स्वच्छ सर्वेक्षण को समझना
स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 भारत का वार्षिक स्वच्छता मूल्यांकन (Cleanliness Assessment) है, जिसे आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) द्वारा स्वच्छ भारत मिशन (Urban) के अंतर्गत संचालित किया जाता है।
यह सर्वेक्षण शहरों का मूल्यांकन ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (solid waste management), नागरिक प्रतिक्रिया (citizen feedback), नवाचार (innovation) और स्वच्छता मानकों (sanitation standards) के आधार पर करता है।
इस सर्वेक्षण में 4,000 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को शामिल किया जाता है ताकि प्रतिस्पर्धा और स्थायी स्वच्छता प्रयासों को प्रोत्साहन मिले।
स्थैतिक तथ्य (Static GK fact): स्वच्छ सर्वेक्षण की शुरुआत 2016 में स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत हुई थी,
जो 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जयंती पर आरंभ किया गया था।
मदुरै सबसे गंदे शहरों की सूची में शीर्ष पर
स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 में मदुरै को भारत का सबसे गंदा शहर घोषित किया गया, जिसका स्कोर 4,823 रहा।
इसके बाद क्रमशः लुधियाना, चेन्नई, रांची और बेंगलुरु का स्थान रहा।
रिपोर्ट से स्पष्ट है कि बड़े महानगरों में अब भी अनियोजित शहरीकरण (unplanned urban growth) और कमज़ोर कचरा प्रबंधन प्रणाली गंभीर चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
स्थैतिक जीके टिप (Static GK Tip): मदुरै, जो वैगई नदी के तट पर स्थित है, भारत के सबसे पुराने आबाद शहरों में से एक है और अपने मीनाक्षी अम्मन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
महानगरों में गिरती स्वच्छता और नागरिक चुनौतियाँ
बेंगलुरु, चेन्नई और दिल्ली जैसे प्रमुख महानगरों ने कमज़ोर स्वच्छता स्कोर दर्ज किए हैं।
तेज़ शहरीकरण, भरे हुए लैंडफिल, और अपर्याप्त कचरा पृथक्करण प्रणाली के कारण इन शहरों में स्वच्छता स्तर में भारी गिरावट आई है।
कभी “गार्डन सिटी” कहे जाने वाले बेंगलुरु को अब अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि और ठोस कचरे की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
इसी प्रकार, चेन्नई और दिल्ली में जलभराव, वायु प्रदूषण और सीमित सीवेज उपचार जैसी समस्याएँ बनी हुई हैं,
जो शहरी योजना और जन-जागरूकता की गहरी खामियों को उजागर करती हैं।
छोटे शहरों का उत्कृष्ट प्रदर्शन
इसके विपरीत, इंदौर, सूरत और नवी मुंबई जैसे शहर लगातार भारत के सबसे स्वच्छ शहरी केंद्रों में बने हुए हैं।
उनकी सफलता का कारण है —
- डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण (door-to-door waste collection)
- जन-जागरूकता अभियान
- और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी (citizen participation)
स्थैतिक तथ्य (Static GK fact): इंदौर को लगातार सात वर्षों तक भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है।
यह दर्शाता है कि केवल आर्थिक निवेश नहीं, बल्कि प्रभावी शहरी प्रबंधन और सामुदायिक सहभागिता ही वास्तविक परिवर्तन लाती है।
पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभाव
रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अप्रसंस्कृत सीवेज (untreated sewage), लैंडफिल रखरखाव की कमी, और प्लास्टिक कचरे का जमाव
गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट पैदा कर रहे हैं।
डेंगू, श्वसन रोग (respiratory issues) और जलजनित बीमारियाँ (waterborne diseases) में वृद्धि सीधे कमज़ोर शहरी स्वच्छता से जुड़ी है।
स्थैतिक जीके टिप (Static GK Tip): भारत प्रतिदिन 1.6 लाख टन से अधिक ठोस कचरा उत्पन्न करता है,
जिसमें से केवल 70% संग्रहित और 30% वैज्ञानिक रूप से निस्तारित किया जाता है।
सरकारी प्रतिक्रिया और आगामी कार्य योजना
आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने कम रैंक वाले शहरों को कठोर अपशिष्ट पृथक्करण नियम लागू करने और
आधुनिक अपशिष्ट उपचार संयंत्र (waste treatment facilities) स्थापित करने के निर्देश दिए हैं।
सरकार स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत
- स्मार्ट वेस्ट ट्रैकिंग सिस्टम,
- डिजिटल मॉनिटरिंग, और
- AI-आधारित स्वच्छता विश्लेषण प्रणाली लागू करने पर कार्य कर रही है।
जनभागीदारी (Public Participation) अब भी इस मिशन की सफलता की कुंजी है —
जागरूकता अभियान और स्थानीय निकायों की सक्रिय भूमिका भारत के स्वच्छता आंदोलन में स्थायी परिवर्तन ला सकते हैं।
स्थैतिक “Usthadian” चालू घटनाएँ तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| सर्वेक्षण प्राधिकरण | आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) |
| आरंभ हुआ कार्यक्रम | स्वच्छ भारत मिशन (Urban) |
| आरंभ वर्ष | 2016 |
| सबसे गंदा शहर 2025 | मदुरै |
| सबसे स्वच्छ शहर 2025 | इंदौर |
| सर्वेक्षित शहरों की संख्या | 4,000 से अधिक |
| प्रमुख मापदंड | अपशिष्ट प्रबंधन, नागरिक प्रतिक्रिया, स्वच्छता, नवाचार |
| सरकारी पहल | स्वच्छ भारत मिशन 2.0 |
| प्रमुख पर्यावरणीय चिंता | अप्रसंस्कृत सीवेज और प्लास्टिक कचरा |
| उल्लेखनीय उपलब्धि | इंदौर लगातार सात वर्षों से भारत का सबसे स्वच्छ शहर |





