लद्दाख में बढ़ते प्रदर्शन
सितम्बर 2025 में लेह में हिंसक झड़पों के बाद लद्दाख में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। एक भाजपा कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया और पुलिस की कार्रवाई (आँसू गैस) में 4 लोगों की मौत और 30 लोग घायल हुए। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) ने बंद का आह्वान किया, जबकि कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने शांति की अपील करते हुए 15 दिन का अनशन समाप्त किया। यह अशांति लद्दाख की राजनीतिक स्थिति पर लंबे समय से जारी असंतोष को दर्शाती है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत अनुच्छेद 370 हटाकर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बाँटा गया। जहाँ जम्मू-कश्मीर को विधानमंडल मिला, वहीं लद्दाख बिना विधानमंडल वाला केंद्रशासित प्रदेश बन गया। यह प्रतिनिधित्व की कमी राजनीतिक असंतोष और अधिक स्वायत्तता की माँग का कारण बनी।
स्थैतिक तथ्य: अनुच्छेद 370 को 1949 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के लिए शामिल किया गया था।
छठी अनुसूची की माँग
लद्दाख की 90% से अधिक आबादी अनुसूचित जनजातियों की है, जिससे यह क्षेत्र संवैधानिक सुरक्षा के योग्य बनता है। छठी अनुसूची स्वायत्त ज़िला परिषदों (ADCs) को भूमि, वन, कृषि, स्वास्थ्य और पुलिसिंग पर अधिकार देती है। वर्तमान में छह पूर्वोत्तर राज्यों में ADCs कार्यरत हैं। लद्दाख की माँग का मुख्य उद्देश्य भूमि को बाहरी लोगों के हाथों में जाने से रोकना और सामुदायिक नेतृत्व में विकास सुनिश्चित करना है।
स्थैतिक तथ्य: छठी अनुसूची 1952 में बोर्डोलोई समिति की सिफारिशों के आधार पर लागू की गई थी।
सोनम वांगचुक की भूमिका
पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, जो लद्दाख में अपने नवाचारों के लिए प्रसिद्ध हैं, इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे हैं। उन्हें 2018 में शिक्षा सुधारों के लिए रमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला। 2019 में उन्होंने जनजातीय कार्य मंत्रालय से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की अपील की थी, लेकिन कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। उनके अभियानों का ज़ोर विकेंद्रीकरण और औद्योगिक शोषण से सुरक्षा पर है।
आंदोलनों का इतिहास
2019 से ही छात्रों, स्थानीय नेताओं और धार्मिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया। LAB और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) प्रमुख संगठन बनकर उभरे। 2024 में भूख हड़ताल और चीन सीमा की ओर प्रस्तावित मार्च ने राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया। भूमि अधिकार, औद्योगिक परियोजनाएँ और सीमा सुरक्षा अब भी इन आंदोलनों के केंद्र में हैं।
स्थैतिक टिप: लद्दाख की सीमा चीन के शिनजियांग और तिब्बत से लगती है, जो इसे सामरिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाती है।
वर्तमान राजनीतिक एजेंडा
LAB की प्रमुख माँगें हैं:
- लद्दाख को राज्य का दर्जा देना
- छठी अनुसूची में शामिल करना
- भर्ती के लिए लोक सेवा आयोग (PSC) बनाना
- लेह और कारगिल के लिए अलग लोकसभा सीटें
ये माँगें 2019 के बाद से खोई हुई स्वायत्तता पर गुस्से को दर्शाती हैं और आत्म-शासन व संवैधानिक सुरक्षा की तात्कालिक आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
प्रमुख प्रदर्शन की तिथि | सितम्बर 2025 |
प्रदर्शन में हताहत | 4 मौतें, 30 घायल |
प्रमुख कार्यकर्ता | सोनम वांगचुक |
प्रमुख संगठन | लेह एपेक्स बॉडी, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस |
अनुच्छेद 370 हटने का वर्ष | 2019 |
लद्दाख की स्थिति | बिना विधानमंडल वाला केंद्रशासित प्रदेश |
जनसंख्या संरचना | 90% से अधिक अनुसूचित जनजातियाँ |
संवैधानिक माँग | छठी अनुसूची में शामिल करना |
ADC वाले क्षेत्र | छह पूर्वोत्तर राज्य |
अन्य माँगें | राज्य का दर्जा, लोक सेवा आयोग, अलग लोकसभा सीटें |