राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया
केरल भारत का पहला 100% डिजिटल साक्षर राज्य बन गया है। यह उपलब्धि डिजी केरळम कार्यक्रम (2023) के माध्यम से हासिल की गई, जिसका उद्देश्य हर निवासी को, उसकी आयु या पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, डिजिटल ज्ञान और ई–सेवाओं से जोड़ना था। यह पहल भारत की समावेशी डिजिटल रूपांतरण यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्थैतिक जीके तथ्य: केरल का मलप्पुरम जिला 2002 में अक्षय परियोजना के तहत भारत का पहला ई-साक्षर जिला बना था।
पूर्व पहल पर आधारित सफलता
केरल की इस सफलता की जड़ें लंबे समय से चली आ रही पहलों में हैं। अक्षय परियोजना (2002) ने नागरिकों को बुनियादी कंप्यूटर कौशल सिखाया और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट के उपयोग को बढ़ावा दिया। वर्तमान कार्यक्रम ने इन्हीं प्रयासों पर आधारित होकर सुनिश्चित किया कि कोई भी घर डिजिटल युग से वंचित न रहे।
डिजिटल साक्षरता का अर्थ
डिजिटल साक्षरता का अर्थ है दैनिक जीवन में सार्थक कार्यों के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग करने की क्षमता। एक परिवार को डिजिटल साक्षर माना जाता है यदि उसके पाँच वर्ष या उससे अधिक आयु का कम से कम एक सदस्य कंप्यूटर चला सके और इंटरनेट का उपयोग कर सके। यह परिभाषा वैश्विक मानकों से मेल खाती है।
स्थैतिक जीके टिप: भारत में राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन (NDLM) वर्ष 2014 में शुरू किया गया था।
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
यह उपलब्धि समाज को अनेक लाभ प्रदान करती है।
- सरकार की कार्यक्षमता किसान कॉल सेंटर और CSCs जैसे प्लेटफार्मों से बेहतर होती है।
- नागरिकों को वैश्विक जुड़ाव और जानकारी तक पहुँच मिलती है।
- परिवार और समुदाय डिजिटल उपकरणों से अधिक सशक्त होते हैं।
डिजिटल साक्षरता ने वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा दिया है, जिससे डीबीटी, यूपीआई और अन्य योजनाएँ अधिक सुलभ हो गई हैं। साथ ही, यह नागरिकों को ICT कौशल प्रदान कर नए रोज़गार अवसर भी खोल रही है।
शासन में सशक्तिकरण
डिजिटल क्रांति ने नागरिकों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भागीदारी के अधिक अवसर दिए हैं।
- ऑनलाइन प्लेटफार्मों तक पहुँच से लोग सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकते हैं।
- शिकायत दर्ज कर सकते हैं और जवाबदेही सुनिश्चित कर सकते हैं।
इससे लोकतंत्र की जड़ें और गहरी होती हैं।
चिंताएँ और चुनौतियाँ
फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
- साइबर सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता है। बाहरी हमलों के खिलाफ निरंतर निगरानी आवश्यक है।
- फेक न्यूज़ और भ्रामक जानकारी समाज में असंतुलन फैला सकती है।
- व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती है। नागरिकों को पासवर्ड और ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारी साझा करने में सतर्क रहना होगा।
अन्य राज्यों के लिए मॉडल
केरल की उपलब्धि अन्य राज्यों के लिए आदर्श मॉडल है।
- दीर्घकालिक योजना, जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीक के संयोजन ने इसे संभव बनाया।
- यह दिखाता है कि डिजिटल साक्षरता समावेशी और परिवर्तनकारी दोनों हो सकती है।
सही दृष्टिकोण अपनाकर भारत डिजिटल रूप से सशक्त समाज बनने की ओर बढ़ सकता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| भारत का पहला डिजिटल साक्षर राज्य | केरल |
| सफलता दिलाने वाला कार्यक्रम | डिजी केरळम (2023) |
| पहला ई-साक्षर जिला | मलप्पुरम, केरल |
| प्रारंभिक पहल | अक्षय परियोजना (2002) |
| डिजिटल साक्षरता की परिभाषा | सार्थक कार्यों हेतु डिजिटल तकनीक का उपयोग |
| मानक | परिवार में 5+ आयु का एक सदस्य इंटरनेट चला सके |
| प्रमुख योजनाएँ | डीबीटी, यूपीआई, CSCs, किसान कॉल सेंटर |
| प्रमुख चिंता | साइबर सुरक्षा खतरे |
| राष्ट्रीय मिशन 2014 | NDLM (नेशनल डिजिटल लिटरेसी मिशन) |
| सामाजिक-आर्थिक लाभ | आजीविका और शासन में बेहतर भागीदारी |





