अनौपचारिक भारत के लिए समावेशी AI दृष्टि
नीति आयोग (NITI Aayog) ने “AI for Inclusive Societal Development” नामक राष्ट्रीय रोडमैप लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य भारत के 49 करोड़ अनौपचारिक श्रमिकों को सशक्त बनाना है।
यह पहल कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को केवल कॉरपोरेट या टेक्नोलॉजी सेक्टर तक सीमित न रखकर, असंगठित कार्यबल तक पहुँचाने की दिशा में एक नीतिगत क्रांति मानी जा रही है।
इस ब्लूप्रिंट का लक्ष्य है — AI को “लोक कल्याण हेतु सार्वजनिक संपत्ति (Public Good)” के रूप में विकसित करना ताकि यह उत्पादकता बढ़ाए, कौशल अंतर घटाए और सामाजिक सुरक्षा को सुदृढ़ करे।
स्थिर GK तथ्य: नीति आयोग की स्थापना 2015 में की गई थी, जिसने योजना आयोग (Planning Commission) का स्थान लिया।
मिशन डिजिटल श्रमसेतु
इस रोडमैप का केंद्रबिंदु है “Mission Digital ShramSetu”, जो भारत के अनौपचारिक कार्यबल को डिजिटल रूप से जोड़ने वाला प्रमुख कार्यक्रम है।
इस मिशन में AI, ब्लॉकचेन, इमर्सिव लर्निंग और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाएगा ताकि किसानों, कारीगरों, गिग वर्कर्स और स्वास्थ्य सहायकों के जीवन और कौशल में सुधार लाया जा सके।
मिशन के प्रमुख उद्देश्य हैं —
- श्रमिकों की बाज़ार तक पहुँच (Market Access) बढ़ाना
- उत्पादकता और आय में सुधार
- सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में डिजिटल एकीकरण सुनिश्चित करना
स्थिर GK टिप: “श्र्रमसेतु” (ShramSetu) शब्द का अर्थ है “श्रम का सेतु” — जो असंगठित श्रमिकों को भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़ता है।
आय और कौशल असमानता का समाधान
भारत के अनौपचारिक श्रमिकों को अस्थिर आय, औपचारिक प्रशिक्षण की कमी और कमजोर सामाजिक सुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
AI ब्लूप्रिंट के अनुसार, यदि तकनीकी हस्तक्षेप और संस्थागत सुधार नहीं किए गए, तो 2047 तक इनकी औसत वार्षिक आय $6,000 पर ही ठहर सकती है — जो उच्च-आय राष्ट्र बनने के लिए आवश्यक $14,500 प्रति व्यक्ति आय से बहुत कम है।
इसलिए, रणनीति में मुख्य रूप से कौशल उन्नयन (Skill Upgradation), वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) और AI-संचालित सामाजिक सुरक्षा जाल (Social Safety Nets) पर ज़ोर दिया गया है।
स्थिर GK तथ्य: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, भारत के 80% से अधिक श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं।
समावेशी विकास हेतु सहयोग
इस पहल की सफलता सरकार, उद्योग, अकादमिक संस्थानों और नागरिक समाज के साझे प्रयासों पर निर्भर है।
नीति आयोग की यह रणनीति संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप है, जो समानता और समावेशी तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देती है।
नासकॉम फाउंडेशन (NASSCOM Foundation), विश्व बैंक (World Bank) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे संगठन पहले ही तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे हैं।
इस प्रकार, भारत “एथिकल और समावेशी AI विकास” में वैश्विक उदाहरण बनने की दिशा में अग्रसर है।
विकसित भारत 2047 की दिशा में
यह AI रोडमैप भारत के $30 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था लक्ष्य (Viksit Bharat 2047) से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है।
इसमें अनौपचारिक श्रमिकों को डिजिटल परिवर्तन के केंद्र में रखा गया है ताकि विकास नीचे से ऊपर (Bottom-Up) और मानव-केंद्रित (Human-Centric) हो।
नीति आयोग की दृष्टि के अनुसार,
AI में समावेशिता (Inclusivity) जोड़कर भारत एक ऐसा भविष्य बना सकता है जहाँ डिजिटल सशक्तिकरण सामाजिक समानता (Social Equity) का माध्यम बने —
और यही विकसित भारत की वास्तविक परिभाषा होगी।
स्थिर GK टिप: साल 2047 भारत की स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ है, जिसे “विकसित राष्ट्र का लक्ष्य वर्ष” माना गया है।
स्थिर “Usthadian” वर्तमान घटनाएँ सारणी
विषय | विवरण |
लॉन्चिंग निकाय | नीति आयोग (NITI Aayog) |
पहल का नाम | AI for Inclusive Societal Development |
लाभार्थी | 49 करोड़ अनौपचारिक श्रमिक |
प्रमुख मिशन | मिशन डिजिटल श्रमसेतु |
मुख्य तकनीकें | AI, ब्लॉकचेन, इमर्सिव लर्निंग |
आर्थिक दृष्टि | विकसित भारत 2047 |
2047 तक लक्षित प्रति व्यक्ति आय | $14,500 |
सहयोगी संस्थाएँ | NASSCOM Foundation, World Bank, Bill & Melinda Gates Foundation |
लॉन्च वर्ष | 2025 |
उद्देश्य | डिजिटल समावेशन के माध्यम से अनौपचारिक क्षेत्र को सशक्त बनाना |