दिसम्बर 3, 2025 11:14 पूर्वाह्न

ON कोर्ट और भारत का डिजिटल जस्टिस बदलाव

करंट अफेयर्स: ON कोर्ट, केरल हाई कोर्ट, 24×7 ई-फाइलिंग, डिजिटल समन, वर्चुअल सुनवाई, रियल-टाइम केस अपडेट, कोल्लम जिला, ऑनलाइन विवाद समाधान, न्यायिक डिजिटलीकरण, तेजी से निपटारा

ON Court and India’s Digital Justice Shift

भारत का पहला 24×7 ON कोर्ट

भारत का पहला 24×7 ओपन और नेटवर्क्ड कोर्ट (ON कोर्ट) केरल के कोल्लम जिले में शुरू किया गया, जो डिजिटल जस्टिस डिलीवरी में एक बड़ी छलांग है। इसके ऑपरेशन का एक साल पूरा हो गया है और यह हाई-स्पीड, टेक्नोलॉजी से चलने वाले विवाद समाधान का एक मॉडल बन गया है।

यह पहल केरल हाई कोर्ट ने शुरू की थी, जो डिजिटल कोर्टरूम और पेपरलेस प्रक्रियाओं में आगे रहने के लिए जाना जाता है।

स्टेटिक GK फैक्ट: केरल 2018 में अपने सभी कोर्ट में पूरी तरह से डिजिटल फाइलिंग हासिल करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया।

ON कोर्ट की मुख्य विशेषताएं

ON कोर्ट केस करने वालों को किसी भी समय केस फाइल करने की अनुमति देता है, जिससे बिना किसी रुकावट के 24×7 ई-फाइलिंग विंडो मिलती है। इससे फिजिकल कोर्ट में लगने वाली टाइम की पाबंदी हट जाती है।

इसके सिस्टम में डिजिटल डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन, SMS और ईमेल-बेस्ड समन, और वर्चुअल हियरिंग शामिल हैं, जिससे फिजिकल विज़िट की ज़रूरत कम हो जाती है।

स्टैटिक GK फैक्ट: इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 कानूनी तौर पर इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और डिजिटल सिग्नेचर को मान्यता देता है, जिससे ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म मुमकिन होते हैं।

पूरी तरह से ऑनलाइन केस हैंडलिंग

केस का हर स्टेज ऑनलाइन प्रोसेस होता है—फाइलिंग, स्क्रूटनी, शेड्यूलिंग, हियरिंग, और फाइनल ऑर्डर जारी करना।

यह प्लेटफॉर्म रियल-टाइम केस स्टेटस अपडेट देता है, जिससे वकील और नागरिक किसी भी जगह से आसानी से प्रोग्रेस ट्रैक कर सकते हैं।

स्टैटिक GK टिप: भारत का पहला ई-कोर्ट प्रोजेक्ट 2005 में नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान के तहत लॉन्च किया गया था।

ज्यूडिशियल एफिशिएंसी पर असर

ON कोर्ट ने डिस्पोजल एफिशिएंसी में काफी सुधार किया है। जहां आम कोर्ट को ऐसे ही केस निपटाने में सालों लग सकते हैं, वहीं ON कोर्ट उन्हें लगभग 140 दिनों में पूरा कर देता है। यह कमी फिजिकल पेपरवर्क खत्म होने, तेज़ डिजिटल कम्युनिकेशन और ऑटोमेटेड शेड्यूलिंग की वजह से है।

स्टैटिक GK फैक्ट: भारत की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एवरेज केस पेंडेंसी लगभग 5–8 साल है, जिससे फास्ट-ट्रैक डिजिटल सिस्टम बहुत ज़रूरी हो जाते हैं।

न्याय तक पहुंच बढ़ाना

ON कोर्ट कोर्ट कॉम्प्लेक्स से दूर रहने वालों, सीनियर सिटिजन, महिलाओं और दिव्यांग लोगों को आसान न्याय देता है।

इसका डिजिटल-फर्स्ट मॉडल आसान पार्टिसिपेशन को सपोर्ट करता है, लिटिगेशन का खर्च कम करता है और सभी जिलों में एक जैसी पहुंच लाता है।

स्टैटिक GK फैक्ट: भारतीय संविधान का आर्टिकल 39A राज्य को न्याय तक समान पहुंच को बढ़ावा देने का निर्देश देता है।

भविष्य के ज्यूडिशियल सुधारों के लिए एक मॉडल

ON कोर्ट भारत के ई-कोर्ट्स फेज III के बड़े पैमाने पर प्रयास के साथ मेल खाता है, जिसका मकसद पेपरलेस कोर्ट, ऑनलाइन सबूत पेश करना और इंटीग्रेटेड डिजिटल केस रिकॉर्ड बनाना है।

राज्य पेंडेंसी कम करने और जस्टिस सिस्टम के साथ नागरिकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए इसी तरह के मॉडल देख रहे हैं।

 स्टैटिक GK टिप: सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी, जिसके हेड पहले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ थे, नेशनल डिजिटल कोर्ट सुधारों को आगे बढ़ा रही है।

Static Usthadian Current Affairs Table

Topic Detail
पहला ON Court स्थान कोल्लम ज़िला, केरल
लॉन्च प्राधिकरण केरल उच्च न्यायालय
संचालन मोड 24×7 ऑनलाइन डिजिटल कोर्ट
ई-फाइलिंग उपलब्धता चौबीसों घंटे
प्रमुख विशेषताएँ वर्चुअल सुनवाई, डिजिटल सत्यापन, SMS/ईमेल समन
औसत निस्तारण समय लगभग 140 दिन
संचार प्रणाली वादकारियों को वास्तविक समय अपडेट
लाभ कम कागजी कार्यवाही और तेज़ न्याय
संवैधानिक संबंध अनुच्छेद 39A — न्याय तक पहुंच
राष्ट्रीय पहल व्यापक e-Courts डिजिटलीकरण प्रयासों का हिस्सा
ON Court and India’s Digital Justice Shift
  1. भारत ने केरल में अपना पहला चौबीसों घंटे चलने वालाऑन न्यायालयडिजिटल न्याय कक्ष शुरू किया।
  2. यह प्रणाली चौबीसों घंटे दाखिला के साथ बिना रुके काम करती है।
  3. यह मॉडल केरल उच्च न्यायालय द्वारा विकसित किया गया था।
  4. यह व्यवस्था डिजिटल दस्तावेज़ सत्यापन को संभव बनाती है।
  5. समन लोगों को संदेश और डाकईमेल से भेजे जाते हैं।
  6. सुनवाई आभासी न्यायप्रक्रिया सत्रों के माध्यम से होती है।
  7. मामले के सभी चरण—दाखिले से लेकर आदेश तक—पूरी तरह ऑनलाइन होते हैं।
  8. उपयोगकर्ताओं को तात्कालिक मामले की स्थिति की जानकारी मिलती रहती है।
  9. ‘ऑन न्यायालय’ औसतन लगभग एक सौ चालीस दिनों में मामले पूरे करता है।
  10. डिजिटल प्रणाली कागज़ी कार्य और अनावश्यक देरी को कम करती है।
  11. केरल ने वर्ष 2018 में पूरी तरह डिजिटल दाखिला शुरू किया था।
  12. यह मंच दूर-दराज़ और कमज़ोर वर्गों के लिए न्याय तक पहुंच को बेहतर बनाता है।
  13. यह पहल न्याय तक समान पहुंच के संवैधानिक दृष्टिकोण का समर्थन करती है।
  14. यह व्यवस्था नागरिकों के लिए मुक़दमेबाज़ी की लागत को कम करती है।
  15. यह कदम भारत के न्यायालय तृतीय चरण आधुनिकीकरण कार्यक्रम के अनुरूप है।
  16. भारत का पहला न्यायालय कार्यक्रम वर्ष 2005 में शुरू हुआ था।
  17. विभिन्न राज्य-न्यायालय इसी तरह के डिजिटल न्याय मॉडल को अपनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
  18. यह प्रणाली न्यायिक दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाती है।
  19. यह पहल भविष्य के न्यायालय सुधारों के लिए एक नमूना मॉडल है।
  20. यह व्यवस्था भारत में प्रौद्योगिकी आधारित न्याय वितरण की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन दिखाती है।

Q1. भारत का पहला ON कोर्ट कहाँ स्थापित किया गया?


Q2. किस उच्च न्यायालय ने ON कोर्ट मॉडल की शुरुआत की?


Q3. कौन-सी सुविधा वादियों को किसी भी समय मुकदमा दाखिल करने की अनुमति देती है?


Q4. ON कोर्ट प्रणाली में मामलों के निस्तारण का औसत समय कितना है?


Q5. कौन सा संवैधानिक अनुच्छेद न्याय तक समान पहुंच पर जोर देता है?


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