भारतीय रक्षा इतिहास में ऐतिहासिक उपलब्धि
भारत के लिए गर्व का क्षण तब आया जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 29 अक्टूबर 2025 को हरियाणा के अंबाला वायुसेना स्टेशन से राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरकर भारत की पहली राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त किया जिन्होंने इस उन्नत जेट में उड़ान भरी।
यह उपलब्धि भारत के रक्षा इतिहास और संवैधानिक परंपरा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
लगभग 30 मिनट की यह उड़ान (Sortie) भारत की उन्नत वायु क्षमता (Advanced Air Capability) को प्रदर्शित करती है और राष्ट्रपति के रूप में उनके भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वोच्च सेनापति (Supreme Commander) की भूमिका को और सशक्त बनाती है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: अंबाला वायुसेना स्टेशन, जिसकी स्थापना 1948 में हुई थी, भारत के सबसे पुराने और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हवाई अड्डों में से एक है।
वायुसेना इतिहास में दोहरी उपलब्धि
राष्ट्रपति मुर्मू की राफेल में उड़ान उनके पहले के सुखोई Su-30 MKI विमान में उड़ान (8 अप्रैल 2023, तेजपुर एयरबेस, असम) के बाद दूसरी ऐतिहासिक उड़ान है।
इस प्रकार वे दोनों अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों (Frontline Fighter Aircraft) में उड़ान भरने वाली पहली भारतीय राष्ट्रपति बन गई हैं।
यह कदम नागरिक नेतृत्व की रक्षा संस्थानों के साथ सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है और भारत में नागरिक–सैन्य सहयोग (Civil-Military Harmony) की भावना को मजबूत करता है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान टिप: सुखोई Su-30 MKI एक दो सीटों वाला, बहु–भूमिका वाला (Multi-role) हवाई श्रेष्ठता लड़ाकू विमान है, जिसे भारत और रूस ने संयुक्त रूप से विकसित किया था और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित किया गया है।
अंबाला उड़ान के मुख्य विवरण
राष्ट्रपति मुर्मू ने राफेल दो–सीटर ट्रेनर वैरिएंट (Twin-Seater Trainer Variant) में उड़ान भरी,
जिनके साथ ग्रुप कैप्टन अमित गहनी, 17 स्क्वाड्रन “गोल्डन एरोज़” के कमांडिंग ऑफिसर, सह-पायलट के रूप में थे।
उड़ान के दौरान राफेल की गति (Speed) और फुर्ती (Agility) का प्रदर्शन करने वाले कई मानक युद्धाभ्यास किए गए।
राफेल विमान को 2020 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया, जो भारत–फ्रांस रक्षा साझेदारी (Defence Partnership) का प्रतीक है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य: भारत ने 2016 में फ्रांस के साथ €7.87 बिलियन (लगभग ₹59,000 करोड़) की लागत से 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए समझौता किया था।
प्रतीकात्मकता से परे महत्व
राष्ट्रपति की यह उड़ान केवल औपचारिकता नहीं थी —
यह भारत की रणनीतिक रक्षा क्षमता (Strategic Defence Capability) को समझने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
यह सशस्त्र बलों के प्रति एकजुटता और प्रेरणा (Solidarity and Motivation) का प्रतीक भी है।
इस प्रकार की भागीदारी उच्च पदस्थ नागरिक नेतृत्व और सैनिक सेवाओं के बीच सम्मान और पारस्परिक समझ (Mutual Understanding) को बढ़ावा देती है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान टिप: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 53 (Article 53) के अंतर्गत, भारत के राष्ट्रपति सशस्त्र बलों के सर्वोच्च सेनापति (Supreme Commander of the Armed Forces) होते हैं।
राष्ट्रीय रक्षा गौरव को सशक्त बनाना
राष्ट्रपति मुर्मू की इस ऐतिहासिक पहल ने भारत के रक्षा पारदर्शिता (Defence Transparency) और समावेशिता (Inclusivity) को नई दिशा दी है।
उनकी भागीदारी ने संवैधानिक नेतृत्व (Constitutional Leadership) और सैन्य संचालन (Operational Command) के बीच पुल का कार्य किया है।
राफेल में यह उड़ान भारत के नागरिक–सैन्य समन्वय (Civil-Military Synergy) और आधुनिक युद्ध क्षमता (Modern Combat Capability) पर राष्ट्र के आत्मविश्वास का सशक्त प्रतीक बन गई है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| घटना की तारीख | 29 अक्टूबर 2025 |
| स्थान | अंबाला वायुसेना स्टेशन, हरियाणा |
| विमान | राफेल दो-सीटर ट्रेनर वैरिएंट |
| पायलट | ग्रुप कैप्टन अमित गहनी |
| स्क्वाड्रन | 17 स्क्वाड्रन “गोल्डन एरोज़” |
| पूर्व उड़ान | सुखोई Su-30 MKI (तेजपुर, 8 अप्रैल 2023) |
| उड़ान अवधि | लगभग 30 मिनट |
| विशेषता | राफेल और सुखोई दोनों में उड़ान भरने वाली पहली राष्ट्रपति |
| राफेल का सेवा में प्रवेश वर्ष | 2020 |
| संवैधानिक भूमिका | सशस्त्र बलों की सर्वोच्च सेनापति (Article 53) |





