नवम्बर 9, 2025 4:04 अपराह्न

निसार उपग्रह का परिचालन चरण 7 नवंबर से शुरू

चालू घटनाएँ: निसार उपग्रह, इसरो, नासा, पृथ्वी पर्यवेक्षण, सिंथेटिक अपर्चर रडार, जलवायु निगरानी, पर्यावरण मानचित्रण, गगनयान मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, अंतरिक्ष सहयोग

NISAR Satellite Begins Operational Phase on November 7

भारत–अमेरिका अंतरिक्ष साझेदारी का नया अध्याय

नासाइसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह 7 नवंबर से आधिकारिक रूप से परिचालन में प्रवेश कर रहा है—यह भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग में एक ऐतिहासिक क्षण है। इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन के अनुसार मिशन ने कैलिब्रेशन और वैलिडेशन प्रक्रियाएँ पूर्ण कर ली हैं और अब पूर्ण वैज्ञानिक संचालन के लिए तैयार है।
स्थैतिक तथ्य: NISAR मिशन 2014 में हस्ताक्षरित नासाइसरो का संयुक्त प्रकल्प है—जो विश्व की सबसे मज़बूत द्विपक्षीय वैज्ञानिक साझेदारियों में गिना जाता है।

जलवायु और पृथ्वी अध्ययन के लिए शक्तिशाली प्रौद्योगिकी

NISAR विश्व का पहला उपग्रह है जिसमें द्विबैंड रडार लगे हैं—L-बैंड रडार (नासा) और S-बैंड रडार (इसरो)। ये रडार बादलों के आवरण या रात्रि में भी पृथ्वी-पृष्ठ का व्यापक विश्लेषण संभव बनाते हैं।
L-बैंड वन घनत्व, मृदा आर्द्रता और हिम चादरों में परिवर्तन का पता लगाएगा, जबकि S-बैंड कृषि पैटर्न और सूक्ष्म वनस्पति गतियों की निगरानी पर केंद्रित रहेगा। दोनों मिलकर हर 12 दिन में लगभग दो बार वैश्विक स्थलीय एवं हिम क्षेत्रों का आवरण प्रदान करेंगे।
स्थैतिक जीके टिप: Synthetic Aperture Radar (SAR) ऐसी रडार तकनीक है जो लक्ष्य क्षेत्र के ऊपर एंटेना की गति का उपयोग कर उच्चविवरणी (high-resolution) चित्र बनाती है।

वैश्विक पर्यावरण निगरानी में प्रगति

NISAR जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और पारिस्थितिकी तंत्र के बदलावों पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि देगा। यह सूक्ष्म भूमि विस्थापन, हिमनदों के पीछे हटने और बाढ़प्रवण क्षेत्रों की निगरानी कर सकेगा—भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ जैसे जोखिमों के पूर्वानुमान शमन में सहायक होगा।
इसके डेटा से कार्बन भंडारण पर वैश्विक अनुसंधान को भी बल मिलेगा, जिससे वैज्ञानिक यह समझ सकेंगे कि वन और आर्द्रभूमियाँ ग्रीनहाउस गैसों को कैसे अवशोषित करती हैं।
स्थैतिक तथ्य: भारत का प्रमुख प्रक्षेपण केंद्र सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC–श्रीहरिकोटा) है—यहीं से NISAR जैसे बड़े मिशन लॉन्च होते हैं।

आने वाले भारतीय अंतरिक्ष मिशन

NISAR के साथ, इसरो जनवरी 2026 में पहला मानवरहित गगनयान मिशन प्रक्षेपित करने की तैयारी में है—यह भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का बड़ा कदम होगा। अब तक 8,000 से अधिक परीक्षण चालक सुरक्षा के लिए किए जा चुके हैं।
आगे चलकर इसरो भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भी कार्य कर रहा है—पहला मॉड्यूल 2028 तक कक्षा में लाने का लक्ष्य है। 2035 तक पाँच मॉड्यूल और छह अंतरिक्षयात्रियों तक की क्षमता का अनुमान है।
स्थैतिक तथ्य: भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट 1975 में सोवियत सहायता से लॉन्च हुआ था—यही से भारत की अंतरिक्ष यात्रा शुरू हुई।

स्थैतिक Usthadian वर्तमान मामलों की तालिका

विषय विवरण
NISAR का पूर्ण रूप NASA–ISRO Synthetic Aperture Radar
प्रक्षेपण यान GSLV (सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से)
उपग्रह का भार लगभग 2,400 किलोग्राम
परिचालन प्रारम्भ तिथि 7 नवंबर 2025
द्विरडार प्रणाली L-बैंड (नासा) और S-बैंड (इसरो)
पृथ्वी कवरेज चक्र हर 12 दिन में दो बार
मुख्य उद्देश्य जलवायु निगरानी, प्राकृतिक आपदा मानचित्रण, स्थल-पृष्ठ विश्लेषण
आगामी इसरो मिशन गगनयान (2026) और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (2028–2035)
पहला भारतअमेरिका संयुक्त पृथ्वीअवलोकन प्रकल्प NISAR
इसरो मुख्यालय बेंगलुरु, कर्नाटक
NISAR Satellite Begins Operational Phase on November 7
  1. NISAR 7 नवंबर 2025 को चालू हो जाएगा, जिससे पृथ्वी अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा।
  2. NASA और ISRO का संयुक्त मिशन, 2014 में हस्ताक्षरित हुआ।
  3. दोहरेबैंड SAR रडार वाला दुनिया का पहला उपग्रह: L-बैंड + S-बैंड
  4. NASA का L-बैंड वन, मृदा, हिम चादर में होने वाले परिवर्तनों पर नज़र रखता है।
  5. ISRO का S-बैंड कृषि और छोटी वनस्पतियों की गतिविधियों पर नज़र रखता है।
  6. हर 12 दिनों में लगभग निरंतर वैश्विक भूमि कवरेज प्रदान करता है।
  7. भूस्खलन, बाढ़, भूकंप, हिमनदों के पीछे हटने पर नज़र रखने में सक्षम बनाता है।
  8. उपग्रह का वज़न 2,400 किलोग्राम, जिसे GSLV रॉकेट का उपयोग करके प्रक्षेपित किया गया।
  9. NISAR जलवायु परिवर्तन, आपदा पूर्वानुमान और पारिस्थितिकी तंत्र मानचित्रण के लिए महत्वपूर्ण है।
  10. कार्बन भंडारण अध्ययन और आर्द्रभूमि निगरानी के लिए डेटा उपयोगी है।
  11. ISRO जनवरी 2026 में मानवरहित गगनयान मिशन की तैयारी कर रहा है।
  12. मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए 8,000 से अधिक सुरक्षा परीक्षण पूरे हो चुके हैं।
  13. भारत 2028–2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की योजना बना रहा है।
  14. यह स्टेशन पाँच मॉड्यूल में छह अंतरिक्ष यात्रियों को रखेगा।
  15. श्रीहरिकोटा में SDSC–SHAR ISRO का मुख्य प्रक्षेपण स्थल है।
  16. आर्यभट्ट (1975) सोवियत सहायता से भारत का पहला उपग्रह था।
  17. NISAR भारतअमेरिका अंतरिक्ष सहयोग और साझा वैज्ञानिक लक्ष्यों को मज़बूत करता है।
  18. मिशन पृथ्वी अवलोकन में भारत के वैश्विक नेतृत्व को बढ़ाता है।
  19. SAR तकनीक रात या बादलों वाली परिस्थितियों में भी चित्र लेने की अनुमति देती है।
  20. NISAR ग्रह निगरानी के लिए जलवायुस्मार्ट तकनीक के नए युग का प्रतीक है।

Q1. निसार (NISAR) उपग्रह को संयुक्त रूप से किस दो अंतरिक्ष एजेंसियों ने विकसित किया है?


Q2. निसार को अपनी तरह का पहला उपग्रह बनाने वाली विशिष्ट विशेषता क्या है?


Q3. निसार उपग्रह को कहाँ से प्रक्षेपित किया गया था?


Q4. 2026 में निसार के बाद कौन-सा इसरो मिशन लॉन्च किया जाएगा?


Q5. निसार के L-बैंड रडार का प्रमुख उपयोग क्या है?


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