष्ट्रीय प्रतीक बनी हुई हैं।

Q1. रानी चेन्नम्मा का जन्म किस वर्ष हुआ था?


Q2. 1824 के किट्टूर विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था?


Q3. किट्टूर विद्रोह के दौरान किस ब्रिटिश अधिकारी को बंदी बनाया गया था?


Q4. पराजय के बाद रानी चेन्नम्मा को कहाँ कैद किया गया था?


Q5. रानी चेन्नम्मा के सम्मान में स्मारक डाक टिकट कब जारी किया गया था?


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