एनजीटी का प्रदूषण मूल्यांकन आदेश
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने हिमाचल प्रदेश और हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को मार्कंडा नदी में प्रदूषण स्तर पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की अध्यक्षता में पारित हुआ, जिसमें औद्योगिक अपशिष्ट और सीवेज से नदी प्रदूषित होने की चिंताओं को उठाया गया था।
यह नदी स्थानीय कृषि सिंचाई और घरेलू उपयोग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
एनजीटी ने निर्देश दिया कि नदी में गिरने वाले नालों की जांच, औद्योगिक कनेक्शन की पहचान, और ZLD (Zero Liquid Discharge) मानकों के अनुपालन की समीक्षा की जाए।
Static GK Fact: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की स्थापना 18 अक्टूबर 2010 को National Green Tribunal Act, 2010 के तहत पर्यावरण संरक्षण से संबंधित मामलों के निपटारे हेतु की गई थी।
अपशिष्ट और सीवेज नियंत्रण उपाय
एनजीटी ने हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HPSPCB) और हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) को सभी अपशिष्ट बिंदुओं (Discharge Points) से जल के नमूने एकत्र कर जांचने का आदेश दिया।
यदि प्रदूषण पाया जाता है, तो सुधारात्मक उपाय (Remedial Measures) सुझाए जाने और किए गए कार्यों की रिपोर्ट जमा करने को कहा गया।
इसके साथ ही काला अंब इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी को भी अपशिष्ट परिवहन (Effluent Transport) और उपचारित जल की गुणवत्ता पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
Static GK Tip: Zero Liquid Discharge (ZLD) एक अपशिष्ट जल उपचार तकनीक है जिसमें पानी को पूर्णतः पुनःचक्रित किया जाता है और पर्यावरण में कोई तरल अपशिष्ट नहीं छोड़ा जाता।
मामले की उत्पत्ति
यह आदेश धर्मवीर द्वारा वर्ष 2022 में दायर याचिका से उत्पन्न हुआ था, जिसमें हिमाचल प्रदेश के काला अंब क्षेत्र में औद्योगिक प्रदूषण को लेकर चिंता जताई गई थी।
याचिका में कहा गया कि अशोधित औद्योगिक अपशिष्ट (Untreated Effluents) सीधे नदी में डाले जा रहे हैं, जिससे जलीय जीवन और मानव स्वास्थ्य को खतरा है।
मार्कंडा नदी, जो घग्गर नदी की सहायक नदी (Tributary) है, शिवालिक पर्वत श्रृंखला (Shivalik Hills) से हिमाचल–हरियाणा सीमा पर निकलती है।
यह नदी स्थानीय पारिस्थितिकी (Local Ecosystem) और कृषि अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक है।
सीईटीपी और औद्योगिक अनुपालन का महत्व
एनजीटी ने काला अंब जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र (CETP) की भूमिका पर विशेष बल दिया।
ये संयंत्र छोटे और मध्यम उद्योगों (SMEs) से निकलने वाले अपशिष्ट जल का सामूहिक उपचार (Collective Treatment) करते हैं।
CETP या ZLD मानकों का पालन न करने पर कानूनी दंड और पर्यावरणीय नुकसान की संभावना होती है।
Static GK Fact: भारत का पहला Common Effluent Treatment Plant (CETP) 1983 में वटवा (Vatva), गुजरात में स्थापित किया गया था।
मार्कंडा नदी का महत्व
मार्कंडा नदी का धार्मिक और पारिस्थितिक दोनों दृष्टि से विशेष महत्व है।
यह नदी हिमाचल और हरियाणा के हजारों किसानों की सिंचाई की आवश्यकता पूरी करती है और आगे चलकर घग्गर नदी में मिल जाती है, जो पंजाब और राजस्थान से होकर बहती है।
नदी की स्वच्छता बनाए रखना सिंचाई और पेयजल स्रोतों की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।
Static GK Tip: घग्गर नदी को अक्सर वैदिक सरस्वती नदी से जोड़ा जाता है, जिससे इसकी सहायक नदियाँ जैसे मार्कंडा धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| संबंधित न्यायाधिकरण | राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) |
| आदेश जारी करने वाले न्यायाधीश | न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी |
| निर्देशित राज्य | हिमाचल प्रदेश और हरियाणा |
| संबंधित नदी | मार्कंडा नदी |
| प्रमुख मुद्दा | औद्योगिक अपशिष्ट और सीवेज प्रदूषण |
| याचिकाकर्ता | धर्मवीर (2022) |
| निगरानी एजेंसियाँ | HPSPCB, HSPCB, काला अंब इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी |
| उपचार प्रणाली | सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र (CETP), ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज (ZLD) |
| नदी का उद्गम | शिवालिक पर्वत, हिमाचल-हरियाणा सीमा |
| सहायक नदी | घग्गर नदी |





