पारंपरिक जड़ें
नुआखाई पर्व पश्चिमी ओडिशा का सबसे महत्वपूर्ण कृषि उत्सव माना जाता है। इसे नवअन्न भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “नया अन्न”। इस पर्व का केंद्र बिंदु पहली कटाई के धान को देवताओं को अर्पित करना है, जो कृषि और संस्कृति के गहरे संबंध को दर्शाता है।
स्थिर जीके तथ्य: “नुआखाई” शब्द “नुआ” (नया) और “खाई” (खाना) से बना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
नुआखाई का आरंभ 14वीं शताब्दी में हुआ माना जाता है। परंपरागत कथाओं के अनुसार इसे पटना के राजा रामाई देव (1355–1380 ई.) ने प्रारंभ किया था। समय के साथ यह प्रथा सामुदायिक उत्सव में बदल गई, जिसमें अनुष्ठान, प्रार्थनाएँ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ प्रमुख भूमिका निभाने लगीं।
स्थिर जीके तथ्य: राजा रामाई देव को पश्चिमी ओडिशा में चौहान वंश का संस्थापक माना जाता है।
सांस्कृतिक महत्व
इस पर्व में मुख्य रूप से धान की पूजा की जाती है, जिसे भारतीय परंपरा में जीवनदायी अन्न माना गया है। परिवारजन नई फसल से बने विशेष व्यंजन तैयार करते हैं और पहले इसे इष्ट देवता को अर्पित करते हैं। उसके बाद ही स्वयं उसका सेवन करते हैं। यह कार्य प्रकृति और ईश्वरीय शक्ति के प्रति आभार प्रकट करने का प्रतीक है।
स्थिर जीके टिप: भारत के अन्य प्रमुख फसल त्योहारों में केरल का ओणम, पंजाब का बैसाखी और मकर संक्रांति शामिल हैं।
क्षेत्रीय महत्त्व
नुआखाई विशेष रूप से संबलपुर, बरगढ़, बलांगीर, कालाहांडी और सुंदरगढ़ ज़िलों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इसमें जनजातीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी भी होती है, जिससे यह एकता का प्रतीक पर्व बन जाता है। लोकगीत, नृत्य और सामुदायिक मेल-मिलाप इस पर्व की शोभा बढ़ाते हैं।
समकालीन प्रासंगिकता
2025 में, प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएँ दीं, जिससे इस पर्व का राष्ट्रीय महत्व और बढ़ गया। आज भी नुआखाई भारत की कृषि आत्मा का प्रतीक है, जो किसानों की मेहनत और ग्रामीण परंपराओं को आधुनिक समय में भी सम्मान दिलाता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| पर्व का नाम | नुआखाई (नवअन्न) |
| क्षेत्र | पश्चिमी ओडिशा, विशेषकर संबलपुर व आसपास के ज़िले |
| अर्थ | नुआ = नया, खाई = खाना |
| आरंभकर्ता | पटना के राजा रामाई देव (1355–1380 ई.) |
| महत्व | अन्न (धान) की पूजा और फसल के प्रति आभार |
| प्रकार | कृषि-आधारित धार्मिक उत्सव |
| प्रमुख आयोजन | पहला धान देवता को अर्पित, लोकगीत, नृत्य |
| समान भारतीय पर्व | ओणम, बैसाखी, मकर संक्रांति |
| प्रधानमंत्री का संदेश | 2025 में शुभकामनाएँ दीं |
| सांस्कृतिक प्रभाव | ग्रामीण और जनजातीय समुदायों में एकता को मज़बूत करता है |





