रेगिस्तान में संयुक्त सैन्य तत्परता
भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना ने राजस्थान के जैसलमेर के पास एक बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास “मरु ज्वाला” आयोजित किया। यह 12-दिवसीय अभ्यास ऑपरेशन त्रिशूल का हिस्सा था, जो पश्चिमी सीमाओं पर संयुक्त युद्ध तत्परता का एक प्रमुख प्रदर्शन था।
इस अभ्यास का उद्देश्य रेगिस्तानी युद्ध क्षमता को सुदृढ़ करना था, जिससे यह प्रदर्शित किया जा सके कि स्थल और वायु बलों की समन्वित कार्रवाई दुश्मन को कठिन भूभाग में भी प्रभावी रूप से निष्क्रिय कर सकती है।
स्थिर जीके तथ्य: जैसलमेर जिले में प्रसिद्ध लौंगेवाला युद्धक्षेत्र स्थित है, जहाँ भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय प्राप्त की थी।
वायु और स्थल सेना का एकीकरण
“मरु ज्वाला” के दौरान वायु और स्थल इकाइयों ने दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमलों का अनुकरण किया। मानवरहित हवाई वाहन (UAVs) ने लक्ष्यों की पहचान की और निकासी अलर्ट जारी किए, जिसके बाद टी-90 टैंकों और अटैक हेलिकॉप्टरों के सहयोग से बख्तरबंद आक्रमण किए गए।
यह भारतीय सेना के नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध और वास्तविक समय डेटा एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
सेना की मैकेनाइज्ड इकाइयों और वायुसेना के बीच समन्वय ने उच्च स्तर की इंटरऑपरेबिलिटी (सहकारिता) को दर्शाया।
आधुनिक युद्ध में तकनीकी नवाचार
ऑपरेशन की विशेषता कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित लॉजिस्टिक प्रणाली और स्वचालित प्लेटफार्मों का उपयोग था।
सेना ने रोबोटिक म्यूल डॉग्स का उपयोग युद्धक्षेत्र में चिकित्सा आपूर्ति और परिवहन के लिए किया, जबकि ड्रोन निगरानी और त्वरित आपूर्ति वितरण में तैनात किए गए।
अभ्यास ने आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी प्रौद्योगिकी के उपयोग और आत्मनिर्भरता पर बल दिया।
स्थिर जीके टिप: “आत्मनिर्भर भारत अभियान” मई 2020 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना और रक्षा सहित प्रमुख क्षेत्रों में आयात पर निर्भरता को कम करना है।
नेतृत्व और रणनीतिक निरीक्षण
अभ्यास का संचालन साउदर्न कमांड के अंतर्गत किया गया, जिसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ (PVSM, AVSM) ने किया। उन्होंने संचालन क्षेत्रों का निरीक्षण किया और कोणार्क कोर तथा बैटल ऐक्स डिवीजन के बीच तालमेल की सराहना की।
ले. जन. सेठ ने “मरु ज्वाला” को सेना के “JAI मंत्र” — Jointness, Atmanirbharta, and Innovation (संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार) का प्रतीक बताया, जो राष्ट्र की रणनीतिक रक्षा दृष्टि के अनुरूप है।
परिचालन सत्यापन और भविष्य की तैयारी
ऑपरेशन त्रिशूल के हिस्से के रूप में, इस अभ्यास ने बहु-क्षेत्रीय (Multi-Domain) युद्ध क्षमता और आधुनिक हाइब्रिड खतरों से निपटने की तत्परता को सत्यापित किया।
रक्षा जनसंपर्क अधिकारी (PRO) ले. कर्नल निखिल धवन ने पुष्टि की कि ले. जन. सेठ ने एक्सरसाइज अखंड प्रहार की भी समीक्षा की, जो इसी कमांड के अंतर्गत एक और प्रमुख ऑपरेशन है।
ये संयुक्त अभ्यास भारत की त्वरित तैनाती, समेकित युद्ध और स्वदेशी तकनीकी अनुकूलन क्षमता को उजागर करते हैं, विशेष रूप से रेगिस्तानी सीमाओं पर।
स्थिर जीके तथ्य: साउदर्न कमांड की स्थापना 1895 में की गई थी और इसका मुख्यालय पुणे, महाराष्ट्र में स्थित है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| अभ्यास का नाम | मरु ज्वाला |
| ऑपरेशन का नाम | ऑपरेशन त्रिशूल |
| स्थान | जैसलमेर, राजस्थान |
| अवधि | 12 दिन |
| सम्मिलित बल | भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना |
| कमांड प्राधिकरण | साउदर्न कमांड |
| कमांडर | ले. जन. धीरज सेठ (PVSM, AVSM) |
| सहायक डिवीजन | कोणार्क कोर, बैटल ऐक्स डिवीजन |
| प्रमुख विशेषताएँ | एआई-आधारित लॉजिस्टिक्स, रोबोटिक म्यूल्स, ड्रोन, टी-90 टैंक |
| राष्ट्रीय पहल से जुड़ा | आत्मनिर्भर भारत |





