नवम्बर 5, 2025 6:22 अपराह्न

भारतीय महानगरों में भूमि धंसाव का खतरा

चालू घटनाएँ: भूमि धंसाव, भूजल दोहन, दिल्ली, चेन्नई, उपग्रह रडार अध्ययन, PSInSAR प्रौद्योगिकी, SBAS-InSAR, SqueeSAR, शहरीकरण, पर्यावरणीय प्रभाव, एक्वीफर रीचार्ज

Land Subsidence Threat in Indian Megacities

समस्या का सारांश

2015 से 2023 के बीच किए गए वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि भारत के पाँच प्रमुख महानगर — दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु और चेन्नई — अत्यधिक भूजल दोहन के कारण गंभीर भूमि धंसाव (land subsidence) का सामना कर रहे हैं।
यह केवल भू-वैज्ञानिक समस्या नहीं है, बल्कि शहरी सततता और आपदा प्रबंधन का गंभीर मुद्दा है जो करोड़ों लोगों को प्रभावित कर रहा है।

स्थिर जीके तथ्य: “Land Subsidence” शब्द का प्रचलन पहली बार सैन जॉक्विन वैली, कैलिफ़ोर्निया (USA) में 20वीं सदी के मध्य में आई भूमि धंसाव संकट के बाद व्यापक रूप से हुआ।

प्रभाव और पैमाना

अध्ययन के अनुसार लगभग 8 करोड़ लोग प्रभावित हैं।
दिल्ली में सबसे अधिक 51 मिमी प्रति वर्ष तक भूमि धंसाव दर्ज किया गया, जबकि द्वारका क्षेत्र में कहीं-कहीं हल्का भूमि उठाव (uplift) भी पाया गया।
मुंबई और चेन्नई में यह समस्या अनियंत्रित भूजल निकासीतेज़ शहरी विस्तार से जुड़ी है।
कोलकाता की कोमल जलोढ़ मिट्टी (alluvial soil) इसे और संवेदनशील बनाती है, जबकि बेंगलुरु में पुराने तालाब तल (lake beds) पर निर्माण से असमान धंसाव हो रहा है।

स्थिर जीके टिप: संयुक्त राष्ट्र (UN) की परिभाषा के अनुसार भारत के छह महानगर हैं — दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद — प्रत्येक में 1 करोड़ से अधिक जनसंख्या है।

भूमि धंसाव के मुख्य कारण

  • घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए भूजल का अत्यधिक पंपिंग
    खनन और भूमिगत निर्माण से मिट्टी की स्थिरता में विघटन
    तेज़ शहरीकरण से संरचनात्मक भार में वृद्धि
    प्राकृतिक भूपर्पटीय गतियाँ और पूर्वोत्तर राज्यों (असम, सिक्किम) में हाइड्रोकार्बन निकासी

इसके साथ-साथ जोशीमठ और मसूरी जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में भी अनियंत्रित निर्माण के कारण भूमि धंसाव देखा जा रहा है — जिससे यह एक राष्ट्रीय स्तरीय चुनौती बन गई है।

शहरी और पर्यावरणीय प्रभाव

दिल्ली में 2,000 से अधिक इमारतें संरचनात्मक जोखिम क्षेत्र में आ चुकी हैं। सड़कों और पाइपलाइनों का असंतुलन बढ़ रहा है।
तटीय शहरों जैसे चेन्नई और मुंबई में खारे पानी की घुसपैठ (saltwater intrusion) से पीने के पानी और कृषि भूमि दोनों को नुकसान हो रहा है।

दीर्घकाल में यह समस्या नाली प्रणालियों को विघटित कर शहरी बाढ़ की तीव्रता बढ़ाती है और मेट्रो टनल, पुलों, अन्य आधारभूत ढाँचों को नुकसान पहुँचाती है।
साथ ही यह नदी प्रवाहों में बदलाव, दलदली भूमि का अपघटन और कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि जैसे पर्यावरणीय प्रभाव भी लाती है।

स्थिर जीके तथ्य: सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड (CGWB) भारत में भूजल स्तर की निगरानी करता है और हर वर्ष डायनेमिक ग्राउंडवॉटर रिसोर्सेज रिपोर्ट” प्रकाशित करता है।

प्रौद्योगिकी और रोकथाम उपाय

भूमि धंसाव को रोकने के लिए वैज्ञानिकों ने निम्न उपाय सुझाए हैं —
कृत्रिम एक्वीफर रीचार्ज — वर्षा जल को भूमि में संचारित करने के लिए पर्कोलेशन टैंक और रीचार्ज कुएँ बनाना।
डीप सॉइल मिक्सिंग — भूमिगत मिट्टी में स्थिरता लाने के लिए रासायनिक एजेंट का इंजेक्शन।
उपग्रह निगरानी तकनीकें — घनी शहरी ज़ोन के लिए PSInSAR, कृषि क्षेत्रों के लिए SBAS-InSAR और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए SqueeSAR का उपयोग।

शहरी योजनाकारों को वॉटर-सेंसिटिव अर्बन डिज़ाइन (WSUD) और नियामक ढाँचे को अपनाने की सलाह दी गई है जो बोरवेल दोहन को सीमित कर सकें।

स्थिर जीके टिप: भारत ने 2012 में पहली बार हाइड्रोजियोलॉजिकल मैपिंग प्रोग्राम शुरू किया था, जिससे राज्य-स्तरीय भूजल प्रबंधन सुधारा जा सके।

स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका

विषय विवरण
अध्ययन अवधि 2015 – 2023
प्रभावित शहर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई
सर्वाधिक धंसाव दर दिल्ली – 51 मिमी प्रति वर्ष
प्रभावित जनसंख्या लगभग 8 करोड़
मुख्य कारण अत्यधिक भूजल दोहन
प्रमुख परिणाम अवसंरचना क्षति, खारे पानी की घुसपैठ, बाढ़
निगरानी तकनीकें PSInSAR, SBAS-InSAR, SqueeSAR
रोकथाम उपाय कृत्रिम एक्वीफर रीचार्ज, डीप सॉइल मिक्सिंग
जिम्मेदार एजेंसी सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड (CGWB)
संबंधित क्षेत्र असम, सिक्किम, जोशीमठ, मसूरी
Land Subsidence Threat in Indian Megacities
  1. अध्ययन (2015–2023) से पता चलता है कि पाँच भारतीय महानगर भूजल ह्रास के कारण डूब रहे हैं
  2. सबसे ज़्यादा प्रभावित: दिल्ली, जहाँ प्रति वर्ष 51 मिमी भूजल धंसाव दर्ज किया गया।
  3. अन्य प्रभावित शहर: मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, और बेंगलुरु
  4. लगभग 8 करोड़ लोग भूमि धंसाव से प्रभावित हैं।
  5. मुख्य कारण: शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक भूजल निष्कर्षण
  6. दिल्ली के द्वारका क्षेत्र में असमान उत्थान विस्थापन देखा गया।
  7. मुंबई और चेन्नई में खारे पानी के घुसपैठ का खतरा बढ़ रहा है।
  8. कोलकाता नरम जलोढ़ मिट्टी के आधार के कारण असुरक्षित है।
  9. बेंगलुरु का धंसाव झील तल पर निर्माण से जुड़ा है।
  10. प्रयुक्त तकनीक: PSInSAR, SBAS-InSAR, और SqueeSAR उपग्रह इमेजिंग
  11. धंसाव से बाढ़, इमारतों के ढहने, और पाइपलाइन क्षति में वृद्धि होती है।
  12. दिल्ली में 2,000+ इमारतें पहले से ही संरचनात्मक जोखिम में हैं।
  13. इसके प्रभावों में मेट्रो सुरंगों का विरूपण और शहरी बुनियादी ढाँचे की विफलता शामिल है।
  14. तटीय धंसाव से कृषि और पेयजल आपूर्ति को भी खतरा है।
  15. कृत्रिम जलभृत पुनर्भरण और गहरी मृदा मिश्रण तकनीक की सिफ़ारिश की गई है।
  16. भारत ने 2012 में जलभूवैज्ञानिक मानचित्रण कार्यक्रम शुरू किया।
  17. जोशीमठ और मसूरी में भी इसी तरह के भूधंसाव की सूचना मिली है।
  18. केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) देशभर में भूजल स्तर की निगरानी करता है।
  19. भूधंसाव से शहरी गर्मी द्वीप प्रभाव और जल निकासी की समस्याएँ और बिगड़ती हैं।
  20. जलसंवेदनशील शहरी नियोजन और बोरवेल विनियमन की तत्काल आवश्यकता है।

Q1. किस भारतीय शहर में सबसे अधिक भू-अवसादन (subsidence) दर्ज किया गया?


Q2. भारतीय शहरों में भूमि धंसने (land subsidence) का मुख्य कारण क्या है?


Q3. भू-अवसादन की निगरानी के लिए किस उपग्रह तकनीक का उपयोग किया जाता है?


Q4. अनुमानतः कितने लोग भू-अवसादन से प्रभावित हैं?


Q5. भारत में भूजल की निगरानी कौन-सी एजेंसी करती है?


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