सीख और विरासत का उत्सव
भारत में हर वर्ष 11 नवम्बर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है, जो देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती का स्मरण है। यह दिन आधुनिक भारतीय शिक्षा की रूपरेखा गढ़ने और ज्ञान के माध्यम से एकता की उनकी दृष्टि को सम्मानित करता है। इस पर्व का आरम्भ 2008 में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने किया था।
स्थैतिक जीके तथ्य: शिक्षा मंत्रालय का पूर्व नाम मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) था; 2020 में इसका नाम बदला गया।
11 नवम्बर क्यों मनाया जाता है
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मौलाना आज़ाद (जन्म: 11 नवम्बर 1888, मक्का) की जन्मतिथि पर मनाया जाता है। देशभर के विद्यालय और विश्वविद्यालय सेमिनार, निबंध प्रतियोगिता और साक्षरता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं, ताकि सबके लिए शिक्षा के महत्व पर बल दिया जा सके। यह दिन संविधान द्वारा अनुच्छेद 21A के तहत शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में रेखांकित करता है।
स्थैतिक जीके टिप: शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ, जिससे 6–14 वर्ष के बच्चों के लिए शिक्षा मौलिक अधिकार बनी।
मौलाना आज़ाद – विद्वान और सुधारक
मौलाना आज़ाद स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, विद्वान और दूरदर्शी विचारक थे। उनकी उर्दू साप्ताहिक पत्रिकाएँ अल-हिलाल (1912) और अल-बलाघ ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एकता और राष्ट्रीयता की भावना जगाई। 35 वर्ष की आयु में वे 1923 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र के अध्यक्षों में से एक बने और बाद में स्वतंत्र भारत के शिक्षा मंत्री (1947–1958) रहे।
भारतीय शिक्षा में बुनियादी सुधार
शिक्षा मंत्री के रूप में आज़ाद के सुधारों ने उच्च शिक्षा की मजबूत बुनियाद रखी। उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs) जैसी संस्थाओं को प्रोत्साहित किया ताकि तकनीकी शिक्षा को बल मिले। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) जैसी संस्थाओं को भी सुदृढ़ किया।
वे शिक्षा में संस्कृति को अनिवार्य अंग मानते थे—इसी दृष्टि से साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी और संगीत नाटक अकादमी की स्थापना हुई, जो आज भी भारत की कला, साहित्य और प्रदर्शन परंपराओं को पोषित करती हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: पहला IIT खड़गपुर (1951) में स्थापित हुआ, जिसका उद्घाटन स्वयं मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने किया था।
समावेशी शिक्षा की उनकी दृष्टि
आज़ाद मानते थे कि सच्ची स्वतंत्रता तब ही संभव है जब हर नागरिक को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ हो। उनकी शिक्षा-दृष्टि आलोचनात्मक चिंतन, सृजनशीलता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित थी, न कि रटने पर। स्वतंत्रता के बाद भारत की साक्षरता और तकनीकी शिक्षा नीतियाँ इसी सोच से प्रभावित हुईं। उनकी अविस्मरणीय सेवाओं के लिए उन्हें 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया—उन्हें भारतीय शिक्षा-ढांचे के शिल्पी के रूप में मान्यता मिली।
भारत और विश्व: साझा शैक्षिक दृष्टिकोण
जहाँ भारत 11 नवम्बर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाता है, वहीं संयुक्त राष्ट्र 24 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाता है। 2025 की थीम “AI and Education: Preserving Human Agency” है—जो सीखने में तकनीक और मानवीय मूल्यों के संतुलन पर बल देती है और मानव विकास व एकता केंद्रित आज़ाद की शिक्षा-दृष्टि के अनुरूप है।
स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स टेबल
| विषय | विवरण |
| पर्यवेक्षण | राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2025 |
| तिथि | 11 नवम्बर 2025 |
| सम्मानित व्यक्तित्व | मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (जन्म 1888, मक्का) |
| आरम्भकर्ता | शिक्षा मंत्रालय (पूर्व में MHRD), 2008 |
| प्रमुख संस्थाएँ | UGC, IITs, IISc, AICTE, साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी |
| भारत रत्न | 1992 (मरणोपरांत) |
| मौलिक अधिकार | अनुच्छेद 21A – शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2010 |
| वैश्विक संदर्भ | International Day of Education – 24 जनवरी |
| 2025 UN थीम | AI and Education: Preserving Human Agency |
| विरासत संदेश | शिक्षा = एकता, समानता और प्रगति की आधारशिला |





