संवैधानिक प्रावधान
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत, यदि किसी राज्य का प्रशासन संवैधानिक मानकों के अनुसार कार्य करने में विफल हो जाए, तो राष्ट्रपति सीधे नियंत्रण संभाल सकते हैं। यह कदम प्रायः राज्यपाल की सिफारिश या अन्य विश्वसनीय स्रोतों से मिली जानकारी पर आधारित होता है। राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्य विधानसभा के अधिकार निलंबित हो जाते हैं और विधान बनाने की शक्ति संसद को मिल जाती है।
स्थैतिक जीके तथ्य: राष्ट्रपति शासन की अधिकतम अवधि तीन वर्ष है, जिसे हर छह महीने में संसद की मंजूरी से बढ़ाया जा सकता है।
जारी रखने का कारण
केंद्र सरकार ने विस्तार का औचित्य बताते हुए कहा कि राज्य में मई 2023 से जारी मैतेई और कुकी–ज़ो समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के कारण क़ानून और व्यवस्था की स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के फरवरी 2025 में इस्तीफ़े के बाद राजनीतिक रिक्तता और बढ़ गई।
गृह मंत्रालय के अनुसार, एक विवादास्पद हाई कोर्ट के फैसले ने सामुदायिक तनाव को और बढ़ाया। अधिकारियों का दावा है कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से अपेक्षाकृत शांति लौटी है और केवल एक हिंसक घटना दर्ज हुई है।
विपक्ष की आलोचना
विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस ने इस विस्तार का विरोध किया है। उनका कहना है कि लंबे समय तक केंद्रीय शासन से नागरिकों के निर्वाचित सरकार के अधिकार छिन जाते हैं, संघीय ढांचा कमजोर होता है और लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली की बहाली में देरी होती है।
संवैधानिक सुरक्षा उपाय
1994 के एस.आर. बोम्मई केस ने महत्वपूर्ण न्यायिक सुरक्षा उपाय तय किए, जिसके तहत राष्ट्रपति शासन की घोषणा की सुप्रीम कोर्ट द्वारा समीक्षा की जा सकती है, ताकि अनुच्छेद 356 का मनमाना या राजनीतिक दुरुपयोग रोका जा सके।
आगे की स्थिति
नवीनतम विस्तार के साथ, मणिपुर में केंद्रीय शासन 13 फरवरी 2026 तक जारी रहेगा, जब तक कि उससे पहले चुनाव नहीं हो जाते और नई राज्य सरकार कार्यभार नहीं संभाल लेती।
Static Usthadian Current Affairs Table
| तथ्य | विवरण | 
| लागू होने की तिथि | 13 फरवरी 2025, मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े और जातीय हिंसा बढ़ने के बाद | 
| नया विस्तार काल | 13 अगस्त 2025 से छह महीने | 
| कानूनी प्रावधान | अनुच्छेद 356; हर छह महीने में नवीनीकरण, अधिकतम तीन वर्ष | 
| सरकार का कारण | लगातार जातीय संघर्ष और शासन तंत्र का ढहना | 
| विपक्ष का रुख | लोकतंत्र के लिए ख़तरा और निर्वाचित शासन में देरी | 
| न्यायिक सुरक्षा | एस.आर. बोम्मई फैसला, सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा का अधिकार | 
| संभावित समाप्ति तिथि | 13 फरवरी 2026, जब तक चुनाव न हों या नई सरकार न बने | 
				
															




