अक्टूबर 1, 2025 1:35 पूर्वाह्न

स्वायत्तता और सुरक्षा के लिए लद्दाख में विरोध प्रदर्शन

चालू घटनाएँ: लद्दाख प्रदर्शन, छठी अनुसूची, राज्य का दर्जा, सोनम वांगचुक, लेह एपेक्स बॉडी, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस, अनुच्छेद 370, जनजातीय अधिकार, केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा, संवैधानिक सुरक्षा

Ladakh Protests for Autonomy and Safeguards

लद्दाख में बढ़ते प्रदर्शन

सितम्बर 2025 में लेह में हिंसक झड़पों के बाद लद्दाख में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। एक भाजपा कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया और पुलिस की कार्रवाई (आँसू गैस) में 4 लोगों की मौत और 30 लोग घायल हुए। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) ने बंद का आह्वान किया, जबकि कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने शांति की अपील करते हुए 15 दिन का अनशन समाप्त किया। यह अशांति लद्दाख की राजनीतिक स्थिति पर लंबे समय से जारी असंतोष को दर्शाती है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत अनुच्छेद 370 हटाकर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बाँटा गया। जहाँ जम्मू-कश्मीर को विधानमंडल मिला, वहीं लद्दाख बिना विधानमंडल वाला केंद्रशासित प्रदेश बन गया। यह प्रतिनिधित्व की कमी राजनीतिक असंतोष और अधिक स्वायत्तता की माँग का कारण बनी।
स्थैतिक तथ्य: अनुच्छेद 370 को 1949 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के लिए शामिल किया गया था।

छठी अनुसूची की माँग

लद्दाख की 90% से अधिक आबादी अनुसूचित जनजातियों की है, जिससे यह क्षेत्र संवैधानिक सुरक्षा के योग्य बनता है। छठी अनुसूची स्वायत्त ज़िला परिषदों (ADCs) को भूमि, वन, कृषि, स्वास्थ्य और पुलिसिंग पर अधिकार देती है। वर्तमान में छह पूर्वोत्तर राज्यों में ADCs कार्यरत हैं। लद्दाख की माँग का मुख्य उद्देश्य भूमि को बाहरी लोगों के हाथों में जाने से रोकना और सामुदायिक नेतृत्व में विकास सुनिश्चित करना है।
स्थैतिक तथ्य: छठी अनुसूची 1952 में बोर्डोलोई समिति की सिफारिशों के आधार पर लागू की गई थी।

सोनम वांगचुक की भूमिका

पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, जो लद्दाख में अपने नवाचारों के लिए प्रसिद्ध हैं, इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे हैं। उन्हें 2018 में शिक्षा सुधारों के लिए रमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला। 2019 में उन्होंने जनजातीय कार्य मंत्रालय से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की अपील की थी, लेकिन कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। उनके अभियानों का ज़ोर विकेंद्रीकरण और औद्योगिक शोषण से सुरक्षा पर है।

आंदोलनों का इतिहास

2019 से ही छात्रों, स्थानीय नेताओं और धार्मिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया। LAB और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) प्रमुख संगठन बनकर उभरे। 2024 में भूख हड़ताल और चीन सीमा की ओर प्रस्तावित मार्च ने राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया। भूमि अधिकार, औद्योगिक परियोजनाएँ और सीमा सुरक्षा अब भी इन आंदोलनों के केंद्र में हैं।
स्थैतिक टिप: लद्दाख की सीमा चीन के शिनजियांग और तिब्बत से लगती है, जो इसे सामरिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाती है।

वर्तमान राजनीतिक एजेंडा

LAB की प्रमुख माँगें हैं:

  • लद्दाख को राज्य का दर्जा देना
  • छठी अनुसूची में शामिल करना
  • भर्ती के लिए लोक सेवा आयोग (PSC) बनाना
  • लेह और कारगिल के लिए अलग लोकसभा सीटें

ये माँगें 2019 के बाद से खोई हुई स्वायत्तता पर गुस्से को दर्शाती हैं और आत्म-शासन व संवैधानिक सुरक्षा की तात्कालिक आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
प्रमुख प्रदर्शन की तिथि सितम्बर 2025
प्रदर्शन में हताहत 4 मौतें, 30 घायल
प्रमुख कार्यकर्ता सोनम वांगचुक
प्रमुख संगठन लेह एपेक्स बॉडी, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस
अनुच्छेद 370 हटने का वर्ष 2019
लद्दाख की स्थिति बिना विधानमंडल वाला केंद्रशासित प्रदेश
जनसंख्या संरचना 90% से अधिक अनुसूचित जनजातियाँ
संवैधानिक माँग छठी अनुसूची में शामिल करना
ADC वाले क्षेत्र छह पूर्वोत्तर राज्य
अन्य माँगें राज्य का दर्जा, लोक सेवा आयोग, अलग लोकसभा सीटें
Ladakh Protests for Autonomy and Safeguards
  1. सितंबर 2025 में हिंसक झड़पों के बाद लद्दाख में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
  2. विरोध प्रदर्शन के दौरान भाजपा कार्यालय में आग लगा दी गई।
  3. पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और तीस लोग घायल हो गए।
  4. सोनम वांगचुक ने शांति के लिए 15 दिनों की भूख हड़ताल समाप्त कर दी।
  5. 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बन गया।
  6. लद्दाख की 90% से अधिक आबादी अनुसूचित जनजातियों की है।
  7. प्रदर्शनकारी जनजातीय स्वायत्तता के लिए छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं।
  8. छठी अनुसूची स्थानीय शक्तियों के साथ स्वायत्त जिला परिषदों को अनुदान देती है।
  9. बोरदोलोई समिति ने 1952 में छठी अनुसूची की सिफारिश की थी।
  10. सोनम वांगचुक 2018 के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता हैं।
  11. वह विकेंद्रीकरण और शोषण से सुरक्षा के लिए अभियान चलाते हैं।
  12. लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया।
  13. मांगों में लेह, कारगिल के लिए राज्य का दर्जा और अलग लोकसभा सीटें शामिल हैं।
  14. प्रदर्शनकारी लद्दाख लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती चाहते हैं।
  15. 2019 में जम्मू और कश्मीर के विभाजन के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हुए।
  16. 2024 में भूख हड़ताल और चीन सीमा तक मार्च ने ध्यान आकर्षित किया।
  17. लद्दाख चीन के झिंजियांग और तिब्बत की सीमा से लगा है, जो इसे रणनीतिक बनाता है।
  18. भूमि अधिकार और औद्योगिक परियोजना संबंधी चिंताएँ आंदोलन को बढ़ावा देती हैं।
  19. छठी अनुसूची में शामिल किए जाने से बाहरी लोगों द्वारा भूमि के हस्तांतरण को रोका जा सकेगा।
  20. वर्तमान अशांति 2019 के बदलावों के बाद से स्वायत्तता के नुकसान को दर्शाती है।

Q1. 2025 के लद्दाख आंदोलनों में भूख हड़तालों का नेतृत्व किस कार्यकर्ता ने किया?


Q2. अनुच्छेद 370 कब हटाया गया, जिससे लद्दाख की राजनीतिक स्थिति बदली?


Q3. लद्दाख किस संवैधानिक संरक्षण की मांग कर रहा है?


Q4. लद्दाख आंदोलनों का नेतृत्व कौन-से संगठन कर रहे हैं?


Q5. लद्दाख में अतिरिक्त राजनीतिक मांग क्या उठाई गई है?


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