बढ़ते पशु हमले
केरल सरकार ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में संशोधन के लिए केंद्र सरकार से औपचारिक रूप से अनुरोध किया है।
मुख्य उद्देश्य है — ऐसे जंगली जानवरों को मारने (culling) की अनुमति देना जो मनुष्यों और संपत्ति के लिए सीधा खतरा बन गए हैं।
यह कदम राज्य में मानव–वन्यजीव संघर्ष के तेजी से बढ़ते मामलों के जवाब में उठाया गया है।
2016 से 2025 की शुरुआत तक, करीब 919 लोगों की मौत और 9,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
केरल के 941 ग्राम पंचायतों में से 273 को संघर्ष हॉटस्पॉट घोषित किया गया है।
मुख्य रूप से शामिल खतरनाक जानवर हैं — बाघ, तेंदुए, हाथी और जंगली सूअर।
संघर्ष बढ़ने के कारण
मानव–वन्यजीव टकराव के पीछे कई कारण हैं —
आवास की हानि और गिरावट (Habitat loss) — जंगलों के कटने से जानवरों को मानव बस्तियों के करीब आना पड़ा।
चराई और कृषि परिवर्तन — घरेलू पशुओं की चराई से वन पारिस्थितिकी असंतुलित हुई, जबकि खेती के पैटर्न में बदलाव से फसलों में भोजन का आकर्षण बढ़ा।
जंगली सूअर और बंदरों की बढ़ती संख्या, विशेष रूप से बोनट मकाक (Bonnet Macaque), अब घरों और खेतों में घुसपैठ कर रहे हैं।
केरल को कानूनी बदलाव क्यों चाहिए
वर्तमान वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत किसी भी जानवर को मारने की अनुमति देना बेहद कठिन है।
राज्य के मुख्य वन्यजीव संरक्षक को यह साबित करना पड़ता है कि जानवर को न तो पकड़ा जा सकता है, न ही कहीं और स्थानांतरित किया जा सकता है।
यह प्रक्रिया समय लेने वाली है और आपात स्थितियों में विलंब का कारण बनती है।
इसलिए, केरल सरकार चाहती है कि —
• धारा 62 के तहत जंगली सूअर (Wild Boar) को अस्थायी रूप से “हानिकारक जीव (Vermin)” घोषित किया जाए।
• बोनट मकाक को अनुसूची-I (Schedule I) से हटाया जाए ताकि कानूनी जटिलताओं के बिना नियंत्रणात्मक कदम उठाए जा सकें।
वन्यजीव प्रबंधन की चुनौतियाँ
वन्यजीव प्रबंधन की प्रक्रिया अभी भी जटिल है।
अदालतों के आदेशों के कारण स्थानीय अधिकारी तत्काल कार्रवाई नहीं कर पाते।
उदाहरण के लिए, किसी जंगली सूअर को मारने से पहले यह देखना कि वह गर्भवती है या नहीं, जैसी शर्तें नियमों को कठिन बना देती हैं।
केरल सरकार का मानना है कि अधिक लचीले कानूनी प्रावधानों की आवश्यकता है।
तेजी से अनुमति न मिलने के कारण ग्रामीण आबादी खतरे में रहती है और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
स्थिर “Usthadian” वर्तमान घटनाएँ सारणी
विषय | विवरण |
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम | 1972 में अधिनियमित, भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए |
अधिनियम की धारा 62 | अस्थायी रूप से किसी प्रजाति को “हानिकारक जीव (Vermin)” घोषित करने की अनुमति देती है |
बोनट मकाक | वर्तमान में अनुसूची-I (Schedule I) में संरक्षित प्रजाति |
सर्वाधिक मानव–वन्यजीव संघर्ष वाला राज्य | केरल |
संघर्ष हॉटस्पॉट की संख्या | 273 (941 स्थानीय निकायों में से) |
प्रमुख संघर्षकारी जानवर | बाघ, तेंदुए, हाथी, जंगली सूअर |
संबंधित केंद्रीय संस्था | पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) |