कॉस्मिक डॉन को समझना
कॉस्मिक डॉन वह युग था जब पहली बार तारों और आकाशगंगाओं ने ब्रह्मांड को प्रकाशित किया। इस समय ने हाइड्रोजन गैस के पुनः आयनीकरण की शुरुआत की और ब्रह्मांडीय विकास की नींव रखी। हालाँकि, इस युग से आने वाले संकेत अत्यंत क्षीण होते हैं और पृथ्वी के रेडियो शोर में खो जाते हैं।
Static GK तथ्य: ब्रह्मांड की आयु लगभग 13.8 अरब वर्ष आंकी जाती है और कॉस्मिक डॉन बिग बैंग के कुछ सौ मिलियन वर्ष बाद घटित हुआ।
प्रातुष का मिशन
PRATUSH Radiometer को इन चुनौतियों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मिशन चंद्रमा के सुदूर भाग (far side) पर कार्य करना है, जहाँ पृथ्वी से आने वाले रेडियो व्यवधान और आयनमंडलीय शोर नहीं पहुँचते। वहाँ से यह हाइड्रोजन की 21 सेमी विकिरण रेखा पकड़ सकता है, जो प्रारंभिक ब्रह्मांड की संरचनाओं की जानकारी देती है।
प्रणाली और नियंत्रण इकाई
PRATUSH में एंटीना, एनालॉग रिसीवर और डिजिटल रिसीवर शामिल हैं। इसके केंद्र में एक सिंगल बोर्ड कंप्यूटर (SBC) है, जो नियंत्रण इकाई की तरह कार्य करता है। यह FPGA नियंत्रक से जुड़कर डेटा का संग्रह, भंडारण और कैलिब्रेशन करता है। उड़ान मॉडल में व्यावसायिक SBC को स्पेस–ग्रेड SBC से बदला जाएगा ताकि अंतरिक्षीय मानकों को पूरा किया जा सके।
Static GK तथ्य: 21 सेमी हाइड्रोजन रेखा का पूर्वानुमान हेन्द्रिक वैन डे हुल्स्ट ने 1944 में लगाया था और 1951 में इसकी पुष्टि हुई।
तकनीकी मजबूती
PRATUSH का सबसे बड़ा गुण इसका हल्का और ऊर्जा–कुशल ढाँचा है। इसका कॉम्पैक्ट स्वरूप मिशन लागत को घटाता है और लंबी अवधि तक तैनाती की अनुमति देता है। जमीनी परीक्षणों में यह मिली–केल्विन स्तर तक के संकेत पकड़ने में सक्षम पाया गया है। उन्नत एल्गोरिद्म और हार्डवेयर इसके प्रदर्शन को और बेहतर करेंगे।
Static GK टिप: चंद्रमा का सुदूर भाग रेडियो खगोलशास्त्र के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है क्योंकि यह पृथ्वी-आधारित व्यवधानों से मुक्त है।
व्यापक महत्व
PRATUSH की सफल तैनाती से प्रथम तारे और आकाशगंगाओं के जन्म पर अभूतपूर्व जानकारी मिल सकती है। कम द्रव्यमान और उच्च दक्षता वाले उपकरणों का उपयोग अंतरिक्ष विज्ञान में यह दर्शाता है कि कम संसाधनों से अधिकतम वैज्ञानिक परिणाम कैसे प्राप्त किए जा सकते हैं। यह भारत के उन प्रयासों से जुड़ा है जहाँ चंद्रयान-1 और मंगलयान जैसे हल्के पेलोड मिशनों ने अंतरराष्ट्रीय सराहना प्राप्त की।
Static GK तथ्य: भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम पहले भी लाइटवेट पेलोड्स के लिए वैश्विक स्तर पर पहचाना गया है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
पूरा नाम | PRATUSH Radiometer |
उद्देश्य | कॉस्मिक डॉन से 21 सेमी हाइड्रोजन रेखा का पता लगाना |
संचालन स्थान | चंद्रमा का सुदूर भाग |
मुख्य प्रणाली | SBC द्वारा नियंत्रित FPGA और रिसीवर्स |
अध्ययन संकेत | हाइड्रोजन की 21 सेमी उत्सर्जन रेखा |
संवेदनशीलता | कुछ मिली-केल्विन तक शोर का पता लगाने में सक्षम |
प्रतिस्थापन | व्यावसायिक SBC की जगह स्पेस-ग्रेड SBC |
महत्व | प्रथम तारे और आकाशगंगाओं के अध्ययन में मदद |
व्यापक प्रवृत्ति | अंतरिक्ष विज्ञान में हल्के, कुशल पेलोड का उपयोग |
Static GK तथ्य | 21 सेमी हाइड्रोजन रेखा 1951 में खोजी गई |