देशव्यापी MLFF विस्तार योजना
केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि मल्टी-लेन फ्री फ्लो (MLFF) टोलिंग सिस्टम को 2026 के अंत तक पूरे भारत में लागू किया जाएगा। यह कदम उन्नत डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके राष्ट्रीय राजमार्ग बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है। लक्ष्य फिजिकल टोल बूथों को खत्म करना और यात्रा का एक सहज अनुभव बनाना है।
यह घोषणा केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में की। यह पहल प्रौद्योगिकी-संचालित परिवहन प्रणालियों और कम लॉजिस्टिक्स लागत के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
स्टेटिक जीके तथ्य: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है।
टोल प्लाजा पर जीरो वेटिंग
MLFF सिस्टम की एक प्रमुख विशेषता टोल प्लाजा पर रुकने की पूरी तरह से समाप्ति है। वाहनों को अब टोल भुगतान के लिए धीमा होने या कतार में लगने की आवश्यकता नहीं होगी। टोल बिंदुओं पर लक्षित प्रतीक्षा समय शून्य मिनट है।
इस प्रणाली के तहत, वाहन 80 किमी प्रति घंटे तक की गति से टोल स्थानों को पार कर सकते हैं। इस निर्बाध आवाजाही से यात्रियों की सुविधा में काफी सुधार होने और व्यस्त राजमार्ग गलियारों पर भीड़ कम होने की उम्मीद है।
स्टेटिक जीके टिप: भारत में 1.4 लाख किलोमीटर से अधिक राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जो सड़क परिवहन की रीढ़ हैं।
MLFF टोलिंग को चलाने वाली प्रौद्योगिकी
MLFF सिस्टम उन्नत डिजिटल प्रौद्योगिकियों के संयोजन पर निर्भर करता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित नंबर प्लेट पहचान, सैटेलाइट ट्रैकिंग और FASTag एकीकरण वाहनों की पहचान करने और स्वचालित रूप से टोल शुल्क काटने के लिए एक साथ काम करते हैं।
ओवरहेड गैन्ट्री पर लगाए गए कैमरे और सेंसर वास्तविक समय में वाहन के विवरण कैप्चर करते हैं। यह प्रणाली मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता को कम करती है, जिससे टोल संग्रह में त्रुटि और हेरफेर की संभावना कम हो जाती है।
स्टेटिक जीके तथ्य: FASTag को 2019 में RFID तकनीक का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक टोल भुगतान सक्षम करने के लिए देशव्यापी स्तर पर पेश किया गया था।
यातायात और ईंधन दक्षता पर प्रभाव
टोल प्लाजा पर रुक-रुक कर चलने वाले यातायात को खत्म करने से राजमार्गों पर यातायात प्रवाह सुचारू होने की उम्मीद है। कम ब्रेकिंग और त्वरण से ईंधन की खपत और वाहन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।
पहले, टोल भुगतान का समय प्रति वाहन 3 से 10 मिनट के बीच होता था। FASTag ने इसे एक मिनट से भी कम कर दिया, और MLFF का मकसद स्टॉपेज को पूरी तरह से हटाकर एफिशिएंसी को और बेहतर बनाना है।
रेवेन्यू ट्रांसपेरेंसी को बढ़ावा
सरकार को उम्मीद है कि MLFF सिस्टम टोल रेवेन्यू लीकेज की समस्या को हल करेगा। ऑटोमेटेड टोलिंग से दूरी के हिसाब से या इस्तेमाल के हिसाब से सही चार्जिंग सुनिश्चित होती है, जिससे कलेक्शन में ट्रांसपेरेंसी बेहतर होती है।
मंत्री ने बताया कि डिजिटल टोलिंग से टोल रेवेन्यू में पहले ही काफी बढ़ोतरी हुई है। MLFF के साथ, सिस्टम और भी मजबूत और ऑडिट-फ्रेंडली हो जाता है।
स्टैटिक GK टिप: टोल रेवेन्यू भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग के लिए इनकम का एक मुख्य नॉन-टैक्स सोर्स है।
डिजिटल हाईवे मैनेजमेंट की ओर
MLFF टोलिंग AI-बेस्ड हाईवे मैनेजमेंट सिस्टम की दिशा में भी एक कदम है। गाड़ियों से मिलने वाला रियल-टाइम डेटा ट्रैफिक मॉनिटरिंग, घटना का पता लगाने और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग में मदद कर सकता है।
यह बदलाव स्मार्ट ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर भारत के बड़े कदम को दिखाता है, जो आर्थिक विकास को सपोर्ट करता है और लॉजिस्टिक्स की रुकावटों को कम करता है। 2026 तक पूरे देश में इसे लागू करना भारत के सड़क परिवहन सुधार में एक बड़ा मील का पत्थर है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| योजना का नाम | मल्टी-लेन फ्री फ़्लो टोलिंग सिस्टम |
| मंत्रालय | सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय |
| घोषणा करने वाले | नितिन गडकरी |
| लक्ष्य वर्ष | 2026 |
| प्रमुख प्रौद्योगिकियाँ | एआई, नंबर प्लेट पहचान, सैटेलाइट ट्रैकिंग, फास्टैग |
| टोल पर प्रतीक्षा समय | शून्य मिनट |
| टोल बिंदुओं पर गति | 80 किमी/घंटा तक |
| मुख्य उद्देश्य | निर्बाध टोलिंग और राजमार्ग दक्षता में सुधार |
| राजस्व प्रभाव | रिसाव में कमी और अधिक पारदर्शिता |
| क्षेत्र | राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना |





