सरकारी कदम
तमिलनाडु सरकार ने पल्मायरा वृक्ष (राज्य वृक्ष, जून 1988 से) की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाए हैं।
- किसी भी कारणवश वृक्ष काटने से पहले उझवन (किसान) मोबाइल ऐप से अनुमति लेना अनिवार्य है।
- प्रत्येक वृक्ष की कटाई पर 10 पौधे लगाने का नियम लागू किया गया है।
यह नीति सतत संरक्षण प्रयासों को मज़बूती देती है।
स्थैतिक तथ्य: पल्मायरा वृक्ष (Borassus flabellifer) का उपयोग परंपरागत रूप से ताड़ी, गुड़ और पत्तियों से बने हस्तशिल्प में होता है, जिससे यह तमिलनाडु में आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है।
कानूनी ढांचा
- 2021 में कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि बिना अनुमति पल्मायरा वृक्ष काटना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
- यह नियम किसानों, उद्योगों और व्यक्तियों सभी पर लागू है।
- उद्देश्य है जैव विविधता की रक्षा और अनियंत्रित कटाई पर रोक।
वृक्ष संबंधी आँकड़े
- 2019–20 में तमिलनाडु खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अनुसार राज्य में लगभग 5 करोड़ पल्मायरा वृक्ष थे।
- तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय का अनुमान है कि पूरे भारत में लगभग 10 करोड़ पल्मायरा वृक्ष हैं, जिनमें से आधे तमिलनाडु में हैं।
स्थैतिक तथ्य: तमिलनाडु पूरे भारत के पल्मायरा वृक्षों का लगभग 50% हिस्सा रखता है।
संरक्षण मिशन
- पिछले 3 वर्षों से तमिलनाडु सरकार ने पल्मायरा वृक्ष संरक्षण के लिए विशेष मिशन चलाया है।
- इसमें जनजागरूकता अभियान, पुनः वृक्षारोपण और कटाई की निगरानी शामिल है।
- उझवन ऐप के माध्यम से तकनीकी निगरानी और समुदाय की भागीदारी को जोड़ा गया है।
स्थैतिक तथ्य: पल्मायरा वृक्ष 100 वर्ष से अधिक जीवित रह सकता है और दीर्घकालिक पर्यावरणीय व आर्थिक लाभ देता है।
पर्यावरणीय और आर्थिक महत्व
- यह वृक्ष मृदा संरक्षण, कार्बन अवशोषण में सहायक है।
- ताड़ी, गुड़ और हस्तशिल्प जैसे उत्पादों से ग्रामीण आजीविका को मज़बूती मिलती है।
- संरक्षण तमिलनाडु के पर्यावरणीय लक्ष्यों और ग्रामीण विकास रणनीति से जुड़ा है।
स्थैतिक तथ्य: तमिलनाडु के अलावा उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और केरल में भी पल्मायरा वृक्ष पाए जाते हैं, लेकिन व्यावसायिक दृष्टि से तमिलनाडु सबसे अग्रणी है।
सामुदायिक भागीदारी
- किसान और स्थानीय समुदाय संरक्षण अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
- अवैध कटाई की सूचना देना और वृक्षारोपण में भाग लेना प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- तकनीक, कानून और समुदाय की भागीदारी से राज्य वृक्ष का दीर्घकालिक संरक्षण सुनिश्चित होता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
राज्य वृक्ष घोषित | जून 1988 |
सरकारी पहल | प्रत्येक कटाई पर 10 पौधे लगाना |
अनुमति प्रक्रिया | उझवन मोबाइल ऐप |
प्रमुख अधिकारी | कृषि मंत्री |
तमिलनाडु में वृक्ष (2019–20) | 5 करोड़ |
भारत में कुल वृक्ष | 10 करोड़ |
मिशन की अवधि | 3 वर्ष |
संरक्षण उपाय | कानूनी अनुमति, पौधारोपण, सामुदायिक भागीदारी |
आर्थिक महत्व | ताड़ी, गुड़, हस्तशिल्प |