MoEFCC द्वारा बाघ स्थानांतरण की स्वीकृति
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने आठ बाघों के स्थानांतरण को मंजूरी दी है। यह निर्णय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 12 के तहत लिया गया है, जो अनुसूची I प्रजातियों के स्थानांतरण हेतु पूर्व अनुमति को अनिवार्य करता है।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की भूमिका
इस अधिनियम के तहत अनुसूची I के जानवरों (जैसे बाघ) के स्थानांतरण के लिए केंद्र सरकार की स्वीकृति आवश्यक है। अन्य जंगली प्रजातियों के लिए राज्य सरकारें अधिकार रखती हैं। यदि सुरक्षा संबंधी समस्या या दुर्घटना होती है तो MoEFCC लाइसेंस रद्द करने का भी अधिकार रखता है।
स्थिर जीके तथ्य: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 में छह अनुसूचियाँ बनाई गईं, जिनमें विभिन्न स्तरों पर प्रजातियों की सुरक्षा तय की गई है।
स्थानांतरण का विवरण और उद्देश्य
योजना के तहत ताडोबा-अंधारी और पेंच टाइगर रिजर्व से तीन नर और पाँच मादा बाघों को महाराष्ट्र के साह्याद्री टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया जाएगा। मुख्य उद्देश्य पश्चिमी घाट के उत्तरी भाग में बाघों की लुप्त हो चुकी आबादी को पुनर्जीवित करना है।
संरक्षण में NTCA की भूमिका
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे दी है और यह सुनिश्चित किया है कि सभी पारिस्थितिक और संरक्षण मानकों का पालन हो। NTCA देशभर में बाघ स्थानांतरण की रूपरेखा और निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
स्थिर जीके टिप: NTCA की स्थापना 2005 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम संशोधनों के तहत की गई थी और यह MoEFCC के अधीन कार्य करता है।
बाघ स्थानांतरण के लाभ
- शिकार-शिकारी संतुलन की पुनर्स्थापना
- मानव-बाघ संघर्ष में कमी (अधिक भीड़ वाले क्षेत्रों से राहत)
- क्षीण परिदृश्य का पुनर्वन्यीकरण
- महत्वपूर्ण बाघ आवासों में पारिस्थितिक स्वास्थ्य का संरक्षण
चुनौतियाँ और चिंताएँ
- स्थानीय समुदाय का विरोध
- बाघों के बीच क्षेत्रीय संघर्ष
- शिकार प्रजातियों की कमी और अपर्याप्त वन प्रबंधन
इन चुनौतियों का समाधान करना दीर्घकालिक सफलता के लिए आवश्यक है।
साह्याद्री टाइगर रिजर्व की विशेषताएँ
साह्याद्री टाइगर रिजर्व को 2010 में चंदोली राष्ट्रीय उद्यान और कोयना वन्यजीव अभयारण्य के विलय से अधिसूचित किया गया था। यह पश्चिमी घाट में सबसे उत्तरी बाघ आवास का प्रतिनिधित्व करता है।
मुख्य विशेषताएँ:
- शिवसागर जलाशय (कोयना नदी)
- वसंत सागर जलाशय (वारणा नदी)
- यहाँ पाए जाने वाले प्रजातियाँ: तेंदुए, जंगली कुत्ते, गौर, सांभर, चौसिंगा, विशाल गिलहरी और स्थानिक हॉर्नबिल।
स्थिर जीके तथ्य: पश्चिमी घाट UNESCO विश्व धरोहर स्थल है, जो अपनी जैव विविधता और स्थानिक प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
मंत्रालय की स्वीकृति | MoEFCC ने बाघ स्थानांतरण की अनुमति दी |
कानूनी आधार | धारा 12, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 |
बाघों की संख्या | आठ (3 नर, 5 मादा) |
स्रोत रिजर्व | ताडोबा-अंधारी व पेंच टाइगर रिजर्व |
गंतव्य रिजर्व | साह्याद्री टाइगर रिजर्व, महाराष्ट्र |
NTCA की भूमिका | योजना को मंजूरी और निगरानी |
लाभ | पारिस्थितिक संतुलन, संघर्ष में कमी, पुनर्वन्यीकरण |
चिंताएँ | स्थानीय विरोध, क्षेत्रीय संघर्ष, शिकार प्रजातियों की कमी |
साह्याद्री अधिसूचना वर्ष | 2010 |
प्रमुख जलाशय | शिवसागर (कोयना), वसंत सागर (वारणा) |