महाराष्ट्र का तटीय गौरव
भारत के तटीय संरक्षण प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, महाराष्ट्र के पाँच समुद्र तटों — श्रिवर्धन, नागांव, पारनाका, गुहागर और लाडघर — को प्रतिष्ठित ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त हुआ है। यह अंतरराष्ट्रीय इको-लेबल पर्यावरणीय उत्कृष्टता, सुरक्षा और स्थिरता के लिए वैश्विक स्वर्ण मानक माना जाता है।
यह घोषणा महाराष्ट्र की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिती तटकरे ने की, जिन्होंने राज्य में बढ़ते इको-टूरिज्म पर बल दिया।
ब्लू फ्लैग प्रमाणन का अर्थ
ब्लू फ्लैग प्रमाणन, जो डेनमार्क स्थित फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंटल एजुकेशन (FEE) द्वारा संचालित है, स्वच्छ, सुरक्षित और पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदार समुद्र तटों का प्रतीक है। यह प्रमाणन 33 मानकों के तहत कठोर मूल्यांकन के बाद दिया जाता है, जिसमें पर्यावरण शिक्षा, जल गुणवत्ता, प्रबंधन और सुरक्षा शामिल हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: ब्लू फ्लैग कार्यक्रम की शुरुआत 1987 में यूरोप में की गई थी ताकि सतत तटीय पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।
ब्लू फ्लैग योग्यता प्राप्त करने के लिए समुद्र तटों को निम्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता दिखानी होती है:
• जल गुणवत्ता और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण
• सतत अपशिष्ट प्रबंधन
• जन सुरक्षा और पहुंच-सुविधा
• पर्यावरण शिक्षा और जागरूकता पहल
प्रमाणित पाँच समुद्र तट
महाराष्ट्र के इन पाँच समुद्र तटों ने राज्य के तटीय विकास में विशिष्ट योगदान दिया है —
• श्रिवर्धन बीच और नागांव बीच — रायगढ़ ज़िले में स्थित, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और उन्नत तटीय सुविधाओं के लिए प्रसिद्ध।
• पारनाका बीच — पालघर ज़िले में स्थित, अब एक प्रमुख इको-टूरिज्म केंद्र बन चुका है।
• गुहागर बीच और लाडघर बीच — रत्नागिरी ज़िले में, अपने स्वच्छ रेत और सतत स्थानीय पर्यटन के लिए जाने जाते हैं।
स्थैतिक जीके टिप: रत्नागिरी ज़िला लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्मस्थान और प्रसिद्ध हापुस आम के लिए भी प्रसिद्ध है।
भारत का विस्तृत ब्लू फ्लैग नेटवर्क
भारत की पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत चल रहे इंटीग्रेटेड कोस्टल ज़ोन मैनेजमेंट प्रोग्राम (ICZMP) के माध्यम से लगातार मजबूत हो रही है।
पूर्व में प्रमाणित समुद्र तटों में शामिल हैं — शिवराजपुर (गुजरात), गोल्डन बीच (ओडिशा), काप्पड (केरल), कोवलम (तमिलनाडु) और रुशिकोंडा (आंध्र प्रदेश)।
महाराष्ट्र के पाँच नए तटों के जुड़ने से भारत ने इको–फ्रेंडली तटीय पर्यटन को बढ़ावा देने वाले देशों में अपनी स्थिति और सुदृढ़ की है।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत का पहला ब्लू फ्लैग समुद्र तट चंद्रभागा बीच (ओडिशा) था, जिसे 2018 में मान्यता प्राप्त हुई।
व्यापक प्रभाव और वैश्विक संरेखण
यह उपलब्धि न केवल महाराष्ट्र के पर्यटन को बढ़ावा देती है बल्कि संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 14 – “जीवन जल के नीचे (Life Below Water)” के साथ भी मेल खाती है, जिसका उद्देश्य महासागरों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण है।
यह भारत की ब्लू इकोनॉमी की दृष्टि को भी सशक्त बनाती है, जो तटीय लचीलापन और सतत आजीविका को प्रोत्साहित करती है।
स्थानीय समुदायों को इससे बढ़े हुए पर्यटन, बेहतर बुनियादी ढाँचे और पर्यावरणीय जागरूकता के माध्यम से लाभ मिलेगा। साथ ही यह पहल समुद्री पारिस्थितिकी की रक्षा हेतु निरंतर निगरानी और शिक्षा को भी प्रोत्साहित करती है।
स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| ब्लू फ्लैग प्रमाणन | फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंटल एजुकेशन (FEE), डेनमार्क द्वारा प्रदान किया गया अंतरराष्ट्रीय इको-लेबल |
| कुल मानक (Criteria) | पर्यावरण, सुरक्षा और शिक्षा से जुड़े 33 पैरामीटर |
| नव–प्रमाणित महाराष्ट्र के समुद्र तट | श्रिवर्धन, नागांव, पारनाका, गुहागर, लाडघर |
| कार्यक्रम का प्रारंभ वर्ष | 1987 (यूरोप) |
| भारत में कार्यक्रम की निगरानी मंत्रालय | पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) |
| भारत का पहला ब्लू फ्लैग समुद्र तट | चंद्रभागा बीच, ओडिशा (2018) |
| FEE का वैश्विक मुख्यालय | कोपेनहेगन, डेनमार्क |
| समर्थित संयुक्त राष्ट्र SDG | लक्ष्य 14 – जीवन जल के नीचे (Life Below Water) |
| मुख्य लाभ | इको-टूरिज्म को बढ़ावा और सतत आजीविका |
| संबंधित राष्ट्रीय कार्यक्रम | इंटीग्रेटेड कोस्टल ज़ोन मैनेजमेंट प्रोग्राम (ICZMP) |





