नए मार्केट लीडर का उदय
अक्टूबर 2025 में, एली लिली एंड कंपनी द्वारा विकसित मौंज़ारो (Mounjaro) ने भारत की सबसे अधिक मूल्य वाली बिकने वाली दवा का दर्जा हासिल किया, जिसकी मासिक बिक्री ₹1 बिलियन को पार कर गई।
यह मील का पत्थर भारत के फार्मास्यूटिकल परिदृश्य में ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक है, जो मेटाबॉलिक और जीवनशैली-आधारित बीमारियों की ओर झुकाव को दर्शाता है।
मार्च 2025 में लॉन्च की गई इस दवा ने अक्टूबर 2025 के अंत तक ₹3.33 बिलियन की संचयी बिक्री दर्ज की।
इसकी तेज़ सफलता यह दर्शाती है कि भारत में अब ऐसी दवाओं की मांग बढ़ रही है जो मधुमेह और मोटापा — दोनों को नियंत्रित करती हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: एली लिली एंड कंपनी (Eli Lilly) की स्थापना 1876 में हुई थी। इसका मुख्यालय इंडियानापोलिस (USA) में स्थित है, और यह इंसुलिन के व्यावसायीकरण में अग्रणी कंपनियों में से एक है।
मोटापा और मधुमेह प्रबंधन का नया युग
भारत में 10 करोड़ से अधिक वयस्क मधुमेह रोगी हैं, और मोटापे के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
मौंज़ारो की कार्यविधि — GLP-1 और GIP दोनों रिसेप्टरों को लक्ष्य बनाना — एक दोहरी उपचार रणनीति है जो ब्लड शुगर नियंत्रण और वजन घटाने दोनों में मदद करती है।
जून 2025 में लॉन्च हुए प्रतिस्पर्धी दवा वेगोवी (Wegovy) की तुलना में मौंज़ारो ने अक्टूबर में लगभग 10 गुना अधिक बिक्री दर्ज की।
यह दर्शाता है कि रोगियों और डॉक्टरों के बीच दोहरे हार्मोन-आधारित उपचार (Dual-hormone therapy) को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है।
स्थैतिक जीके टिप: GLP-1 श्रेणी की दवाएँ वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय हुईं जब Ozempic को 2017 में U.S. FDA द्वारा टाइप-2 डायबिटीज़ के लिए मंज़ूरी मिली।
मूल्य निर्धारण और बाजार विस्तार
भारत में मौंज़ारो की शुरुआती खुराक (2.5 mg) की कीमत लगभग ₹14,000 रखी गई थी, जिसे बाद में वायल और पेन-डिवाइस फॉर्मेट में भी उपलब्ध कराया गया।
इसके प्रीमियम मूल्य के बावजूद, शहरी उच्च-आय वर्गों में मांग तेजी से बढ़ी, जो यह संकेत देती है कि भारत अब जीवनशैली-केंद्रित स्वास्थ्य खर्च की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
फार्मा विश्लेषकों का कहना है कि यह प्रवृत्ति भारत में प्रिवेंटिव (रोकथाम-केंद्रित) और सौंदर्य-आधारित स्वास्थ्य निवेश के प्रति बढ़ती स्वीकृति को दर्शाती है, विशेष रूप से मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे महानगरों में।
बाजार प्रतिस्पर्धा और गतिशीलता
लॉन्च के सिर्फ सात महीनों में शीर्ष स्थान पर पहुँचना यह दर्शाता है कि नवाचार और वैश्विक ब्रांड शक्ति कैसे पारंपरिक फार्मा संरचना को बदल सकती है।
मेटफॉर्मिन और ग्लाइमेपिराइड जैसी पुरानी मधुमेह दवाएँ अब इन उन्नत इंजेक्टेबल्स से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं, जो शहरी स्वास्थ्य चुनौतियों के अनुरूप हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत फार्मास्यूटिकल उत्पादन मात्रा (Volume) में दुनिया में तीसरे स्थान पर है, चीन और अमेरिका के बाद — जिससे यह वैश्विक दवा बाजार का प्रमुख खिलाड़ी बनता है।
नीतिगत और पहुंच से जुड़ी चुनौतियाँ
हालाँकि मौंज़ारो की सफलता वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक है, लेकिन इसने पहुंच (Accessibility) और सुलभता (Affordability) से जुड़े प्रश्न भी उठाए हैं।
फिलहाल, बहुत कम बीमा योजनाएँ मोटापा-रोधी दवाओं को कवर करती हैं।
यह स्थिति इस दिशा में सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों और बीमा कवरेज के विस्तार की आवश्यकता को उजागर करती है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले समय में सरकारी दिशानिर्देश और मूल्य-नियमन ढाँचे (price regulation frameworks) विकसित किए जा सकते हैं, क्योंकि भारत में मोटापा-रोधी दवाओं की मांग और बढ़ने की संभावना है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| दवा का नाम | मौंज़ारो |
| निर्माता कंपनी | एली लिली एंड कंपनी |
| मासिक बिक्री (अक्टूबर 2025) | ₹1 बिलियन (≈ $11.38 मिलियन) |
| भारत में लॉन्च | मार्च 2025 |
| प्रमुख प्रतिस्पर्धी | वेगोवी (Wegovy – नोवो नॉर्डिस्क) |
| कार्यविधि | GLP-1 और GIP रिसेप्टरों पर द्वि-क्रिया |
| प्रारंभिक कीमत | ₹14,000 (2.5 mg पैक) |
| वैश्विक मुख्यालय | इंडियानापोलिस, USA |
| भारत की फार्मा रैंक (उत्पादन मात्रा) | वैश्विक स्तर पर तीसरा स्थान |
| प्रमुख चिंता | बीमा कवरेज और सस्ती उपलब्धता |





